फर्जी अफसर बन ठगों ने की 'डिजिटल गिरफ्तारी', मुंबई के कारोबारी के ₹53 लाख उड़ाए

हाल ही में चौकानें वाला मामला मुंबई से आया है। आजकल साइबर फ्रॉड के मामले खूब आ रहे है। ठगाई करनो वाले लोगों को ठगने के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं। ऐसे में डिजिटल अरेस्ट स्कैम के मामले में काफी सामने आ रहे हैं। दक्षिण मुंबई के 60 साल के एक व्यवसायी को ठगों ने कानून व्यवस्था के बड़े अफसर बनकर पूरी रात वीडियो कॉल पर डिजिटल अरेस्ट में रखा और 53 लाख रुपये ठग किए।क्या है डिजिटल अरेस्ट?‘डिजिटल अरेस्ट’ एक नई तरह की ऑनलाइन ठगी है, जिसमें साइबर अपराधी खुद को पुलिस, CBI या किसी सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर किसी व्यक्ति को डराते हैं। वे फर्जी वीडियो कॉल या दस्तावेज दिखाकर कहते हैं कि व्यक्ति किसी अपराध में शामिल है और उसकी गिरफ्तारी डिजिटल तरीके से की जा रही है। इसके बाद वे पैसे, जुर्माना या बैंक डिटेल्स मांगते हैं। असल में यह पूरी तरह धोखाधड़ी होती है। डिजिटल अरेस्ट का मकसद लोगों को डराकर उनसे पैसे वसूलना होता है। इससे बचने के लिए किसी अजनबी कॉल या लिंक पर भरोसा नहीं करना चाहिए।जानिए पूरा मामला?पीड़ित व्यक्ति मुंबई के अग्निपाड़ा इलाके रहने वाला है। जानकारी के मुताबिक, 2 नवंबर को एक अनजान नंबर से कॉल आया, जिसमें कॉल करने वाले ने खुद को ट्राई (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) का अफसर बताया। व्यक्ति ने आपना नाम राजीव सिन्हा बताया है और बोला कि- आपके नाम पर लिए गए सिम कार्ड से फ्रॉड हुआ है, इसलिए आपको 2 घंटे में दिल्ली पुलिस के सामने पेश होना होगा। जिसके बाद व्यापारी ने कहा, वह दिल्ली नहीं जा सकते, तो कॉलर ने कहा कि उसके खिलाफ दिल्ली में केस दर्ज है, तो अब आपको दिल्ली पुलिस ही उससे बात करेगी।फिर शुरु डिजिटल अरेस्ट का खेलथोड़े समय बाद पीड़ित का एक वीडियो कॉल आया है। जिसने पीड़ित को दिल्ली पुलिस का अफसर विजय खन्न बताया। उसने कहा कि व्यवसायी का नाम मनी लॉन्ड्रिंग केस में शामिल है और उसके आधार कार्ड से फर्जी बैंक अकाउंट ओपन किया गया है। जिसके बाद फ्रॉड करने वाले ने वीडियो कॉल पर अलग-अलग सीनियर अफसरों से बात कराई, इसके साथ ही एंटी करप्शन ब्रांच, इंस्पेक्शन डिपार्टमेंट और एनफोर्समेंट डायरेक्टेरट के फर्जी लेटरहेड दिखाए गए। आरोपियों ने पूरी रात व्यापारी को कॉल पर रखा। जिसके बाद उन्होंने उससे प्रॉपर्टी, सेविंग्स और बैंक अकाउंट की जानकारी मांगी। फर्जी ऑनलाइन कोर्ट हियरिंग हुईइसके अगले दिन फ्रॉड करने वालों ने एक फर्जी ऑनलाइन कोर्ट हियरिंग करवाई। जिसके बाद कोर्ट ने उसको बोला कि बेल नहीं मिलेगी और आपके सारे बैंक अकाउंट फ्रीज हो जाएंगे। फिर पीड़ित से कहा कि वह अपने पैसे सरकार द्वारा बताए गए एक नेशनलाइज्ड बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करे। डर के कारण 53 लाख रुपये उस अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए।कब पता चला?इसके बाद ठगों ने पीड़ित से और पैसे मांगे, तब उसे शक हुआ। टॉयलेट जाने के बहाने से वह कमरे से बाहर चला गया और साइबर हेल्पलाइन की मदद से 1930 पर कॉल किया। फिर उसने सेंट्रल रीजन साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। कैसे बचें फ्रॉड से?इस बात का ध्यान रखें कि कोई भी सरकारी एजेंसी या पुलिस की असली कॉल या कभी वीडियो कॉल नहीं आती है। जब कोई आपसे कहे आपके नाम पर केस है, तो तुरंत 1930 या 112 पर शिकायत करें। फर्जी दस्तावेज और कोर्ट नोटिस पर ध्यान न दें, इसलिए आधिकारिक वेबसाइट की जांच करें। किसी भी अनजान खाते में पैसों को ट्रांसफर न करें। थोड़ी-सी सावधानी आपको जीवन भर की कमाई खा सकता है। इस बात का ध्यान रखें कि डिजिटल अरेस्ट कभी नहीं किया जाता है, यब बस डराने और ठगी का काम है। 

Nov 12, 2025 - 19:24
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फर्जी अफसर बन ठगों ने की 'डिजिटल गिरफ्तारी', मुंबई के कारोबारी के ₹53 लाख उड़ाए

हाल ही में चौकानें वाला मामला मुंबई से आया है। आजकल साइबर फ्रॉड के मामले खूब आ रहे है। ठगाई करनो वाले लोगों को ठगने के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं। ऐसे में डिजिटल अरेस्ट स्कैम के मामले में काफी सामने आ रहे हैं। दक्षिण मुंबई के 60 साल के एक व्यवसायी को ठगों ने कानून व्यवस्था के बड़े अफसर बनकर पूरी रात वीडियो कॉल पर डिजिटल अरेस्ट में रखा और 53 लाख रुपये ठग किए।

क्या है डिजिटल अरेस्ट?

‘डिजिटल अरेस्ट’ एक नई तरह की ऑनलाइन ठगी है, जिसमें साइबर अपराधी खुद को पुलिस, CBI या किसी सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर किसी व्यक्ति को डराते हैं। वे फर्जी वीडियो कॉल या दस्तावेज दिखाकर कहते हैं कि व्यक्ति किसी अपराध में शामिल है और उसकी गिरफ्तारी डिजिटल तरीके से की जा रही है। इसके बाद वे पैसे, जुर्माना या बैंक डिटेल्स मांगते हैं। असल में यह पूरी तरह धोखाधड़ी होती है। डिजिटल अरेस्ट का मकसद लोगों को डराकर उनसे पैसे वसूलना होता है। इससे बचने के लिए किसी अजनबी कॉल या लिंक पर भरोसा नहीं करना चाहिए।

जानिए पूरा मामला?

पीड़ित व्यक्ति मुंबई के अग्निपाड़ा इलाके रहने वाला है। जानकारी के मुताबिक, 2 नवंबर को एक अनजान नंबर से कॉल आया, जिसमें कॉल करने वाले ने खुद को ट्राई (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) का अफसर बताया। व्यक्ति ने आपना नाम राजीव सिन्हा बताया है और बोला कि- आपके नाम पर लिए गए सिम कार्ड से फ्रॉड हुआ है, इसलिए आपको 2 घंटे में दिल्ली पुलिस के सामने पेश होना होगा। जिसके बाद व्यापारी ने कहा, वह दिल्ली नहीं जा सकते, तो कॉलर ने कहा कि उसके खिलाफ दिल्ली में केस दर्ज है, तो अब आपको दिल्ली पुलिस ही उससे बात करेगी।

फिर शुरु डिजिटल अरेस्ट का खेल

थोड़े समय बाद पीड़ित का एक वीडियो कॉल आया है। जिसने पीड़ित को दिल्ली पुलिस का अफसर विजय खन्न बताया। उसने कहा कि व्यवसायी का नाम मनी लॉन्ड्रिंग केस में शामिल है और उसके आधार कार्ड से फर्जी बैंक अकाउंट ओपन किया गया है। जिसके बाद फ्रॉड करने वाले ने वीडियो कॉल पर अलग-अलग सीनियर अफसरों से बात कराई, इसके साथ ही एंटी करप्शन ब्रांच, इंस्पेक्शन डिपार्टमेंट और एनफोर्समेंट डायरेक्टेरट के फर्जी लेटरहेड दिखाए गए। आरोपियों ने पूरी रात व्यापारी को कॉल पर रखा। जिसके बाद उन्होंने उससे प्रॉपर्टी, सेविंग्स और बैंक अकाउंट की जानकारी मांगी।

फर्जी ऑनलाइन कोर्ट हियरिंग हुई

इसके अगले दिन फ्रॉड करने वालों ने एक फर्जी ऑनलाइन कोर्ट हियरिंग करवाई। जिसके बाद कोर्ट ने उसको बोला कि बेल नहीं मिलेगी और आपके सारे बैंक अकाउंट फ्रीज हो जाएंगे। फिर पीड़ित से कहा कि वह अपने पैसे सरकार द्वारा बताए गए एक नेशनलाइज्ड बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करे। डर के कारण 53 लाख रुपये उस अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए।

कब पता चला?

इसके बाद ठगों ने पीड़ित से और पैसे मांगे, तब उसे शक हुआ। टॉयलेट जाने के बहाने से वह कमरे से बाहर चला गया और साइबर हेल्पलाइन की मदद से 1930 पर कॉल किया। फिर उसने सेंट्रल रीजन साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।

कैसे बचें फ्रॉड से?

इस बात का ध्यान रखें कि कोई भी सरकारी एजेंसी या पुलिस की असली कॉल या कभी वीडियो कॉल नहीं आती है। जब कोई आपसे कहे आपके नाम पर केस है, तो तुरंत 1930 या 112 पर शिकायत करें। फर्जी दस्तावेज और कोर्ट नोटिस पर ध्यान न दें, इसलिए आधिकारिक वेबसाइट की जांच करें। किसी भी अनजान खाते में पैसों को ट्रांसफर न करें। थोड़ी-सी सावधानी आपको जीवन भर की कमाई खा सकता है। इस बात का ध्यान रखें कि डिजिटल अरेस्ट कभी नहीं किया जाता है, यब बस डराने और ठगी का काम है।