एलडीए के सात अफसरों समेत 23 पर केस:2001 के सात भूखंडों की रजिस्ट्रियां फर्जी दस्तावेजों पर ट्रांसफर, सब-रजिस्ट्रार की जांच के बाद वजीरगंज पुलिस ने दर्ज की FIR
राजधानी लखनऊ में भूखंडों की रजिस्ट्री में हुआ फर्जीवाड़ा आखिरकार एफआईआर तक पहुंच गया है। वजीरगंज पुलिस ने एलडीए के सात तत्कालीन अफसरों समेत 23 लोगों के खिलाफ जालसाजी और कूटरचना का मुकदमा दर्ज किया है। मामला गोमतीनगर योजना के सात भूखंडों से जुड़ा है, जिनकी रजिस्ट्रियां फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दूसरे नामों पर कर दी गई थीं। सातों भूखंडों की रजिस्ट्री फर्जी-दस्तावेज, हस्ताक्षर और मोहर में गड़बड़ी पाई गई सब-रजिस्ट्रार (द्वितीय) कार्यालय की जांच में सामने आया कि गोमतीनगर योजना के 1/357 विकल्प खंड, 3/165 विभव खंड, 1/17बी विनीत खंड, 1/70 और 1/168 विक्रांत खंड, 2/375 विक्रम खंड और 4/65ए विकल्प खंड के विक्रय विलेख छेड़छाड़ कर नए नामों पर कर दिए गए। स्याहा रजिस्टर में दर्ज नाम और रजिस्ट्री में लिखे गए नाम मेल नहीं खाते। यहां तक कि कागज की क्वालिटी और रजिस्ट्री एक्ट की मोहर तक फर्जी पाई गई। एलडीए के तत्कालीन अफसर और दलाल मिले दोषी जांच में सामने आया कि तत्कालीन संपत्ति अधिकारी, अनुभाग अधिकारी और कई एलडीए कर्मचारियों ने प्रॉपर्टी डीलरों और दलालों की मिलीभगत से फर्जी रजिस्ट्री कराई। इन अफसरों पर पहले भी प्रशासनिक कार्रवाई हो चुकी है, लेकिन अब आपराधिक मुकदमा दर्ज कर जांच आगे बढ़ाई गई है। सब-रजिस्ट्रार की रिपोर्ट के बाद पुलिस ने दर्ज की एफआईआर उपनिबंधक (द्वितीय) प्रभाष सिंह की रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा गया कि सातों विलेखों में कूटरचना हुई है और यह गंभीर अपराध है। रिपोर्ट के आधार पर पुलिस कमिश्नर, एडीएम (वि.रा.) और सहायक महानिरीक्षक निबंधन (प्रथम) को सूचना दी गई। इसके बाद वजीरगंज थाने में धारा 420, 467, 468 और 471 आईपीसी में मुकदमा दर्ज किया गया। 2001 का मामला 2024 में खुला, अब सख्त कार्रवाई की तैयारी यह पूरा मामला 2001 का है, लेकिन शिकायत पर सब-रजिस्ट्रार ने 2024 में जांच शुरू की। अभिलेखीय मिलान के बाद पता चला कि मूल दस्तावेजों और रजिस्ट्रियों में भारी अंतर है। प्रशासन अब सभी फर्जी रजिस्ट्री रद्द करने और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।
राजधानी लखनऊ में भूखंडों की रजिस्ट्री में हुआ फर्जीवाड़ा आखिरकार एफआईआर तक पहुंच गया है। वजीरगंज पुलिस ने एलडीए के सात तत्कालीन अफसरों समेत 23 लोगों के खिलाफ जालसाजी और कूटरचना का मुकदमा दर्ज किया है। मामला गोमतीनगर योजना के सात भूखंडों से जुड़ा है, जिनकी रजिस्ट्रियां फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दूसरे नामों पर कर दी गई थीं। सातों भूखंडों की रजिस्ट्री फर्जी-दस्तावेज, हस्ताक्षर और मोहर में गड़बड़ी पाई गई सब-रजिस्ट्रार (द्वितीय) कार्यालय की जांच में सामने आया कि गोमतीनगर योजना के 1/357 विकल्प खंड, 3/165 विभव खंड, 1/17बी विनीत खंड, 1/70 और 1/168 विक्रांत खंड, 2/375 विक्रम खंड और 4/65ए विकल्प खंड के विक्रय विलेख छेड़छाड़ कर नए नामों पर कर दिए गए। स्याहा रजिस्टर में दर्ज नाम और रजिस्ट्री में लिखे गए नाम मेल नहीं खाते। यहां तक कि कागज की क्वालिटी और रजिस्ट्री एक्ट की मोहर तक फर्जी पाई गई। एलडीए के तत्कालीन अफसर और दलाल मिले दोषी जांच में सामने आया कि तत्कालीन संपत्ति अधिकारी, अनुभाग अधिकारी और कई एलडीए कर्मचारियों ने प्रॉपर्टी डीलरों और दलालों की मिलीभगत से फर्जी रजिस्ट्री कराई। इन अफसरों पर पहले भी प्रशासनिक कार्रवाई हो चुकी है, लेकिन अब आपराधिक मुकदमा दर्ज कर जांच आगे बढ़ाई गई है। सब-रजिस्ट्रार की रिपोर्ट के बाद पुलिस ने दर्ज की एफआईआर उपनिबंधक (द्वितीय) प्रभाष सिंह की रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा गया कि सातों विलेखों में कूटरचना हुई है और यह गंभीर अपराध है। रिपोर्ट के आधार पर पुलिस कमिश्नर, एडीएम (वि.रा.) और सहायक महानिरीक्षक निबंधन (प्रथम) को सूचना दी गई। इसके बाद वजीरगंज थाने में धारा 420, 467, 468 और 471 आईपीसी में मुकदमा दर्ज किया गया। 2001 का मामला 2024 में खुला, अब सख्त कार्रवाई की तैयारी यह पूरा मामला 2001 का है, लेकिन शिकायत पर सब-रजिस्ट्रार ने 2024 में जांच शुरू की। अभिलेखीय मिलान के बाद पता चला कि मूल दस्तावेजों और रजिस्ट्रियों में भारी अंतर है। प्रशासन अब सभी फर्जी रजिस्ट्री रद्द करने और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।