India-US trade talks: शुल्क में कटौती पर सहमति, रूस से तेल खरीद पर दिल्ली का कड़ा रुख।: शुल्क में कटौती पर सहमति, रूस से तेल खरीद पर दिल्ली का कड़ा रुख

ChatGPT said:इस सप्ताह भारत के व्यापार प्रतिनिधि वॉशिंगटन में मौजूद हैं ताकि भारत-अमेरिका के लंबित व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया जा सके। बता दें कि इस बातचीत में तीन प्रमुख पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। पहला, “बैकचैनल” वार्ता लगातार जारी रही है और रक्षा तथा रणनीतिक संबंध सामान्य बने हुए हैं, जिससे व्यापारिक रुकावट का असर रणनीतिक साझेदारी पर नहीं पड़ेगा। यदि वार्ता सफल रहती है, तो अमेरिका द्वारा लगाए गए कुल 50% शुल्क को काफी कम किया जा सकता है। दूसरा, भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि कुछ मामलों में कोई समझौता नहीं होगा, भले ही इसके लिए कीमत चुकानी पड़े। नई दिल्ली अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने पर जोर दे रही है और रूस जैसे समय-परीक्षित साझेदार के साथ व्यापार पर कोई समझौता नहीं करेगी। तीसरा, रूस से तेल की वर्तमान खरीद में आर्थिक लाभ पहले जितना नहीं है क्योंकि कीमतें लगभग 65 डॉलर प्रति बैरल हैं। निजी कंपनियां जैसे रिलायंस और नयारा एनर्जी अभी भी रूस से तेल खरीद रही हैं और अमेरिकी पक्ष ने उनके साथ अलग वार्ता शुरू की है। गौरतलब है कि भारत का मानना है कि रूस से तेल खरीद पर पूरी तरह रोक लगाना उसकी संप्रभुता में हस्तक्षेप होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में दावा किया कि मोदी ने उन्हें रूस से तेल खरीद बंद करने की बात कही, जिसे विदेश मंत्रालय ने खारिज किया। मौजूदा जानकारी के अनुसार, चीन की नई खनिज निर्यात नीतियां भी भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप के हालिया संपर्क और नए अमेरिकी राजदूत का दौरा वार्ता में नई गति लाया है, और भारत अमेरिकी ऊर्जा आयात बढ़ाकर अतिरिक्त शुल्क के प्रभाव को कम करने का संकेत दे रहा हैं।

Oct 22, 2025 - 12:20
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India-US trade talks: शुल्क में कटौती पर सहमति, रूस से तेल खरीद पर दिल्ली का कड़ा रुख।: शुल्क में कटौती पर सहमति, रूस से तेल खरीद पर दिल्ली का कड़ा रुख
ChatGPT said:

इस सप्ताह भारत के व्यापार प्रतिनिधि वॉशिंगटन में मौजूद हैं ताकि भारत-अमेरिका के लंबित व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया जा सके। बता दें कि इस बातचीत में तीन प्रमुख पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। पहला, “बैकचैनल” वार्ता लगातार जारी रही है और रक्षा तथा रणनीतिक संबंध सामान्य बने हुए हैं, जिससे व्यापारिक रुकावट का असर रणनीतिक साझेदारी पर नहीं पड़ेगा। यदि वार्ता सफल रहती है, तो अमेरिका द्वारा लगाए गए कुल 50% शुल्क को काफी कम किया जा सकता है।

दूसरा, भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि कुछ मामलों में कोई समझौता नहीं होगा, भले ही इसके लिए कीमत चुकानी पड़े। नई दिल्ली अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने पर जोर दे रही है और रूस जैसे समय-परीक्षित साझेदार के साथ व्यापार पर कोई समझौता नहीं करेगी। तीसरा, रूस से तेल की वर्तमान खरीद में आर्थिक लाभ पहले जितना नहीं है क्योंकि कीमतें लगभग 65 डॉलर प्रति बैरल हैं। निजी कंपनियां जैसे रिलायंस और नयारा एनर्जी अभी भी रूस से तेल खरीद रही हैं और अमेरिकी पक्ष ने उनके साथ अलग वार्ता शुरू की है।

गौरतलब है कि भारत का मानना है कि रूस से तेल खरीद पर पूरी तरह रोक लगाना उसकी संप्रभुता में हस्तक्षेप होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में दावा किया कि मोदी ने उन्हें रूस से तेल खरीद बंद करने की बात कही, जिसे विदेश मंत्रालय ने खारिज किया। मौजूदा जानकारी के अनुसार, चीन की नई खनिज निर्यात नीतियां भी भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप के हालिया संपर्क और नए अमेरिकी राजदूत का दौरा वार्ता में नई गति लाया है, और भारत अमेरिकी ऊर्जा आयात बढ़ाकर अतिरिक्त शुल्क के प्रभाव को कम करने का संकेत दे रहा हैं।