125 किलो गोबर से 8 घंटे में बनाया गोवर्धन स्वरूप:गहनों से किया श्रृंगार, 501 किलो के प्रसाद का लगाया भोग, सवाई माधोपुर में ट्रैक्टरों से परिक्रमा
राजस्थान में बुधवार को गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का आयोजन किया जा रहा है। कोटा में 45 साल पुरानी परंपरा के अनुसार 125 किलो गाय के गोबर से भगवान गोवर्धन का स्वरूप बनाया गया है। सवाई माधोपुर जिले के मलारना डूंगर उपखंड के भारजा नदी ग्राम पंचायत मुख्यालय पर 200 साल पुरानी परंपरा निभाई जा रही है। यहां गांव के लोगों ने सामूहिक रूप से गोवर्धन का बड़ा स्वरूप बनाया गया है। लोग ट्रैक्टर सहित अपने-अपने वाहनों से गोवर्धन के स्वरूप की परिक्रमा लगा रहे हैं। कोटा: सात से आठ घंटे में बनाया गोवर्धन स्वरूप, सोने-चांदी के गहनों से सजाया कोटा में गोवर्धन पूजा के मौके पर भक्ति और परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिला। शहर के खेड़ली फाटक इलाके में इस बार गोवर्धन पूजा खास रही। करीब 125 किलो गाय के गोबर से भगवान गोवर्धन का भव्य स्वरूप बनाया गया। इस गोवर्धन स्वरूप को बनाने में परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों की सात से आठ घंटे की मेहनत लगी। वहीं गोवर्धन स्वरूप को सोने-चांदी के गहनों से भी सजाया गया है। क्षेत्र का एक परिवार करीब 45 वर्षों से यह गोवर्धन स्वरूप बना रहा है। प्रसादी बनाने के लिए 501 किलो 56 भोग के अलावा 5 क्विंटल शक्कर, 5 क्विंटल आटा और करीब 7 क्विंटल सब्जी का उपयोग भी किया गया। वहीं गोवर्धन स्वरूप के दर्शन के लिए शहर के 5 से 7 हजार लोग यहां रात तक आएंगे। पहले देखें गोवर्धन स्वरूप और पूजा करने की PHOTOS परिवार के सदस्य 15 दिन पहले शुरू कर देते तैयारी यह परंपरा निभा रहे नंदकिशोर शर्मा उर्फ नंदू स्थानीय वार्ड पार्षद भी हैं। शर्मा का परिवार 45 वर्षों से यह आयोजन बड़े श्रद्धाभाव से करता आ रहा है। इसकी तैयारी करीब 15 दिन पहले से शुरू हो गई थी। गोबर की व्यवस्था के लिए पशुपालकों से संपर्क किया गया। फिर आज पूजा के दिन शुभ मुहूर्त में टंकियों में भरकर गोबर लाया गया। गोवर्धन स्वरूप का गहनों से किया श्रृंगार, मथुरा से मंगवाई गई पोशाक अनीता शर्मा ने बताया कि भगवान गोवर्धन के स्वरूप का सोने और चांदी के गहनों से श्रृंगार किया गया है। गले में सोने की आड़, नथ, चांदी का मुकुट, छड़ी, बंशी, कानों में कुंडल, हाथ-पैरों में चांदी के कड़े हर आभूषण श्रद्धा की चमक बिखेर रहा है। खास बात यह कि भगवान की पोशाक मथुरा से विशेष रूप से मंगाई गई है, जिसे हर साल नए रूप में तैयार करवाया जाता है। 501 किलो का बनाया 56 भोग प्रसाद, 5-5 क्विंटल शक्कर-आटा और 7 क्विंटल से अन्य सामग्री अनीता शर्मा ने बताया पूजा के बाद भगवान को 56 भोग लगाए गए। इन व्यंजनों को शुद्ध देसी घी से तैयार किया गया, जिनमें मिठाइयों और पारंपरिक पकवानों की खुशबू ने माहौल को भक्तिमय बना दिया। यहां हर साल प्रसादी की क्वांटिटी बढ़ती रहती है। प्रसादी बनाने के लिए 501 किलो 56 भोग के अलावा 5 क्विंटल शक्कर, 5 क्विंटल आटा और करीब 7 क्विंटल सब्जी का उपयोग भी किया गया। प्रसाद बनाने के लिए मथुरा के जतीपुरा और कानपुर के हलवाई कोटा आते हैं। दीपावली के एक दिन पहले से प्रसादी बनना शुरू हो जाती है। प्रसादी में सहयोग के लिए आसपास के लोग और भक्त भी हिस्सा लेते हैं। कोई सामग्री लाता है तो कोई आर्थिक योगदान देता है। पूजा में पहले 50 लोग होते थे शामिल, अब हजारों लोग करते दर्शन और लेते प्रसादी
अनीता शर्मा ने बताया कि खेड़ली फाटक की यह गोवर्धन पूजा 45 वर्षों से चली आ रही है। नंदकिशोर के माता-पिता पहले इस परंपरा को निभा रहे थे। उनके देहांत के बाद अब नंदकिशोर और उनकी पत्नी इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं। शुरुआत में 50 लोग ही पूजा में शामिल होते थे। वहीं अब कोटा के 5 से 7 हजार लोग यहां आते हैं। तीन से चार कॉलोनी में भक्तों के प्रसादी ग्रहण करने के लिए व्यवस्था की जाती है। आरती के बाद देर रात तक प्रसादी का वितरण चलता रहेगा। यहां सवाई माधोपुर में ट्रैक्टरों से लगाई गोवर्धन परिक्रमा, 200 साल पुरानी परंपरा सवाई माधोपुर जिले के मलारना डूंगर उपखंड के भारजा नदी ग्राम पंचायत मुख्यालय पर दीपावली के दूसरे दिन बुधवार को सामूहिक गोवर्धन स्वरूप की पूजा की गई। यहां गोवर्धन परिक्रमा की 200 साल पुरानी परंपरा निभाई जा रही है। पूजा के दौरान भारजा नदी सहित आसपास के गांवों से सैकड़ों महिला और पुरुषों का सैलाब उमड़ा। लोगों ने सामूहिक गोवर्धन पूजा कर अपने-अपने वाहनों से गोवर्धन स्वरूप की परिक्रमा लगाई। पूरे गांव के लोग बनाते हैं गोबर से सामूहिक गोवर्धन स्वरूप
हर साल भारजा नदी गांव में सामूहिक गोवर्धन के स्वरूप की पूजा की जाती है। जो आस-पास क्षेत्र में चर्चा का विषय रहता है। यहां पूरे गांव के लोग एक जगह सामूहिक रूप से बड़े आकार का गोबर के गोवर्धन का स्वरूप बनाते हैं। जहां शुभ मुहूर्त के अनुसार गोवर्धन की पूजा-अर्चना की जाती है। गोवर्धन पूजा के बाद सभी लोग अपने-अपने दुपहिया और चौपहिया वाहनों से गोवर्धन के स्वरूप की परिक्रमा करते हैं। इस दौरान युवा आतिशबाजी करते हैं। गांव के बुजुर्गों की मानें तो करीब 200 साल पहले यहां के लोग सामूहिक रूप से गोवर्धन पूजा की परंपरा निभा रहे हैं। आबादी बढ़ते से सामूहिक गोवर्धन पूजा की मान्यता बढ़ गई। पहले खेती का काम करने वाले बैल और कृषि यंत्रों की पूजा करना शुभ माना जाता था। अब किसानों के पास बैल नहीं हैं। इसलिए वे गोवर्धन पूजा के दौरान खासकर ट्रैक्टरों की पूजा करते हैं। जयपुर के अक्षयपात्र में भी बनाया गोवर्धन का स्वरूप, दर्शन के लिए उमड़े भक्त
राजस्थान में बुधवार को गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का आयोजन किया जा रहा है। कोटा में 45 साल पुरानी परंपरा के अनुसार 125 किलो गाय के गोबर से भगवान गोवर्धन का स्वरूप बनाया गया है। सवाई माधोपुर जिले के मलारना डूंगर उपखंड के भारजा नदी ग्राम पंचायत मुख्यालय पर 200 साल पुरानी परंपरा निभाई जा रही है। यहां गांव के लोगों ने सामूहिक रूप से गोवर्धन का बड़ा स्वरूप बनाया गया है। लोग ट्रैक्टर सहित अपने-अपने वाहनों से गोवर्धन के स्वरूप की परिक्रमा लगा रहे हैं। कोटा: सात से आठ घंटे में बनाया गोवर्धन स्वरूप, सोने-चांदी के गहनों से सजाया कोटा में गोवर्धन पूजा के मौके पर भक्ति और परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिला। शहर के खेड़ली फाटक इलाके में इस बार गोवर्धन पूजा खास रही। करीब 125 किलो गाय के गोबर से भगवान गोवर्धन का भव्य स्वरूप बनाया गया। इस गोवर्धन स्वरूप को बनाने में परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों की सात से आठ घंटे की मेहनत लगी। वहीं गोवर्धन स्वरूप को सोने-चांदी के गहनों से भी सजाया गया है। क्षेत्र का एक परिवार करीब 45 वर्षों से यह गोवर्धन स्वरूप बना रहा है। प्रसादी बनाने के लिए 501 किलो 56 भोग के अलावा 5 क्विंटल शक्कर, 5 क्विंटल आटा और करीब 7 क्विंटल सब्जी का उपयोग भी किया गया। वहीं गोवर्धन स्वरूप के दर्शन के लिए शहर के 5 से 7 हजार लोग यहां रात तक आएंगे। पहले देखें गोवर्धन स्वरूप और पूजा करने की PHOTOS परिवार के सदस्य 15 दिन पहले शुरू कर देते तैयारी यह परंपरा निभा रहे नंदकिशोर शर्मा उर्फ नंदू स्थानीय वार्ड पार्षद भी हैं। शर्मा का परिवार 45 वर्षों से यह आयोजन बड़े श्रद्धाभाव से करता आ रहा है। इसकी तैयारी करीब 15 दिन पहले से शुरू हो गई थी। गोबर की व्यवस्था के लिए पशुपालकों से संपर्क किया गया। फिर आज पूजा के दिन शुभ मुहूर्त में टंकियों में भरकर गोबर लाया गया। गोवर्धन स्वरूप का गहनों से किया श्रृंगार, मथुरा से मंगवाई गई पोशाक अनीता शर्मा ने बताया कि भगवान गोवर्धन के स्वरूप का सोने और चांदी के गहनों से श्रृंगार किया गया है। गले में सोने की आड़, नथ, चांदी का मुकुट, छड़ी, बंशी, कानों में कुंडल, हाथ-पैरों में चांदी के कड़े हर आभूषण श्रद्धा की चमक बिखेर रहा है। खास बात यह कि भगवान की पोशाक मथुरा से विशेष रूप से मंगाई गई है, जिसे हर साल नए रूप में तैयार करवाया जाता है। 501 किलो का बनाया 56 भोग प्रसाद, 5-5 क्विंटल शक्कर-आटा और 7 क्विंटल से अन्य सामग्री अनीता शर्मा ने बताया पूजा के बाद भगवान को 56 भोग लगाए गए। इन व्यंजनों को शुद्ध देसी घी से तैयार किया गया, जिनमें मिठाइयों और पारंपरिक पकवानों की खुशबू ने माहौल को भक्तिमय बना दिया। यहां हर साल प्रसादी की क्वांटिटी बढ़ती रहती है। प्रसादी बनाने के लिए 501 किलो 56 भोग के अलावा 5 क्विंटल शक्कर, 5 क्विंटल आटा और करीब 7 क्विंटल सब्जी का उपयोग भी किया गया। प्रसाद बनाने के लिए मथुरा के जतीपुरा और कानपुर के हलवाई कोटा आते हैं। दीपावली के एक दिन पहले से प्रसादी बनना शुरू हो जाती है। प्रसादी में सहयोग के लिए आसपास के लोग और भक्त भी हिस्सा लेते हैं। कोई सामग्री लाता है तो कोई आर्थिक योगदान देता है। पूजा में पहले 50 लोग होते थे शामिल, अब हजारों लोग करते दर्शन और लेते प्रसादी
अनीता शर्मा ने बताया कि खेड़ली फाटक की यह गोवर्धन पूजा 45 वर्षों से चली आ रही है। नंदकिशोर के माता-पिता पहले इस परंपरा को निभा रहे थे। उनके देहांत के बाद अब नंदकिशोर और उनकी पत्नी इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं। शुरुआत में 50 लोग ही पूजा में शामिल होते थे। वहीं अब कोटा के 5 से 7 हजार लोग यहां आते हैं। तीन से चार कॉलोनी में भक्तों के प्रसादी ग्रहण करने के लिए व्यवस्था की जाती है। आरती के बाद देर रात तक प्रसादी का वितरण चलता रहेगा। यहां सवाई माधोपुर में ट्रैक्टरों से लगाई गोवर्धन परिक्रमा, 200 साल पुरानी परंपरा सवाई माधोपुर जिले के मलारना डूंगर उपखंड के भारजा नदी ग्राम पंचायत मुख्यालय पर दीपावली के दूसरे दिन बुधवार को सामूहिक गोवर्धन स्वरूप की पूजा की गई। यहां गोवर्धन परिक्रमा की 200 साल पुरानी परंपरा निभाई जा रही है। पूजा के दौरान भारजा नदी सहित आसपास के गांवों से सैकड़ों महिला और पुरुषों का सैलाब उमड़ा। लोगों ने सामूहिक गोवर्धन पूजा कर अपने-अपने वाहनों से गोवर्धन स्वरूप की परिक्रमा लगाई। पूरे गांव के लोग बनाते हैं गोबर से सामूहिक गोवर्धन स्वरूप
हर साल भारजा नदी गांव में सामूहिक गोवर्धन के स्वरूप की पूजा की जाती है। जो आस-पास क्षेत्र में चर्चा का विषय रहता है। यहां पूरे गांव के लोग एक जगह सामूहिक रूप से बड़े आकार का गोबर के गोवर्धन का स्वरूप बनाते हैं। जहां शुभ मुहूर्त के अनुसार गोवर्धन की पूजा-अर्चना की जाती है। गोवर्धन पूजा के बाद सभी लोग अपने-अपने दुपहिया और चौपहिया वाहनों से गोवर्धन के स्वरूप की परिक्रमा करते हैं। इस दौरान युवा आतिशबाजी करते हैं। गांव के बुजुर्गों की मानें तो करीब 200 साल पहले यहां के लोग सामूहिक रूप से गोवर्धन पूजा की परंपरा निभा रहे हैं। आबादी बढ़ते से सामूहिक गोवर्धन पूजा की मान्यता बढ़ गई। पहले खेती का काम करने वाले बैल और कृषि यंत्रों की पूजा करना शुभ माना जाता था। अब किसानों के पास बैल नहीं हैं। इसलिए वे गोवर्धन पूजा के दौरान खासकर ट्रैक्टरों की पूजा करते हैं। जयपुर के अक्षयपात्र में भी बनाया गोवर्धन का स्वरूप, दर्शन के लिए उमड़े भक्त