कवच सिस्टम का 160 किमी/घंटा पर सफल परीक्षण:टूंडला-अलीगढ़ सेक्शन में हाईस्पीड लोको ट्रायल पूरा
फिरोजाबाद में भारतीय रेलवे ने अपनी स्वदेशी सुरक्षा प्रणाली 'कवच' का 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर सफलतापूर्वक हाईस्पीड लोको ट्रायल पूरा किया है। यह परीक्षण प्रयागराज मंडल के मितावली-मंद्रक खंड में किया गया, जो टूंडला-अलीगढ़ सेक्शन के तहत दिल्ली-हावड़ा मुख्य मार्ग का हिस्सा है। यह उपलब्धि भारतीय रेलवे की सुरक्षा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण कदम है। WAP-5 लाइट इंजन के साथ यह ट्रायल दोपहर 12:22 बजे मितावली स्टेशन से शुरू होकर शाम 4:45 बजे तक चला। परीक्षण अप और डाउन दोनों लाइनों पर किया गया, जिससे प्रणाली की व्यापक कार्यक्षमता सुनिश्चित हुई। कवच प्रणाली का मुख्य उद्देश्य तेज रफ्तार ट्रेनों में स्वचालित सुरक्षा, गति नियंत्रण और SPAD (Signal Passed At Danger) की रोकथाम करना है। यह तकनीक ट्रेन को स्वतः ब्रेक लगाकर दुर्घटनाओं से बचाने में सक्षम है, जिससे मानवीय त्रुटियों की संभावना कम होती है। परीक्षण के दौरान, 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहे लोकोमोटिव को लूप लाइन की ओर मोड़ा गया। कवच प्रणाली ने ड्राइवर के हस्तक्षेप के बिना स्वचालित रूप से ट्रेन की गति को नियंत्रित किया। BRN UP लूप लाइन पर गति 28 किमी/घंटा, PORA UP लूप लाइन पर 25 किमी/घंटा, PORA DN लूप लाइन पर 28 किमी/घंटा और BRN DN लूप लाइन पर 25 किमी/घंटा दर्ज की गई। इस परीक्षण में कवच ने गति नियंत्रण में 100 प्रतिशत सटीकता प्रदर्शित की। दूसरे महत्वपूर्ण परीक्षण में, रेड सिग्नल पर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से पहुंच रही लोको पर कवच ने स्वतः ब्रेक लगाकर ट्रेन को सिग्नल से पहले सुरक्षित रोका। CMR UP होम सिग्नल से 32 मीटर पहले, HRS UP होम सिग्नल से 67 मीटर पहले, JLS DN होम सिग्नल से 36 मीटर पहले और MTI DN होम सिग्नल से 37 मीटर पहले ट्रेन रुक गई। यह दर्शाता है कि कवच हर बार ट्रेन को खतरे से पहले रोकने में सफल रहा। यह सफल परीक्षण भारतीय रेलवे को हाईस्पीड ट्रेन संचालन को और अधिक सुरक्षित बनाने की दिशा में तैयार करता है। कवच प्रणाली देश में दुर्घटना-मुक्त रेल यात्रा के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है।
फिरोजाबाद में भारतीय रेलवे ने अपनी स्वदेशी सुरक्षा प्रणाली 'कवच' का 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर सफलतापूर्वक हाईस्पीड लोको ट्रायल पूरा किया है। यह परीक्षण प्रयागराज मंडल के मितावली-मंद्रक खंड में किया गया, जो टूंडला-अलीगढ़ सेक्शन के तहत दिल्ली-हावड़ा मुख्य मार्ग का हिस्सा है। यह उपलब्धि भारतीय रेलवे की सुरक्षा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण कदम है। WAP-5 लाइट इंजन के साथ यह ट्रायल दोपहर 12:22 बजे मितावली स्टेशन से शुरू होकर शाम 4:45 बजे तक चला। परीक्षण अप और डाउन दोनों लाइनों पर किया गया, जिससे प्रणाली की व्यापक कार्यक्षमता सुनिश्चित हुई। कवच प्रणाली का मुख्य उद्देश्य तेज रफ्तार ट्रेनों में स्वचालित सुरक्षा, गति नियंत्रण और SPAD (Signal Passed At Danger) की रोकथाम करना है। यह तकनीक ट्रेन को स्वतः ब्रेक लगाकर दुर्घटनाओं से बचाने में सक्षम है, जिससे मानवीय त्रुटियों की संभावना कम होती है। परीक्षण के दौरान, 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहे लोकोमोटिव को लूप लाइन की ओर मोड़ा गया। कवच प्रणाली ने ड्राइवर के हस्तक्षेप के बिना स्वचालित रूप से ट्रेन की गति को नियंत्रित किया। BRN UP लूप लाइन पर गति 28 किमी/घंटा, PORA UP लूप लाइन पर 25 किमी/घंटा, PORA DN लूप लाइन पर 28 किमी/घंटा और BRN DN लूप लाइन पर 25 किमी/घंटा दर्ज की गई। इस परीक्षण में कवच ने गति नियंत्रण में 100 प्रतिशत सटीकता प्रदर्शित की। दूसरे महत्वपूर्ण परीक्षण में, रेड सिग्नल पर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से पहुंच रही लोको पर कवच ने स्वतः ब्रेक लगाकर ट्रेन को सिग्नल से पहले सुरक्षित रोका। CMR UP होम सिग्नल से 32 मीटर पहले, HRS UP होम सिग्नल से 67 मीटर पहले, JLS DN होम सिग्नल से 36 मीटर पहले और MTI DN होम सिग्नल से 37 मीटर पहले ट्रेन रुक गई। यह दर्शाता है कि कवच हर बार ट्रेन को खतरे से पहले रोकने में सफल रहा। यह सफल परीक्षण भारतीय रेलवे को हाईस्पीड ट्रेन संचालन को और अधिक सुरक्षित बनाने की दिशा में तैयार करता है। कवच प्रणाली देश में दुर्घटना-मुक्त रेल यात्रा के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है।