पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच फिर से जंग छिड़ सकती है। पाकिस्तानी मंत्री का एक बयान सामने आया है। पाक मंत्री ख्वाजा आसिम ने अफगानिस्तान को धमकी दी है। आसिफ का कहना है कि युद्ध तो होगा। तालिबान को शांति वार्ता से पहले एक्शन की चेतावनी पाकिस्तान की तरफ से दी गई है। मंत्री की यह तीखी टिप्पणी तीसरे दौर की वार्ता की पूर्व संध्या पर जियो टीवी को दिए एक साक्षात्कार के दौरान आई। यह वार्ता दोहा और इस्तांबुल में पहले हुए दो दौरों के बाद होगी जो बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गए थे। आसिफ ने कहा कि अगर वार्ता विफल होती है, तो स्थिति और बिगड़ेगी। हमारे पास अपने विकल्प हैं। जिस तरह से हमें निशाना बनाया जा रहा है, उसे देखते हुए हम भी उसी तरह जवाब दे सकते हैं।
इस महीने की शुरुआत में सीमा पार हुई संक्षिप्त झड़पों के बाद दोनों पड़ोसियों के बीच एक नाज़ुक युद्धविराम समझौते के बाद, इस वार्ता पर कड़ी नज़र रखी जा रही है। तुर्की इस प्रक्रिया को फिर से शुरू करने के लिए मध्यस्थता कर रहा है, जो अब तक पाकिस्तान की इस माँग के कारण लड़खड़ा रही थी कि काबुल तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करे। पिछले हफ़्ते एक साप्ताहिक प्रेस वार्ता में पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ताहिर अंद्राबी ने इस बैठक की पुष्टि की और सकारात्मक परिणाम की उम्मीद जताई। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि पाकिस्तान मध्यस्थता प्रक्रिया में शामिल रहेगा, लेकिन चेतावनी दी कि शांति अफ़ग़ानिस्तान की अपनी ज़मीन से आतंकवादी गतिविधियों को रोकने की इच्छा पर निर्भर करती है।
अंद्राबी ने कहा कि पाकिस्तान ने अपने इस रुख से समझौता किए बिना तालिबान शासन के साथ बातचीत की है कि अफगान धरती का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद के लिए नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद टीटीपी तत्वों के खिलाफ ठोस और सत्यापन योग्य कार्रवाई की उम्मीद करता है। वार्ता का पहला दौर 18-19 अक्टूबर को दोहा में हुआ, उसके बाद 25 अक्टूबर को इस्तांबुल में दूसरा दौर हुआ, जो कई दिनों तक चला और पिछले हफ़्ते समाप्त हुआ। दोनों पक्ष युद्धविराम बनाए रखने पर सहमत हुए, लेकिन अधिकारियों ने माना कि गहरा अविश्वास अभी भी बना हुआ है। इस बीच, आसिफ ने काबुल के इस दावे को खारिज कर दिया कि टीटीपी लड़ाके महज पाकिस्तानी शरणार्थी हैं जो घर लौट रहे हैं। शरणार्थी भारी हथियार लेकर और चोरों की तरह पहाड़ी रास्तों से कैसे वापस आ सकते हैं? यही तर्क अफ़गानिस्तान की कपटपूर्णता और बदनीयती को उजागर करता है।
इसके अलावा, आसिफ ने कहा कि जब तक तालिबान सरकार सीमा पार हमलों को रोकने के लिए कड़े कदम नहीं उठाती, तब तक अफ़ग़ानिस्तान के साथ संबंध "सामान्य नहीं हो सकते"। उन्होंने आगे कहा कि मैं पूरी अफ़ग़ान सरकार को दोष नहीं दूँगा, लेकिन उसके भीतर के कई लोग स्पष्ट रूप से इन समूहों का समर्थन कर रहे हैं।