डोनाल्ड ट्रंप को तालिबान और चीन ने दिया झटका, बगराम में अड्‍डा बनाना चाहता है अमेरिका

Donald Trump News: चीन और तालिबान ने शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने चीन की सीमा के पास स्थित अफगानिस्तान की रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बगराम एयरबेस को दोबारा हासिल करने की बात कही थी।

Sep 20, 2025 - 00:49
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डोनाल्ड ट्रंप को तालिबान और चीन ने दिया झटका, बगराम में अड्‍डा बनाना चाहता है अमेरिका


Donald Trump News: चीन और तालिबान ने शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने चीन की सीमा के पास स्थित अफगानिस्तान की रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बगराम एयरबेस को दोबारा हासिल करने की बात कही थी। बीजिंग ने क्षेत्रीय टकराव भड़काने के किसी भी प्रयास के खिलाफ चेतावनी दी, जबकि काबुल ने दोहराया कि अफगानों ने कभी भी विदेशी सैन्य मौजूदगी को स्वीकार नहीं किया।

 

बगराम एयरबेस एक विशाल सैन्य ठिकाना है, जिसे अमेरिकी सैनिकों ने चार साल पहले 2021 में छोड़ दिया था, जब तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडेन के आदेश पर अमेरिका ने अफगानिस्तान से अचानक वापसी की थी और उसी दौरान तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया था।

 

अमेरिका चाहता है बगराम में सैन्य अड्‍डा : ट्रंप ने बृहस्पतिवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टॉर्मर के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह इस एयरबेस को वापस पाने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि यह उस स्थान के पास है, जहां चीन अपने परमाणु हथियार बनाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ब्रिटेन के राजकीय दौरे पर थे। रूस के यूक्रेन पर आक्रमण को समाप्त कराने के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में ट्रंप ने इस बेस का जिक्र किया और कहा कि हम इसे वापस पाने की कोशिश कर रहे हैं।

 

क्या कहा अफगानिस्तान ने : ट्रंप की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तालिबान अधिकारी जाकिर जलाल ने कहा कि अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार इस विचार को ‘पूरी तरह से खारिज’ करती है। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि अफगानिस्तान और अमेरिका को एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने की जरूरत है और वे आपसी सम्मान और साझा लाभ के आधार पर आर्थिक और राजनीतिक संबंध बना सकते हैं, वह भी अफगानिस्तान के किसी भी हिस्से में अमेरिका की सैन्य मौजूदगी के बिना।

 

जलाल ने कहा कि अफगानिस्तान ने इतिहास में कभी भी सैन्य मौजूदगी को स्वीकार नहीं किया है और दोहा वार्ता तथा समझौते के दौरान इस संभावना को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया था, लेकिन अन्य गतिविधियों के लिए दरवाजे खोल दिए गए हैं। चीन ने भी ट्रंप की टिप्पणी पर अपना विरोध जताया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने बीजिंग में प्रेस वार्ता में कहा कि ‘क्षेत्र में तनाव और टकराव को बढ़ावा देने का समर्थन नहीं किया जाएगा’।

 

उन्होंने कहा कि चीन अफगानिस्तान की स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है... अफगानिस्तान का भविष्य अफगान लोगों के हाथों में होना चाहिए। लिन ने कहा कि मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि क्षेत्र में तनाव और टकराव को बढ़ावा देने का समर्थन नहीं किया जाएगा। हम उम्मीद करते हैं कि सभी पक्ष क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए रचनात्मक भूमिका निभाएंगे।

 

चीन जाएंगे ट्रंप : दूसरी ओर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि वह और चीनी नेता शी ‍जिनपिंग अगले महीने दक्षिण कोरिया में एक शिखर सम्मेलन में मिलेंगे और वह अगले साल की शुरुआत में चीन की यात्रा करेंगे। ट्रंप ने शुक्रवार को जिनपिंग से फोन पर बात की, ताकि लोकप्रिय सोशल मीडिया ऐप ‘टिकटॉक’ अमेरिका में संचालित करने की अनुमति देने के लिए एक समझौते को अंतिम रूप दिया जा सके।

 

ट्रंप द्वारा फिर से राष्ट्रपति का पदभार संभालने और चीन पर बहुत ऊंचे शुल्क (टैरिफ) लगाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति की यह चिनफिंग के साथ दूसरी बातचीत है। टैरिफ के कारण दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आ गया था। हालांकि ट्रंप बीजिंग के साथ व्यापार समझौतों पर बातचीत करने की इच्छा व्यक्त कर चुके हैं, खासकर टिकटॉक के मामले में। दरअसल ‘टिकटॉक’ की मूल कंपनी अपनी नियंत्रक हिस्सेदारी नहीं बेचती है तो उसे अमेरिका में प्रतिबंध का सामना करना पड़ सकता है। (भाषा/वेबदुनिया)

Edited by: Vrijendra Singh Jhala