जीएसटी सुधारों से 12 प्रतिशत तक घट सकता है जम्मू-कश्मीर का राजस्व: मुख्यमंत्री अब्दुल्ला
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को कहा कि प्रस्तावित जीएसटी सुधारों से केंद्र शासित प्रदेश के राजस्व में 10 से 12 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। इससे वित्तीय संकट और बढ़ सकता है क्योंकि पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद राज्य का राजस्व ‘कम’ हो गया है। उन्होंने जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में प्रसारित अपने लिखित संबोधन में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त व्यवस्था स्थापित करने का आह्वान किया। अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘पर्यटन, परिवहन, निर्माण, वाहन जैसे अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्र अप्रैल, 2025 के बाद ठप हो गए हैं। प्रस्तावित सुधार हमारे जीएसटी राजस्व में 10 से 12 प्रतिशत की और कमी ला सकता है। इसलिए, जम्मू-कश्मीर के वित्त मंत्री के रूप में, मेरा मानना है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की वित्तीय स्थिरता के लिए उपयुक्त व्यवस्था और सुरक्षा उपाय स्थापित करना महत्वपूर्ण है।’’ उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर इस घटनाक्रम के विनाशकारी प्रभाव का जिक्र किया और स्थिति से निपटने के लिए, विशेष रूप से प्रस्तावित जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाने के मद्देनजर, केंद्र से सहयोग करने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हम दरों को युक्तिसंगत बनाने के प्रस्ताव पर आगे बढ़ सकते हैं। साथ ही राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को उनकी राजकोषीय स्थिरता के लिए क्षतिपूर्ति करने को एक व्यवस्था बना सकते हैं और दरों युक्तिसंगत बनाने से होने वाले लाभों को देश की जनता तक पहुंचाने के लिए उपाय भी कर सकते हैं।’’ अब्दुल्ला ने कहा कि जीएसटी सुधारों में अलग-अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सामने आने वाली विशिष्ट चुनौतियों पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अप्रैल, 2025 की ‘पहलगाम घटना’ से ‘झटका’ लगने से पहले स्थानीय अर्थव्यवस्था नई ऊर्जा प्राप्त कर रही थी। इस घटना और उसके बाद के घटनाक्रम ने पर्यटन, हस्तशिल्प, बागवानी और कृषि सहित प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों गंभीर रूप से प्रभावित किया है। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद से देश के सामने मौजूद ‘वैश्विक चुनौतियों’ और आतंकवादी हमले के बाद उनके क्षेत्र पर पड़े गंभीर राजकोषीय दबावों का समाधान करने का भी आग्रह किया।

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को कहा कि प्रस्तावित जीएसटी सुधारों से केंद्र शासित प्रदेश के राजस्व में 10 से 12 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। इससे वित्तीय संकट और बढ़ सकता है क्योंकि पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद राज्य का राजस्व ‘कम’ हो गया है।
उन्होंने जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में प्रसारित अपने लिखित संबोधन में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त व्यवस्था स्थापित करने का आह्वान किया।
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘पर्यटन, परिवहन, निर्माण, वाहन जैसे अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्र अप्रैल, 2025 के बाद ठप हो गए हैं। प्रस्तावित सुधार हमारे जीएसटी राजस्व में 10 से 12 प्रतिशत की और कमी ला सकता है। इसलिए, जम्मू-कश्मीर के वित्त मंत्री के रूप में, मेरा मानना है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की वित्तीय स्थिरता के लिए उपयुक्त व्यवस्था और सुरक्षा उपाय स्थापित करना महत्वपूर्ण है।’’
उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर इस घटनाक्रम के विनाशकारी प्रभाव का जिक्र किया और स्थिति से निपटने के लिए, विशेष रूप से प्रस्तावित जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाने के मद्देनजर, केंद्र से सहयोग करने को कहा।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हम दरों को युक्तिसंगत बनाने के प्रस्ताव पर आगे बढ़ सकते हैं। साथ ही राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को उनकी राजकोषीय स्थिरता के लिए क्षतिपूर्ति करने को एक व्यवस्था बना सकते हैं और दरों युक्तिसंगत बनाने से होने वाले लाभों को देश की जनता तक पहुंचाने के लिए उपाय भी कर सकते हैं।’’
अब्दुल्ला ने कहा कि जीएसटी सुधारों में अलग-अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सामने आने वाली विशिष्ट चुनौतियों पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अप्रैल, 2025 की ‘पहलगाम घटना’ से ‘झटका’ लगने से पहले स्थानीय अर्थव्यवस्था नई ऊर्जा प्राप्त कर रही थी।
इस घटना और उसके बाद के घटनाक्रम ने पर्यटन, हस्तशिल्प, बागवानी और कृषि सहित प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों गंभीर रूप से प्रभावित किया है। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद से देश के सामने मौजूद ‘वैश्विक चुनौतियों’ और आतंकवादी हमले के बाद उनके क्षेत्र पर पड़े गंभीर राजकोषीय दबावों का समाधान करने का भी आग्रह किया।