कुरुक्षेत्र में खतरे के निशान पर मारकंडा:7 गांवों में घुसा; कठवा, पट्टी जामड़ा व तंगौर में हालात खराब; घुटने तक पानी
कुरुक्षेत्र में मारकंडा नदी का जलस्तर खतरे के निशान पर पहुंच गया है। अभी मारकंडा में 27 हजार क्यूसिक पानी बह रहा है। इससे नदी से सटे गांवों में पानी घुस चुका है। कई गांव में तो घुटने तक पानी भरा है और आना-जाना भी दूभर है। साथ ही 5 हजार से ज्यादा एकड़ में खड़ी फसलें नष्ट हो चुकी हैं। 27.6 फुट पर मारकंडा का खतरे का निशान है। जानकारी के मुताबिक, शाहाबाद के 7 गांव कठवा, कलसाना, मलकपुर, गुमटी, पट्टी जामड़ा, तंगौर और मुगल माजरा में मारकंडा का पानी पहुंच चुका है। कठवा और पट्टी जामड़ा गांव में हालात ज्यादा खराब है। कठवा में करीब 100 फुट सड़क का हिस्सा पानी में बह चुका है। यहां ग्रामीण घुटने तक पानी से होकर अपने काम पर जा रहे हैं। पट्टी जामड़ा में हालात बेकाबू गांव पट्टी जामड़ा में हालात बेकाबू हो रहे हैं। यहां का सरकारी स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्र पानी में डूबे हैं। कई घरों तक पानी पहुंच चुका है। लोग ट्रैक्टर-ट्रॉली पर बैठकर अपने गंतव्य की ओर जाने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि, अभी तक शासन और प्रशासन से कोई उनके गांव तक नहीं पहुंचा है। गांवों में मुनादी करवाई
हालांकि हालात को देखते हुए प्रशासन ने सभी संवेदनशील गांवों में हाई अलर्ट घोषित किया है। एसडीएम डॉ. चिनार चहल और पिहोवा के एसडीएम अभिनव सिवाच हालात पर नजर बनाए हुए हैं। नदी के किनारे बसे गांवों में सरपंचों को मुनादी करवाने के निर्देश दिए गए हैं। काला अंब में हालात सामान्य हुए हिमाचल प्रदेश के सिरमौर के काला अंब में तैनात गेज रीडर कश्मीरा के मुताबिक, कल के बाद पहाड़ों में बारिश नहीं हुई है। अभी नदी में केवल 4 हजार क्यूसेक पानी बह रहा है। मुलाना (अंबाला) में गेज रीडर पवन ने बताया कि बीती रात से पानी कम होना शुरू हुआ है। अंबाला में नदी में करीब 35 हजार क्यूसेक पानी बह रहा है। बाढ़ से कोई सबक नहीं लिया गांव कठवा के किसान विजय राणा, तंगौर के किसान ललित कुमार और जनक राज ने बताया कि साल 2023 में बाढ़ ने शाहाबाद के एरिया में तबाही मचाई थी। उससे सरकार और प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया। उनके पास 2 साल का लंबा समय था, जिसमें मारकंडा के पानी को रोकने के लिए स्थायी प्रबंध किए जा सकते थे।
कुरुक्षेत्र में मारकंडा नदी का जलस्तर खतरे के निशान पर पहुंच गया है। अभी मारकंडा में 27 हजार क्यूसिक पानी बह रहा है। इससे नदी से सटे गांवों में पानी घुस चुका है। कई गांव में तो घुटने तक पानी भरा है और आना-जाना भी दूभर है। साथ ही 5 हजार से ज्यादा एकड़ में खड़ी फसलें नष्ट हो चुकी हैं। 27.6 फुट पर मारकंडा का खतरे का निशान है। जानकारी के मुताबिक, शाहाबाद के 7 गांव कठवा, कलसाना, मलकपुर, गुमटी, पट्टी जामड़ा, तंगौर और मुगल माजरा में मारकंडा का पानी पहुंच चुका है। कठवा और पट्टी जामड़ा गांव में हालात ज्यादा खराब है। कठवा में करीब 100 फुट सड़क का हिस्सा पानी में बह चुका है। यहां ग्रामीण घुटने तक पानी से होकर अपने काम पर जा रहे हैं। पट्टी जामड़ा में हालात बेकाबू गांव पट्टी जामड़ा में हालात बेकाबू हो रहे हैं। यहां का सरकारी स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्र पानी में डूबे हैं। कई घरों तक पानी पहुंच चुका है। लोग ट्रैक्टर-ट्रॉली पर बैठकर अपने गंतव्य की ओर जाने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि, अभी तक शासन और प्रशासन से कोई उनके गांव तक नहीं पहुंचा है। गांवों में मुनादी करवाई
हालांकि हालात को देखते हुए प्रशासन ने सभी संवेदनशील गांवों में हाई अलर्ट घोषित किया है। एसडीएम डॉ. चिनार चहल और पिहोवा के एसडीएम अभिनव सिवाच हालात पर नजर बनाए हुए हैं। नदी के किनारे बसे गांवों में सरपंचों को मुनादी करवाने के निर्देश दिए गए हैं। काला अंब में हालात सामान्य हुए हिमाचल प्रदेश के सिरमौर के काला अंब में तैनात गेज रीडर कश्मीरा के मुताबिक, कल के बाद पहाड़ों में बारिश नहीं हुई है। अभी नदी में केवल 4 हजार क्यूसेक पानी बह रहा है। मुलाना (अंबाला) में गेज रीडर पवन ने बताया कि बीती रात से पानी कम होना शुरू हुआ है। अंबाला में नदी में करीब 35 हजार क्यूसेक पानी बह रहा है। बाढ़ से कोई सबक नहीं लिया गांव कठवा के किसान विजय राणा, तंगौर के किसान ललित कुमार और जनक राज ने बताया कि साल 2023 में बाढ़ ने शाहाबाद के एरिया में तबाही मचाई थी। उससे सरकार और प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया। उनके पास 2 साल का लंबा समय था, जिसमें मारकंडा के पानी को रोकने के लिए स्थायी प्रबंध किए जा सकते थे।