रामभद्राचार्य ने राम मंदिर ट्रस्टी चयन पर उठाए सवाल:बोले- जिन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया, उन्हें ट्रस्टी बनाया गया

सुल्तानपुर के विजेथुआ महावीरन धाम में चल रही वाल्मीकि रामायण कथा के पांचवें दिन पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य ने संतों के गांव छोड़ने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन में भाग न लेने वालों को मंदिर का ट्रस्टी बनाए जाने पर भी सवाल उठाए। रामभद्राचार्य ने कहा कि यह एक विडंबना है कि जिन लोगों ने राम जन्मभूमि आंदोलन में कभी हिस्सा नहीं लिया, उन्हें ही मंदिर का ट्रस्टी बनाया गया है। उन्होंने संतों द्वारा गांवों को छोड़ देने पर भी चिंता व्यक्त की, जिससे उनका बड़ा दुरुपयोग हुआ है। उन्होंने अवध और अवधी भाषा के प्रति अपना प्रेम व्यक्त करते हुए इसे अपनी और अपने आराध्य की जन्मभूमि बताया। स्वामी जी ने सभी सनातनियों को मस्तक पर तिलक लगाने की सलाह दी और इसके अनेक फायदे गिनाए। उन्होंने कहा कि तिलक के बिना ब्राह्मण यमराज जैसा दिखता है और सभी सनातन धर्मियों को आसुरी शक्तियों से लड़ने के लिए एकजुट होना चाहिए। उन्होंने एक सूक्ति का भी उल्लेख किया, जिसमें बताया गया है कि तांबूल के बिना राजा, तिलक के बिना ब्राह्मण, व्याकरण के बिना वाणी और नमक के बिना भोजन अच्छा नहीं लगता। कथा के दौरान, उन्होंने विश्वामित्र द्वारा दशरथ से यज्ञ में बाधा डाल रहे राक्षसों का वध करने के लिए राम को मांगने का प्रसंग सुनाया। दशरथ के शुरुआती इनकार के बाद, वशिष्ठ के समझाने पर राम को विश्वामित्र के साथ भेजा गया। विश्वामित्र ने राम को बला-अतिबला विद्या प्रदान की, जिसके बाद राम ने सबसे पहले ताटका का वध किया। कार्यक्रम के आयोजक विवेक तिवारी ने अपनी पत्नी के साथ व्यासपीठ का पूजन किया। इस अवसर पर स्वीडन और लातविया में भारत के राजदूत राकेश तिवारी, विधायक राजेश कुमार गौतम, विधान परिषद सदस्य शैलेंद्र प्रताप सिंह, पूर्व विधायक संतोष पांडेय, डॉ. सीताशरण त्रिपाठी, डॉ. श्रवण मिश्र, चेयरमैन आनंद जायसवाल, रामार्य पाठक, हाईकोर्ट अधिवक्ता राजेश तिवारी, ज्ञानेंद्र विक्रम सिंह रवि, डॉ. सुरेंद्र प्रताप तिवारी, रितेश दुबे, महेंद्र मिश्र, जगदंबा उपाध्याय, विजयधर मिश्र, अंबरीश मिश्र, आलोक सिंह, शीलेश बरनवाल सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

Oct 14, 2025 - 20:06
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रामभद्राचार्य ने राम मंदिर ट्रस्टी चयन पर उठाए सवाल:बोले- जिन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया, उन्हें ट्रस्टी बनाया गया
सुल्तानपुर के विजेथुआ महावीरन धाम में चल रही वाल्मीकि रामायण कथा के पांचवें दिन पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य ने संतों के गांव छोड़ने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन में भाग न लेने वालों को मंदिर का ट्रस्टी बनाए जाने पर भी सवाल उठाए। रामभद्राचार्य ने कहा कि यह एक विडंबना है कि जिन लोगों ने राम जन्मभूमि आंदोलन में कभी हिस्सा नहीं लिया, उन्हें ही मंदिर का ट्रस्टी बनाया गया है। उन्होंने संतों द्वारा गांवों को छोड़ देने पर भी चिंता व्यक्त की, जिससे उनका बड़ा दुरुपयोग हुआ है। उन्होंने अवध और अवधी भाषा के प्रति अपना प्रेम व्यक्त करते हुए इसे अपनी और अपने आराध्य की जन्मभूमि बताया। स्वामी जी ने सभी सनातनियों को मस्तक पर तिलक लगाने की सलाह दी और इसके अनेक फायदे गिनाए। उन्होंने कहा कि तिलक के बिना ब्राह्मण यमराज जैसा दिखता है और सभी सनातन धर्मियों को आसुरी शक्तियों से लड़ने के लिए एकजुट होना चाहिए। उन्होंने एक सूक्ति का भी उल्लेख किया, जिसमें बताया गया है कि तांबूल के बिना राजा, तिलक के बिना ब्राह्मण, व्याकरण के बिना वाणी और नमक के बिना भोजन अच्छा नहीं लगता। कथा के दौरान, उन्होंने विश्वामित्र द्वारा दशरथ से यज्ञ में बाधा डाल रहे राक्षसों का वध करने के लिए राम को मांगने का प्रसंग सुनाया। दशरथ के शुरुआती इनकार के बाद, वशिष्ठ के समझाने पर राम को विश्वामित्र के साथ भेजा गया। विश्वामित्र ने राम को बला-अतिबला विद्या प्रदान की, जिसके बाद राम ने सबसे पहले ताटका का वध किया। कार्यक्रम के आयोजक विवेक तिवारी ने अपनी पत्नी के साथ व्यासपीठ का पूजन किया। इस अवसर पर स्वीडन और लातविया में भारत के राजदूत राकेश तिवारी, विधायक राजेश कुमार गौतम, विधान परिषद सदस्य शैलेंद्र प्रताप सिंह, पूर्व विधायक संतोष पांडेय, डॉ. सीताशरण त्रिपाठी, डॉ. श्रवण मिश्र, चेयरमैन आनंद जायसवाल, रामार्य पाठक, हाईकोर्ट अधिवक्ता राजेश तिवारी, ज्ञानेंद्र विक्रम सिंह रवि, डॉ. सुरेंद्र प्रताप तिवारी, रितेश दुबे, महेंद्र मिश्र, जगदंबा उपाध्याय, विजयधर मिश्र, अंबरीश मिश्र, आलोक सिंह, शीलेश बरनवाल सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।