जोधपुर के डॉक्टर अशोक कलवार बने RPSC मेंबर:संघ की शाखा से लौटे, घर पहुंचे तो पता चला, बोले युवाओं के भविष्य के साथ नहीं होने देंगे खिलवाड़

आरपीएससी की ओर से तीन नए सदस्यों की नियुक्ति की गई है इसमें जोधपुर के रहने वाले डॉक्टर अशोक कलवार का नाम भी शामिल है। डॉक्टर अशोक कलवार के नाम की जानकारी सामने आई तब वो संघ की शाखा से घर वापस लौटे थे। इस दौरान उन्होंने दैनिक भास्कर के साथ खास बातचीत की। उन्होंने कहा कि बहुत बड़ा विश्वाश उन पर सरकार ने जताया हैं। मुझे लगता है ये बहुत बड़ा चैलेंज है, लेकिन मेरा जीवन चिकित्सा शिक्षा से जुड़ा हुआ है। इसलिए इस क्षेत्र में बेहतर करने की कोशिश करूंगा। डॉक्टर अशोक ने बताया कि सदस्य नियुक्त होने के बाद जनता का, सरकार का और युवाओं का जो भरोसा है उसे पर मैं पूरा खरा उतरने की कोशिश करूंगा। पिछले कुछ समय से आरपीएससी की प्रतिष्ठा को जो आघात लगीहै उसे पुन: स्थापित करूंगा और युवाओं का विश्वास स्थापित करूंगा। भर्ती में पेपर लीक जैसे मामलों को लेकर कहा कि वो खुद शिक्षक रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में वर्षों तक चिकित्सा शिक्षा में काम किया है इसलिए पेपर की गोपनीयता, क्वालिटी, पेपर की सुरक्षा, परीक्षा की पद्धति से बहुत अच्छी तरह से वाकिफ है। इसलिए इन सब का लाभ लेंगे। किस तरह का नवाचार करेंगे इस पर कहां की अभी एक बार कार्यभार संभालेंगे इसके बाद युवाओं का विश्वास किस तरीके से स्थापित हो उसके लिए पूरा प्रयास करेंगे। सदस्य बनने के बाद किस तरह के चैलेंज देखते हैं। इसको लेकर पूछे सवाल पर कहा कि बहुत ही भारी चैलेंज है। परीक्षा में बैठने वाले परीक्षार्थियों की संख्या बहुत भारी है। इतनी बड़ी भारी संख्या में परीक्षार्थियों की संख्या को मैनेज करना, परीक्षा की गोपनीयता, पेपर की क्वॉलिटी मेंटेन करना बहुत भारी चैलेंज है, लेकिन टीमवर्क के साथ काम करेंगे। युवाओं को किस तरीके का भरोसा दिलाना चाहेंगे इस पर कहा कि वह युवाओं को विश्वास दिलाना चाहते हैं कि अब उनके मन में कभी भी ऐसा शक करने का कारण नहीं है। मेरा जीवन पूरा इसी में समर्पित रहा है और आगे भी रहेगा। डॉक्टर अशोक कलवार मूल रूप से पाली जिले के रायपुर के रहने वाले हैं। पिता बीएल मेवाड़ा खेती किसानी का काम करते थे। गांव में कक्षा 6 तक की पढ़ाई पूरी की। स्कूल नहीं होने पर उस समय स्कूली शिक्षा ब्यावर से की। इसके बाद जोधपुर के SN मेंडिकल कॉलेज से 1989 में MBBS की। इसके बाद मुंबई के टाटा 1991 में RPSC से ही चयन होकर बीकानेर के मेडिकल कॉलेज में लेक्चरर बने। नौकरी लगने के बाद साल 1998/99 में टाटा कैंसर अस्पताल मुंबई से स्नातकोतर की। इसके बाद बंगलौर से बच्चों के कैंसर और कीमोथेरेपी में विशेषता हासिल की। साल 2012/13 बीकानेर के PBM कॉलेज में रहे। इसके बाद ट्रांसफर होने के बाद जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल में एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर कार्य किया 2 साल तक यहां पर कार्य करने के बाद कहीं अन्य जगह पर ट्रांसफर हो गया। इस पर साल 2016 में स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली। उसके बाद जोधपुर में प्राइवेट हॉस्पिटल में काम करना शुरू किया। कलवार के एक बेटा डॉक्टर अभिषेक मेवाड़ा अजमेर से कैंसर में पीजी कर रहे हैं। जबकि अदिति मेवाड़ा MBBS कर चुकी है। जबकि पत्नी कविता मेवाड़ा ने एजुकेशन में PHD की है। वर्तमान में सेंट पेट्रिक स्कूल में अध्यापिका है। डॉक्टर अशोक बचपन से ही संघ से जुड़े हुए थे।

Sep 23, 2025 - 23:21
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जोधपुर के डॉक्टर अशोक कलवार बने RPSC मेंबर:संघ की शाखा से लौटे, घर पहुंचे तो पता चला, बोले युवाओं के भविष्य के साथ नहीं होने देंगे खिलवाड़
आरपीएससी की ओर से तीन नए सदस्यों की नियुक्ति की गई है इसमें जोधपुर के रहने वाले डॉक्टर अशोक कलवार का नाम भी शामिल है। डॉक्टर अशोक कलवार के नाम की जानकारी सामने आई तब वो संघ की शाखा से घर वापस लौटे थे। इस दौरान उन्होंने दैनिक भास्कर के साथ खास बातचीत की। उन्होंने कहा कि बहुत बड़ा विश्वाश उन पर सरकार ने जताया हैं। मुझे लगता है ये बहुत बड़ा चैलेंज है, लेकिन मेरा जीवन चिकित्सा शिक्षा से जुड़ा हुआ है। इसलिए इस क्षेत्र में बेहतर करने की कोशिश करूंगा। डॉक्टर अशोक ने बताया कि सदस्य नियुक्त होने के बाद जनता का, सरकार का और युवाओं का जो भरोसा है उसे पर मैं पूरा खरा उतरने की कोशिश करूंगा। पिछले कुछ समय से आरपीएससी की प्रतिष्ठा को जो आघात लगीहै उसे पुन: स्थापित करूंगा और युवाओं का विश्वास स्थापित करूंगा। भर्ती में पेपर लीक जैसे मामलों को लेकर कहा कि वो खुद शिक्षक रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में वर्षों तक चिकित्सा शिक्षा में काम किया है इसलिए पेपर की गोपनीयता, क्वालिटी, पेपर की सुरक्षा, परीक्षा की पद्धति से बहुत अच्छी तरह से वाकिफ है। इसलिए इन सब का लाभ लेंगे। किस तरह का नवाचार करेंगे इस पर कहां की अभी एक बार कार्यभार संभालेंगे इसके बाद युवाओं का विश्वास किस तरीके से स्थापित हो उसके लिए पूरा प्रयास करेंगे। सदस्य बनने के बाद किस तरह के चैलेंज देखते हैं। इसको लेकर पूछे सवाल पर कहा कि बहुत ही भारी चैलेंज है। परीक्षा में बैठने वाले परीक्षार्थियों की संख्या बहुत भारी है। इतनी बड़ी भारी संख्या में परीक्षार्थियों की संख्या को मैनेज करना, परीक्षा की गोपनीयता, पेपर की क्वॉलिटी मेंटेन करना बहुत भारी चैलेंज है, लेकिन टीमवर्क के साथ काम करेंगे। युवाओं को किस तरीके का भरोसा दिलाना चाहेंगे इस पर कहा कि वह युवाओं को विश्वास दिलाना चाहते हैं कि अब उनके मन में कभी भी ऐसा शक करने का कारण नहीं है। मेरा जीवन पूरा इसी में समर्पित रहा है और आगे भी रहेगा। डॉक्टर अशोक कलवार मूल रूप से पाली जिले के रायपुर के रहने वाले हैं। पिता बीएल मेवाड़ा खेती किसानी का काम करते थे। गांव में कक्षा 6 तक की पढ़ाई पूरी की। स्कूल नहीं होने पर उस समय स्कूली शिक्षा ब्यावर से की। इसके बाद जोधपुर के SN मेंडिकल कॉलेज से 1989 में MBBS की। इसके बाद मुंबई के टाटा 1991 में RPSC से ही चयन होकर बीकानेर के मेडिकल कॉलेज में लेक्चरर बने। नौकरी लगने के बाद साल 1998/99 में टाटा कैंसर अस्पताल मुंबई से स्नातकोतर की। इसके बाद बंगलौर से बच्चों के कैंसर और कीमोथेरेपी में विशेषता हासिल की। साल 2012/13 बीकानेर के PBM कॉलेज में रहे। इसके बाद ट्रांसफर होने के बाद जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल में एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर कार्य किया 2 साल तक यहां पर कार्य करने के बाद कहीं अन्य जगह पर ट्रांसफर हो गया। इस पर साल 2016 में स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली। उसके बाद जोधपुर में प्राइवेट हॉस्पिटल में काम करना शुरू किया। कलवार के एक बेटा डॉक्टर अभिषेक मेवाड़ा अजमेर से कैंसर में पीजी कर रहे हैं। जबकि अदिति मेवाड़ा MBBS कर चुकी है। जबकि पत्नी कविता मेवाड़ा ने एजुकेशन में PHD की है। वर्तमान में सेंट पेट्रिक स्कूल में अध्यापिका है। डॉक्टर अशोक बचपन से ही संघ से जुड़े हुए थे।