कुरुक्षेत्र में सीएम करेंगे मां भद्रकाली की महाआरती लॉन्च:रात में शक्तिपीठ में जागरण, पंजाबी एक्टर-सिंगर रोशन प्रिंस और लिटिल चैंप हर्ष करेंगे गुणगान

52 शक्तिपीठों में शामिल हरियाणा की कुरुक्षेत्र की शक्तिपीठ श्री देवी कूप भद्रकाली मंदिर की आज रात सीएम नायब सैनी 1100 श्रद्धालुओं के साथ नई महाआरती लॉन्च करेंगे। सीएम मंदिर की ओर से दुर्गाष्टमी पर आयोजित भव्य और विशाल भगवती जागरण में मुख्यातिथि शामिल होंगे। इस आरती को पंजाबी फिल्म एक्टर एवं सिंगर रोशन प्रिंस और सारेगामापा लिटिल चैंप पंजाब के विजेता हर्ष सिकंदर गाएंगे। साथ ही पूरी रात मां की महिमा गुणगान भी करेंगे। मुख्य मंच से पीठाध्यक्ष पंडित सतपाल शर्मा, मुख्य पुजारिन शिमला देवी, कैबिनेट मंत्री श्याम सिंह राणा, पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा, दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति रविन्द्र डुडेजा, दिल्ली के जज स्नेहिल शर्मा और एमिल फार्मास्युटिकल ग्रुप के चेयरमैन केके शर्मा आरती करेंगे। हर शक्तिपीठ के लिए एक वाद्ययंत्र मंदिर के पीठाध्यक्ष के बेटे देवांशु शर्मा ने बताया कि यह महाआरती 52 शक्तिपीठों को समर्पित है। इसमें 52 वाद्य यंत्रों का उपयोग किया गया है, जहां प्रत्येक यंत्र एक शक्तिपीठ की भक्ति को दर्शाता है। आरती 22 अगस्त को स्नेहिल शर्मा को मां भद्रकाली के स्वप्न में मिले आदेश पर तैयार की गई। म्यूजिक और वीडियो के साथ यह आरती कुल 11 मिनट 42 सेकेंड की होगी, जिसे तैयार करने में 21 दिन लगे। महाआरती में इतिहास भी शामिल उन्होंने बताया कि इस महाआरती में मां के स्वरूप का गुणगान, मंदिर और शक्तिपीठों का इतिहास, भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े प्रसंग और मंदिर के कार्यक्रमों का वर्णन शामिल है। उनके बड़े भाई स्नेहिल शर्मा ने सुबह उठते ही आरती लिखी, और म्यूजिक व वीडियोग्राफी डायरेक्टर्स के साथ मिलकर इसे 21 दिनों में भव्य रूप दिया गया। ये है मां भद्रकाली की नई आरती जय माँ भद्रकाली मैया जय कुरुक्षेत्र वाली। तुमको निशदिन ध्यावत मैया जी को सदा ही मनावत हरि ब्रह्मा शिवजी ।। "जय माँ भद्रकाली" चाँदी के भवनों में बैठी, मैया भद्रकाली । शिव शंकर चरणों में, नैयनन में लाली ।। "जय मां भद्रकाली" भुजा चार अतिशोभित, वरमुद्रा धारी । कुरुक्षेत्र में विराजित, माँ भद्रकाली ।। "जय माँ भद्रकाली" ध्वजा लाल माँ तेरी, जग में लहराए । हर घर की तुम रक्षक, ऋषि मुनि गुण गाए । । "जय माँ भद्रकाली" विराजित देवी सती का, दाँया टखना यहाँ । झुकते सिर इस द्वारे, माने सकल जहाँ ।। "जय माँ भद्रकाली" बलराम कृष्ण का मुंडन, इस प्रांगण में हुआ । तेरी कृपा से माता, गीता उपदेश दिया ।। "जय माँ भद्रकाली" पांडवों ने भी यज्ञ माँ, द्वार तेरे पे किया । विजय श्री का सेहरा, तूने सिर पे दिया ।। "जय माँ भद्रकाली" ब्रहमाणी रुद्राणी, तुम कमला रानी । आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ।। "जय माँ भद्रकाली" शुम्भ निशुम्भ विधारे, महिषासुर घाती । रक्तबीज विनाशी, चण्ड मुण्ड माती ।। "जय माँ भद्रकाली" काली रूप धारण, असुर दल संहारी । भद्र रूप से करती, सबका कल्याणी ।। "जय माँ भद्रकाली" चौंसठ योगिनी गावत, रक्षक भैरव स्थाणु । बाजत ताल मृदंगा, संग गूंजे डमरू ।। "जय माँ भद्रकाली" रौद्र गुह्य चामुण्डा, दक्षिणा सिद्धकाली । श्मशान महा भद्रकाली, तुम जग रखवाली ।। "जय माँ भद्रकाली" सती सावित्री कालका, आदि नाम तेरे । सेवक मंडल चाहे, आओ घर माँ मेरे ।। "जय माँ भद्रकाली" परिक्रमा में शिव वैष्णों, शयनकक्ष न्यारा । लक्ष्मी सरस्वती विराजे, विष्णु अवतारा ।। "जय माँ भद्रकाली" घोड़े चढ़ते यहाँ पर, अक्षय वट है पुराना । शनि - नवग्रह सुशोभित, महागौरव सुहाना ।। "जय माँ भद्रकाली" माँ बच्चों का रिश्ता, पावन पवित्र है । वात्सल्य का सागर, जीवन धन्य है ।। "जय माँ भद्रकाली" 52 ज्योतियाँ जागृत, शोभायात्रा समृद्धि लाती । भद्रकाली भक्तों संग, हिन्दू नव वर्ष मनाती ।। "जय माँ भद्रकाली" दरबार से माँ का खजाना, जो नर है पाए । भद्रकाली का भंडारा, संकट हर जाए ।। "जय माँ भद्रकाली" श्रद्धा, भाव, विश्वास से, सेवा जो लगाए । कहत गुरु माँ सरबती, किस्मत चमकाएँ ।। "जय माँ भद्रकाली" जय माँ भद्रकाली मैया जय कुरुक्षेत्र वाली मैया जय देवीकूप वाली मैया जय सती हितकारी तुमको निशदिन ध्यावत मैया जी को सदा ही मनावत हरि ब्रह्मा शिवजी ।। "जय माँ भद्रकाली" पीठाध्यक्ष बताएंगे आरती का अर्थ जज स्नेहिल शर्मा ने बताया कि आरती की शुरुआत में मंदिर के पीठाध्यक्ष पंडित सतपाल शर्मा आरती की महत्ता बताएंगे। आरती में लिरिक्स का मतलब भी समझाया जाएगा, ताकि श्रद्धालु आरती को अच्छे से समझ सकें। आरती के नए वर्जन में उसके 18 अंतरे (पैराग्राफ) को 3-3 के गैप में रखा गया है। नए वर्जन में आरती के हर शब्द को श्रद्धालु समझ सकेंगे। अब जानिए देवी कूप भद्रकाली मंदिर की कहानी यहां गिरा था मां सती का दाहिना टखना: पीठाध्यक्ष पंडित सतपाल शर्मा ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार, देवी सती के यज्ञ में आत्मदाह के बाद भगवान शिव उनके मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्मांड में घूम रहे थे। तब सृष्टि के कल्याण के लिए भगवान शिव के मोह को भंग करने के लिए भगवान विष्‍णु ने अपने सुदर्शन चक्र को देवी सती की मृत देह पर चला दिया। इससे देवी सती की देह 52 भाग में विभक्त हो गईं। उनकी देह के अंग धरती पर जहां-जहां गिरे, वे शक्तिपीठ कहलाए। मंदिर परिसर में मौजूद है पवित्र कुआं: मंदिर परिसर में मां भद्रकाली की प्रतिमा के सामने एक पवित्र कुआं है। माना जाता है कि यह वही कुआं है, जहां माता सती का टखना गिरा था। टखना गिरने के कारण ही यहां कुआं बन गया। इस कुएं को मंदिर कमेटी ने चारों ओर से सुरक्षा की दृष्टि से कवर किया हुआ है। श्रद्धालु दूर से ही कुएं के दर्शन करते हैं। पांडवों ने शुरू की घोड़े चढ़ाने की परंपरा, आज भी कायम: इस शक्तिपीठ का इतिहास महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि महाभारत के युद्ध से पहले पांडवों ने यहीं पर माता से जीत की मन्नत मांगी थी। फिर जीतने पर युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण और अपने भाइयों के साथ आकर यहां पर अपने सबसे सुंदर घोड़े दान किए थे। श्रद्धालु अपनी मन्‍नत पूर

Sep 30, 2025 - 19:32
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कुरुक्षेत्र में सीएम करेंगे मां भद्रकाली की महाआरती लॉन्च:रात में शक्तिपीठ में जागरण, पंजाबी एक्टर-सिंगर रोशन प्रिंस और लिटिल चैंप हर्ष करेंगे गुणगान
52 शक्तिपीठों में शामिल हरियाणा की कुरुक्षेत्र की शक्तिपीठ श्री देवी कूप भद्रकाली मंदिर की आज रात सीएम नायब सैनी 1100 श्रद्धालुओं के साथ नई महाआरती लॉन्च करेंगे। सीएम मंदिर की ओर से दुर्गाष्टमी पर आयोजित भव्य और विशाल भगवती जागरण में मुख्यातिथि शामिल होंगे। इस आरती को पंजाबी फिल्म एक्टर एवं सिंगर रोशन प्रिंस और सारेगामापा लिटिल चैंप पंजाब के विजेता हर्ष सिकंदर गाएंगे। साथ ही पूरी रात मां की महिमा गुणगान भी करेंगे। मुख्य मंच से पीठाध्यक्ष पंडित सतपाल शर्मा, मुख्य पुजारिन शिमला देवी, कैबिनेट मंत्री श्याम सिंह राणा, पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा, दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति रविन्द्र डुडेजा, दिल्ली के जज स्नेहिल शर्मा और एमिल फार्मास्युटिकल ग्रुप के चेयरमैन केके शर्मा आरती करेंगे। हर शक्तिपीठ के लिए एक वाद्ययंत्र मंदिर के पीठाध्यक्ष के बेटे देवांशु शर्मा ने बताया कि यह महाआरती 52 शक्तिपीठों को समर्पित है। इसमें 52 वाद्य यंत्रों का उपयोग किया गया है, जहां प्रत्येक यंत्र एक शक्तिपीठ की भक्ति को दर्शाता है। आरती 22 अगस्त को स्नेहिल शर्मा को मां भद्रकाली के स्वप्न में मिले आदेश पर तैयार की गई। म्यूजिक और वीडियो के साथ यह आरती कुल 11 मिनट 42 सेकेंड की होगी, जिसे तैयार करने में 21 दिन लगे। महाआरती में इतिहास भी शामिल उन्होंने बताया कि इस महाआरती में मां के स्वरूप का गुणगान, मंदिर और शक्तिपीठों का इतिहास, भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े प्रसंग और मंदिर के कार्यक्रमों का वर्णन शामिल है। उनके बड़े भाई स्नेहिल शर्मा ने सुबह उठते ही आरती लिखी, और म्यूजिक व वीडियोग्राफी डायरेक्टर्स के साथ मिलकर इसे 21 दिनों में भव्य रूप दिया गया। ये है मां भद्रकाली की नई आरती जय माँ भद्रकाली मैया जय कुरुक्षेत्र वाली। तुमको निशदिन ध्यावत मैया जी को सदा ही मनावत हरि ब्रह्मा शिवजी ।। "जय माँ भद्रकाली" चाँदी के भवनों में बैठी, मैया भद्रकाली । शिव शंकर चरणों में, नैयनन में लाली ।। "जय मां भद्रकाली" भुजा चार अतिशोभित, वरमुद्रा धारी । कुरुक्षेत्र में विराजित, माँ भद्रकाली ।। "जय माँ भद्रकाली" ध्वजा लाल माँ तेरी, जग में लहराए । हर घर की तुम रक्षक, ऋषि मुनि गुण गाए । । "जय माँ भद्रकाली" विराजित देवी सती का, दाँया टखना यहाँ । झुकते सिर इस द्वारे, माने सकल जहाँ ।। "जय माँ भद्रकाली" बलराम कृष्ण का मुंडन, इस प्रांगण में हुआ । तेरी कृपा से माता, गीता उपदेश दिया ।। "जय माँ भद्रकाली" पांडवों ने भी यज्ञ माँ, द्वार तेरे पे किया । विजय श्री का सेहरा, तूने सिर पे दिया ।। "जय माँ भद्रकाली" ब्रहमाणी रुद्राणी, तुम कमला रानी । आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ।। "जय माँ भद्रकाली" शुम्भ निशुम्भ विधारे, महिषासुर घाती । रक्तबीज विनाशी, चण्ड मुण्ड माती ।। "जय माँ भद्रकाली" काली रूप धारण, असुर दल संहारी । भद्र रूप से करती, सबका कल्याणी ।। "जय माँ भद्रकाली" चौंसठ योगिनी गावत, रक्षक भैरव स्थाणु । बाजत ताल मृदंगा, संग गूंजे डमरू ।। "जय माँ भद्रकाली" रौद्र गुह्य चामुण्डा, दक्षिणा सिद्धकाली । श्मशान महा भद्रकाली, तुम जग रखवाली ।। "जय माँ भद्रकाली" सती सावित्री कालका, आदि नाम तेरे । सेवक मंडल चाहे, आओ घर माँ मेरे ।। "जय माँ भद्रकाली" परिक्रमा में शिव वैष्णों, शयनकक्ष न्यारा । लक्ष्मी सरस्वती विराजे, विष्णु अवतारा ।। "जय माँ भद्रकाली" घोड़े चढ़ते यहाँ पर, अक्षय वट है पुराना । शनि - नवग्रह सुशोभित, महागौरव सुहाना ।। "जय माँ भद्रकाली" माँ बच्चों का रिश्ता, पावन पवित्र है । वात्सल्य का सागर, जीवन धन्य है ।। "जय माँ भद्रकाली" 52 ज्योतियाँ जागृत, शोभायात्रा समृद्धि लाती । भद्रकाली भक्तों संग, हिन्दू नव वर्ष मनाती ।। "जय माँ भद्रकाली" दरबार से माँ का खजाना, जो नर है पाए । भद्रकाली का भंडारा, संकट हर जाए ।। "जय माँ भद्रकाली" श्रद्धा, भाव, विश्वास से, सेवा जो लगाए । कहत गुरु माँ सरबती, किस्मत चमकाएँ ।। "जय माँ भद्रकाली" जय माँ भद्रकाली मैया जय कुरुक्षेत्र वाली मैया जय देवीकूप वाली मैया जय सती हितकारी तुमको निशदिन ध्यावत मैया जी को सदा ही मनावत हरि ब्रह्मा शिवजी ।। "जय माँ भद्रकाली" पीठाध्यक्ष बताएंगे आरती का अर्थ जज स्नेहिल शर्मा ने बताया कि आरती की शुरुआत में मंदिर के पीठाध्यक्ष पंडित सतपाल शर्मा आरती की महत्ता बताएंगे। आरती में लिरिक्स का मतलब भी समझाया जाएगा, ताकि श्रद्धालु आरती को अच्छे से समझ सकें। आरती के नए वर्जन में उसके 18 अंतरे (पैराग्राफ) को 3-3 के गैप में रखा गया है। नए वर्जन में आरती के हर शब्द को श्रद्धालु समझ सकेंगे। अब जानिए देवी कूप भद्रकाली मंदिर की कहानी यहां गिरा था मां सती का दाहिना टखना: पीठाध्यक्ष पंडित सतपाल शर्मा ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार, देवी सती के यज्ञ में आत्मदाह के बाद भगवान शिव उनके मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्मांड में घूम रहे थे। तब सृष्टि के कल्याण के लिए भगवान शिव के मोह को भंग करने के लिए भगवान विष्‍णु ने अपने सुदर्शन चक्र को देवी सती की मृत देह पर चला दिया। इससे देवी सती की देह 52 भाग में विभक्त हो गईं। उनकी देह के अंग धरती पर जहां-जहां गिरे, वे शक्तिपीठ कहलाए। मंदिर परिसर में मौजूद है पवित्र कुआं: मंदिर परिसर में मां भद्रकाली की प्रतिमा के सामने एक पवित्र कुआं है। माना जाता है कि यह वही कुआं है, जहां माता सती का टखना गिरा था। टखना गिरने के कारण ही यहां कुआं बन गया। इस कुएं को मंदिर कमेटी ने चारों ओर से सुरक्षा की दृष्टि से कवर किया हुआ है। श्रद्धालु दूर से ही कुएं के दर्शन करते हैं। पांडवों ने शुरू की घोड़े चढ़ाने की परंपरा, आज भी कायम: इस शक्तिपीठ का इतिहास महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि महाभारत के युद्ध से पहले पांडवों ने यहीं पर माता से जीत की मन्नत मांगी थी। फिर जीतने पर युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण और अपने भाइयों के साथ आकर यहां पर अपने सबसे सुंदर घोड़े दान किए थे। श्रद्धालु अपनी मन्‍नत पूरी होने पर श्रद्धानुसार सोने, चांदी, संगमरमर और मिट्टी के घोड़े चढ़ाते हैं। खास बात ये है कि यहां घोड़े भी जोड़े में ही चढ़ते हैं। नारियल और प्रसाद की जगह मन्नत पूरी होने पर घोड़े ही अर्पित करते हैं। श्री कृष्ण की कुलदेवी हैं भद्रकाली: मां भद्रकाली यदुवंशियों की कुलदेवी हैं। द्वापर काल में भगवान श्री कृष्ण और दाऊ बलराम का मुंडन संस्कार भद्रकाली शक्तिपीठ में ही हुआ था। इस शक्तिपीठ में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती, राम मंदिर ट्रस्ट अयोध्या के महंत नृत्य गोपाल दास, संत मुरारी बापू, श्रीश्री रविशंकर, अवधूत स्वामी शिवानंद और स्वामी अवधेशानंद सहित कई धर्मगुरु, संत-महात्मा मां भद्रकाली के दर्शन कर पूजा-अर्चना कर चुके हैं। थानेसर में 4 कूपों का वर्णन: तीर्थांक पुराण में थानेसर में 4 कूपों- चंद्र कूप, रूद्र कूप, विष्णु कूप और देवी कूप का वर्णन मिलता है। यहां ब्रह्मसरोवर परिसर में चंद्र कूप है, जिसे द्रौपदी कूप के नाम से भी जाना जाता है। स्थाण्वीश्वर महादेव मंदिर में रूद्र कूप और भद्रकाली मंदिर में देवी कूप का वर्णन मिलता है। पिछले साल ही सन्निहित सरोवर के पास श्री लक्ष्मी-नारायण मंदिर में खुदाई के समय कूप मिला था। दावा है कि यह कूप ही विष्णु कूप है, जो करीब 100 फुट गहरा है।