SDG-8 : सुरक्षित रोजगार से ही सबकी भलाई वाला आर्थिक विकास संभव
एक सुरक्षित और सम्मानजनक रोजगारपरक कामकाज हासिल करना, हर व्यक्ति का अधिकार है, जिसे आसान बनाना या जिसके लिए अनुकूल परिस्थितियां सृजित करना देशों की सरकारों की ज़िम्मेदारी है। सतत विकास लक्ष्य 8 (SDG-8) इसी सोच को आगे बढ़ाता है जिसका उद्देश्य सभी के ...

एक सुरक्षित और सम्मानजनक रोजगारपरक कामकाज हासिल करना, हर व्यक्ति का अधिकार है, जिसे आसान बनाना या जिसके लिए अनुकूल परिस्थितियां सृजित करना देशों की सरकारों की ज़िम्मेदारी है। सतत विकास लक्ष्य 8 (SDG-8) इसी सोच को आगे बढ़ाता है जिसका उद्देश्य सभी के लिए स्थिर आर्थिक विकास, उत्पादक रोजगार और गरिमामय या सम्मानजनक रोजगार वाला कामकाज सुनिश्चित करना है। इसके बिना सतत और सबको साथ लेकर चलने वाला आर्थिक विकास संभव नहीं है।
यह लक्ष्य न केवल रोजगार के अवसर बढ़ाने पर बल देता है, बल्कि युवाओं और महिलाओं के लिए सुरक्षित, समावेशी और न्यायपूर्ण कार्यस्थल बनाने, उद्यमिता को प्रोत्साहित करने और आर्थिक विकास को हर वर्ग तक पहुंचाने पर भी ध्यान केन्द्रित करता है।
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मगर इस लक्ष्य की राह में coronavirus>COVID-19 के बाद की चुनौतियां, व्यापार तनाव, बढ़ता क़र्ज़ और वैश्विक असुरक्षा बड़ी रुकावट बने हैं। वर्ष 2021 में प्रति व्यक्ति वास्तविक वैश्विक सकल घरेलु उत्पाद (GDP) में सुधार देखा गया, लेकिन 2022 में यह धीमा हुआ और 2025 में केवल 1.5 प्रतिशत वृद्धि की सम्भावना है।
क्या है गरिमामय काम?
गरिमामय कामकाज का अर्थ है ऐसा रोजगार जो उत्पादक हो, उचित आय दे, कार्यस्थल पर सुरक्षा और सामाजिक संरक्षण सुनिश्चित करे, और व्यक्तिगत विकास व सामाजिक समावेशन के अवसर प्रदान करे।
रोजगार और असमानताएं
2024 में वैश्विक बेरोजगारी दर 5 फ़ीसदी के साथ रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिर गई, लेकिन लगभग 58 फ़ीसदी कर्मचारी अब भी अनौपचारिक रोजगार में हैं, विशेषकर कम विकसित देशों और सब-सहारा अफ़्रीका में। अनौपचारिक रोजगार का मतलब है जिस कामकाज में मेहनताना यानी वेतन व अन्य सुविधाएं और अधिकार निर्धारित नहीं होते हैं।
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इससे युवा और महिलाएं सबसे अधिक प्रभावित हैं। साथ ही 15–24 आयु वर्ग के लगभग 26 करोड़ युवा, यानि हर पांच में से एक शिक्षा, रोजगार या प्रशिक्षण (NEET) में नहीं हैं। इस आंकड़े में युवा महिलाएं, पुरुषों की तुलना में दोगुनी मुश्किलों का सामना कर रही हैं।
इसके अलावा, 2015–2023 के बीच वैश्विक स्तर पर श्रमिक अधिकारों के पालन में 7 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं 2024 में बाल श्रम घटकर लगभग 13 करोड़ 80 लाख बच्चों तक पहुंच गया, फिर भी 2025 के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इसमें तेज़ी लाने की आवश्यकता है।
उसी वर्ष युवा बेरोजगारी 12।9 प्रतिशत रही, जो वयस्क दर (3।7 प्रतिशत) से लगभग तीन गुना अधिक है। इसके अलावा, सब-सहारा अफ़्रीका और कम विकसित देशों में हर 10 में से 9 श्रमिक, अनौपचारिक रूप से काम कर रहे हैं, जिससे वे सामाजिक सुरक्षा और क़ानूनी सुरक्षा से वंचित हैं।
क्या है इसका हल?
इस समय, गरिमामय रोजगार के पर्याप्त अवसर नहीं होना, धन व संसाधन निवेश की कमी और कम उपभोग भी एक बड़ी बाधा हैं। SDG-8 को पूरा करने के लिए वित्तीय प्रणाली में सुधार, बढ़ते क़र्ज़, आर्थिक अनिश्चितता और व्यापार तनाव से निपटना आवश्यक है।
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इसके साथ ही युवाओं और महिलाओं के लिए समान वेतन, सुरक्षित और समर्थनपूर्ण कार्यस्थल, औपचारिक रोजगार, उद्यमिता और नवाचार को बढ़ावा देना ज़रूरी है। इस लक्ष्य की कुंजी, युवाओं को गुणवत्ता वाली शिक्षा और प्रशिक्षण देना, उनके कौशल को बाज़ार की मांग के अनुरूप बनाना और उन्हें सामाजिक सुरक्षा एवं बुनियादी सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना है।
साथ ही देशों की सरकारों को सतत, नवाचारी और लोगों पर केन्द्रित अर्थव्यवस्थाएं बनानी होंगी, जिसमें युवाओं और महिलाओं को रोजगार दिए जाने को प्राथमिकता दी जाए।