लखनऊ समेत देशभर के बिजली कर्मी करेंगे सत्याग्रह:केंद्र सरकार से संशोधन विधेयक वापस लेने की मांग, 30 नवंबर को दिल्ली में बड़ी रैली
आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) और नेशनल को-ऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलॉयीज एंड इंजीनियर्स (NCCOEEE) ने केंद्र सरकार से बिजली संशोधन विधेयक 2025 को तत्काल वापस लेने की मांग की है। फेडरेशन ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने निजीकरण की प्रक्रिया नहीं रोकी, तो 30 जनवरी 2026 को देशभर के बिजली कर्मी और इंजीनियर दिल्ली में जंतर मंतर पर विशाल रैली करेंगे। 15 नवंबर से शुरू होंगे सम्मेलन मुंबई में हुई राष्ट्रीय समन्वय समिति की बैठक के बाद AIPEF चेयरमैन शैलेंद्र दुबे और महासचिव पी रत्नाकर राव ने बताया कि आंदोलन में किसानों और उपभोक्ताओं के संगठनों को भी जोड़ा जाएगा। इसके लिए संयुक्त मोर्चा बनाया जा रहा है, जिसकी पहली बैठक 14 दिसंबर को दिल्ली में होगी। 15 नवंबर से 25 जनवरी तक देश के सभी राज्यों में बिजली कर्मियों, किसानों और उपभोक्ताओं के सम्मेलन होंगे, जिनमें संशोधन विधेयक और निजीकरण के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा।शैलेंद्र दुबे ने बताया कि यह विधेयक बिजली क्षेत्र को पूरी तरह निजी हाथों में देने की दिशा में है। सरकार को चेतावनी बिजली कंपनी होगी दिवालिया उनके मुताबिक, संशोधन विधेयक की धारा 14, 42 और 43 निजी कंपनियों को सरकारी डिस्कॉम्स के इन्फ्रास्ट्रक्चर का मुफ्त उपयोग करने की छूट देती हैं, जबकि नेटवर्क के रखरखाव की पूरी जिम्मेदारी सरकारी कंपनियों पर होगी। इससे सरकारी वितरण कंपनियां दिवालिया हो सकती हैं। AIPEF ने बताया कि नए संशोधन के तहत निजी कंपनियों पर सार्वभौमिक बिजली आपूर्ति की बाध्यता नहीं होगी। वे केवल लाभकारी औद्योगिक और व्यावसायिक उपभोक्ताओं को बिजली देंगी, जबकि किसानों और गरीब घरेलू उपभोक्ताओं की आपूर्ति का बोझ सरकारी कंपनियों पर रहेगा। किसानों के लिए महंगी होगी बिजली फेडरेशन के अनुसार, विधेयक की धारा 61(जी) में प्रस्तावित बदलाव से अगले पांच साल में क्रॉस-सब्सिडी समाप्त हो जाएगी। यानी किसानों और गरीब उपभोक्ताओं को सस्ता बिजली बिल नहीं मिलेगा। उदाहरण के लिए, दुबे ने कहा कि 6.5 HP पंप चलाने वाले किसान को कम से कम 12 हजार रुपए मासिक बिल देना पड़ेगा। AIPEF चेयरमैन ने आरोप लगाया कि प्रस्तावित विधेयक संविधान के संघीय ढांचे के खिलाफ है क्योंकि बिजली समवर्ती सूची में आती है और केंद्र सरकार इसके जरिए राज्यों के अधिकार छीनने की कोशिश कर रही है।उन्होंने कहा केंद्र ने यह विधेयक वापस नहीं लिया तो देशभर के 27 लाख बिजली कर्मी और इंजीनियर 30 जनवरी को दिल्ली में “दिल्ली चलो” रैली कर राष्ट्रीय आंदोलन का आगाज करेंगे।
आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) और नेशनल को-ऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलॉयीज एंड इंजीनियर्स (NCCOEEE) ने केंद्र सरकार से बिजली संशोधन विधेयक 2025 को तत्काल वापस लेने की मांग की है। फेडरेशन ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने निजीकरण की प्रक्रिया नहीं रोकी, तो 30 जनवरी 2026 को देशभर के बिजली कर्मी और इंजीनियर दिल्ली में जंतर मंतर पर विशाल रैली करेंगे। 15 नवंबर से शुरू होंगे सम्मेलन मुंबई में हुई राष्ट्रीय समन्वय समिति की बैठक के बाद AIPEF चेयरमैन शैलेंद्र दुबे और महासचिव पी रत्नाकर राव ने बताया कि आंदोलन में किसानों और उपभोक्ताओं के संगठनों को भी जोड़ा जाएगा। इसके लिए संयुक्त मोर्चा बनाया जा रहा है, जिसकी पहली बैठक 14 दिसंबर को दिल्ली में होगी। 15 नवंबर से 25 जनवरी तक देश के सभी राज्यों में बिजली कर्मियों, किसानों और उपभोक्ताओं के सम्मेलन होंगे, जिनमें संशोधन विधेयक और निजीकरण के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा।शैलेंद्र दुबे ने बताया कि यह विधेयक बिजली क्षेत्र को पूरी तरह निजी हाथों में देने की दिशा में है। सरकार को चेतावनी बिजली कंपनी होगी दिवालिया उनके मुताबिक, संशोधन विधेयक की धारा 14, 42 और 43 निजी कंपनियों को सरकारी डिस्कॉम्स के इन्फ्रास्ट्रक्चर का मुफ्त उपयोग करने की छूट देती हैं, जबकि नेटवर्क के रखरखाव की पूरी जिम्मेदारी सरकारी कंपनियों पर होगी। इससे सरकारी वितरण कंपनियां दिवालिया हो सकती हैं। AIPEF ने बताया कि नए संशोधन के तहत निजी कंपनियों पर सार्वभौमिक बिजली आपूर्ति की बाध्यता नहीं होगी। वे केवल लाभकारी औद्योगिक और व्यावसायिक उपभोक्ताओं को बिजली देंगी, जबकि किसानों और गरीब घरेलू उपभोक्ताओं की आपूर्ति का बोझ सरकारी कंपनियों पर रहेगा। किसानों के लिए महंगी होगी बिजली फेडरेशन के अनुसार, विधेयक की धारा 61(जी) में प्रस्तावित बदलाव से अगले पांच साल में क्रॉस-सब्सिडी समाप्त हो जाएगी। यानी किसानों और गरीब उपभोक्ताओं को सस्ता बिजली बिल नहीं मिलेगा। उदाहरण के लिए, दुबे ने कहा कि 6.5 HP पंप चलाने वाले किसान को कम से कम 12 हजार रुपए मासिक बिल देना पड़ेगा। AIPEF चेयरमैन ने आरोप लगाया कि प्रस्तावित विधेयक संविधान के संघीय ढांचे के खिलाफ है क्योंकि बिजली समवर्ती सूची में आती है और केंद्र सरकार इसके जरिए राज्यों के अधिकार छीनने की कोशिश कर रही है।उन्होंने कहा केंद्र ने यह विधेयक वापस नहीं लिया तो देशभर के 27 लाख बिजली कर्मी और इंजीनियर 30 जनवरी को दिल्ली में “दिल्ली चलो” रैली कर राष्ट्रीय आंदोलन का आगाज करेंगे।