वस्तु एवं सेवा कर (GST) में हालिया कटौती ने वाहन बाजार में एक नई उम्मीद जगाई है। लंबे समय से ऑटोमोबाइल क्षेत्र मंदी, महँगाई और अनिश्चित मांग से जूझ रहा था। सरकार का यह कदम उपभोक्ताओं और निर्माताओं— दोनों के लिए राहत लेकर आया है। हम आपको बता दें कि सबसे बड़ी राहत छोटी कारों और 350cc तक की बाइकों को मिली है। इन पर टैक्स सीधे 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। इसका अर्थ है कि मारुति वैगन-आर, स्विफ्ट, टाटा टियागो, हुंडई i10 जैसे मॉडल अब 50 हज़ार से लेकर एक लाख रुपये तक सस्ते हो सकते हैं। दोपहिया बाजार में भी यह कमी उपभोक्ताओं को तुरंत महसूस होगी। भारतीय मध्यवर्ग की सबसे बड़ी आकांक्षा— “अपनी गाड़ी”— अब पहले से कुछ अधिक सुलभ हो जाएगी।
बड़ी कारों और SUVs पर भी असर पड़ा है। पहले इन पर कर और उपकर मिलाकर 50 प्रतिशत तक का बोझ था, जो अब घटकर 40 प्रतिशत रह गया है। इससे टाटा हैरियर, महिंद्रा XUV700, टोयोटा फॉर्च्यूनर और मर्सिडीज-बेंज जैसे मॉडल लाखों रुपये तक सस्ते हो सकते हैं। भले ही ये अब भी उच्च आय वर्ग की पहुँच में ही रहें, लेकिन उपभोक्ताओं के लिए यह कमी उल्लेखनीय है।
रिपोर्ट यह भी बताती है कि इलेक्ट्रिक वाहनों पर टैक्स दर 5 प्रतिशत ही बनी रहेगी। इसका अर्थ है कि सरकार फिलहाल EV सेक्टर को अलग से कोई अतिरिक्त प्रोत्साहन नहीं देना चाहती। वहीं, ट्रैक्टर जैसे कृषि उपकरणों पर कर घटाकर 12 से 5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में निवेश और गति की संभावना है।
देखा जाये तो यह कदम केवल मूल्य-कटौती भर नहीं है। यह सरकार की व्यापक “GST 2.0” रणनीति का हिस्सा है, जो टैक्स ढाँचे को सरल बनाने, उपभोग बढ़ाने और विनिर्माण को बल देने की कोशिश कर रही है। छोटे और मध्यम वर्ग के उपभोक्ता यदि नई खरीदारी के लिए आगे बढ़ते हैं तो यह न केवल वाहन उद्योग को सहारा देगा, बल्कि रोजगार और औद्योगिक उत्पादन पर भी सकारात्मक असर डालेगा।
फिर भी, यह सुधार अधूरा है। इलेक्ट्रिक वाहनों को विशेष लाभ न देकर, सरकार ने उस क्षेत्र में गति धीमी कर दी है, जहाँ भविष्य की सबसे बड़ी संभावनाएँ छिपी हैं। साथ ही, यह देखना बाकी है कि निर्माता और डीलर यह कर-कटौती पूरी तरह ग्राहकों तक पहुँचाते हैं या बीच का अंतर अपने मुनाफे में समेट लेते हैं।
वैसे इसमें कोई दो राय नहीं कि त्योहारी सीज़न के ठीक पहले आया यह निर्णय निश्चित रूप से बाजार में उत्साह बढ़ाएगा। यह कदम दर्शाता है कि उपभोक्ता-हित और आर्थिक प्रोत्साहन साथ-साथ चल सकते हैं। लेकिन आने वाले वर्षों में असली चुनौती यह होगी कि क्या हम इन सुधारों को स्थायी माँग में बदल पाएँगे, और क्या भारत का वाहन उद्योग वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपनी स्थिति मजबूत कर पाएगा।
हम आपको यह भी बता दें कि मारुति सुजुकी इंडिया ने कहा है कि जीएसटी को तर्कसंगत बनाने से वाहन उद्योग को सालाना आधार पर करीब सात प्रतिशत की वृद्धि दर पर लौटने में मदद मिलेगी। मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आर.सी. भार्गव ने एक बयान में कहा कि मोटर वाहन उद्योग तेज आर्थिक वृद्धि का प्रत्यक्ष लाभार्थी होगा। उन्होंने आगे कहा, ‘‘कार उद्योग की वृद्धि को भी जीएसटी प्रणाली से लाभ होगा। हमें उम्मीद है कि उद्योग की वृद्धि दर लगभग सात प्रतिशत प्रति वर्ष पर वापस आ जाएगी। विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि और रोजगार, दोनों को लाभ होगा।’’ भार्गव ने कहा कि विशेष रूप से मारुति सुजुकी छोटी कारों को 18 प्रतिशत जीएसटी के दायरे में रखे जाने से खुश है। भार्गव ने कहा, "10 प्रतिशत कम कर से सुस्त पड़े बाजार को प्रोत्साहन मिलेगा और अधिक लोग आवागमन के सुरक्षित और अधिक आरामदायक साधन खरीद सकेंगे।"
वहीं ऑडी इंडिया के प्रमुख बलबीर सिंह ढिल्लों ने कहा, "जीएसटी सरलीकरण सही दिशा में एक कदम है, जो उद्योग की वृद्धि में मदद करेगा और बाजार का विस्तार करेगा।" हम आपको यह भी बता दें कि एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी दरों में व्यापक बदलाव से आवश्यक घरेलू वस्तुओं और सेवाओं पर कर की दरें कम होंगी और इससे अगले वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति को 0.65 से 0.75 प्रतिशत तक कम करने में मदद मिल सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन 453 वस्तुओं की जीएसटी दर में बदलाव हुआ है, उनमें से 413 वस्तुओं की दरों में कमी देखी गई, जबकि केवल 40 वस्तुओं की दरों में वृद्धि देखी गई। लगभग 295 वस्तुओं पर अब 12 प्रतिशत की बजाय पांच प्रतिशत या शून्य जीएसटी दर लागू है।