प्रवर्तन निदेशालय ने फ्लिपकार्ट समर्थित ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म मिंत्रा, संबंधित कंपनियों और निदेशकों के खिलाफ 1,654 करोड़ रुपये से अधिक के एफडीआई उल्लंघन के लिए फेमा मामला दर्ज किया। ईडी ने कहा कि संघीय एजेंसी को विश्वसनीय जानकारी मिलने के बाद विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम की धारा 16(3) के तहत शिकायत दर्ज की गई है कि मिंत्रा डिज़ाइन्स प्राइवेट लिमिटेड, जिसका ब्रांड नाम मिंत्रा है, और उसकी संबंधित कंपनियाँ थोक कैश एंड कैरी की आड़ में बहु-ब्रांड खुदरा व्यापार कर रही हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा कि यह मौजूदा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) दिशानिर्देशों का कथित उल्लंघन है। बेंगलुरु स्थित मिंत्रा, उससे जुड़ी कंपनियों और उसके निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। जांच एजेंसी ने कहा कि उसे सूचना मिली थी कि मिंत्रा और उसकी सहयोगी कंपनियां भारत में लागू विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति का उल्लंघन करते हुए 'थोक कैश एंड कैरी' कारोबार के नाम पर मल्टी-ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग (एमबीआरटी) कर रही थीं। जांच एजेंसी की जाँच के अनुसार, मिंत्रा ने दिखाया कि वह थोक कारोबार कर रही है और इसी आधार पर 1654 करोड़ रुपये से अधिक का विदेशी निवेश लिया गया। लेकिन वास्तव में, मिंत्रा ने अपने सभी उत्पाद वेक्टर ई-कॉमर्स प्राइवेट लिमिटेड को बेचे, जो उन्हें सामान्य ग्राहकों को खुदरा रूप में बेचती थी।
मिंत्रा और वेक्टर ई-कॉमर्स दोनों एक ही समूह की कंपनियाँ हैं। एक कंपनी से दूसरी कंपनी को सामान भेजकर B2B (बिजनेस टू बिजनेस) दिखाया जाता था और फिर उसी समूह की एक अन्य कंपनी उसे आम ग्राहकों को बेचकर B2C (बिजनेस टू कस्टमर) में बदल देती थी। इसका उद्देश्य कानूनी तौर पर थोक व्यापार दिखाना था, लेकिन वास्तव में खुदरा व्यापार होना चाहिए।