सोनीपत के हर ब्लॉक में सुधरा भूजल स्तर:एक दशक बाद सर्वे में आई राहत की रिपोर्ट; डार्क जोन के बाहर आने की उम्मीद जगी
सोनीपत जिले में दस वर्षों बाद भूजल स्तर में पहली बार सुधार दर्ज किया गया है। मई-जून 2025 के भूजल सर्वे में सभी ब्लॉकों में जलस्तर पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर पाया गया। यह संकेत हैं कि जिले के डार्क जोन घोषित ब्लॉकों की स्थिति भी अब सुधर रही है। जल संरक्षण योजनाओं और सतत निगरानी के चलते हालात में यह बदलाव देखा जा रहा है। हर ब्लॉक में सुधार, डार्क जोन से सामान्य जोन की उम्मीद जून 2025 के सर्वे में पहली बार ऐसा हुआ है कि जिले के सभी ब्लॉकों में भूजल स्तर बीते वर्ष की तुलना में बेहतर पाया गया है। इससे संकेत मिलते हैं कि यदि यही रफ्तार रही तो डार्क जोन घोषित किए गए ब्लॉकों को सामान्य जोन में लाया जा सकता है। भूजल के दोहन पर रोकथाम, वर्षा जल संग्रहण और सरकारी प्रयासों का असर अब दिखाई देने लगा है। भूर्री गांव में अब भी गंभीर स्थिति, भूजल सबसे नीचे मुरथल ब्लॉक के भूर्री गांव में भूजल स्तर 39.70 मीटर दर्ज किया गया है, जो जिले में सबसे गहरी स्थिति है। हालांकि यह आंकड़ा पिछले वर्ष 41.49 मीटर था, जिससे मामूली सुधार जरूर हुआ है। नांगल खुर्द, पिपली खेड़ी, देवड़ू और मुरथल गांव जैसे स्थानों पर भी भूजल अभी बहुत नीचे है। गन्नौर, राई में भी सुधार, लेकिन अब भी डार्क जोन में गन्नौर ब्लॉक में औसतन भूजल स्तर 19.99 मीटर दर्ज हुआ है, जबकि पिछले साल यह 20.75 मीटर था। खेड़ी गुर्जर जैसे गांव में बड़ा सुधार देखा गया है, जहां 34.7 मीटर से गिरकर अब 29.21 मीटर पर भूजल दर्ज हुआ। राई ब्लॉक का औसतन स्तर भी घटकर 15.44 मीटर हो गया है। कथूरा और खरखौदा: जिले में सबसे ऊपर भूजल स्तर कथूरा ब्लॉक के रिढ़ाना गांव में मात्र 0.24 मीटर पर पानी मिल रहा है, जो जिले में सबसे अच्छा स्तर है। इसके अलावा निजामपुर, भावड़ और रामपुर कुंडल जैसे गांवों में भी भूजल स्तर काफी ऊपर पाया गया। खरखौदा ब्लॉक के निरथान गांव में भी स्थिति बेहतर है। भूजल स्तर की नियमित निगरानी और सरकारी प्रयास रंग लाए जिला प्रशासन द्वारा साल में दो बार किए जाने वाले भूजल सर्वेक्षण से पता चलता है कि मई-जून की भीषण गर्मी के बावजूद इस बार भूजल स्तर में गिरावट नहीं आई, बल्कि सुधार हुआ है। जागरूकता अभियानों, जल संरक्षण योजनाओं और भूजल दोहन पर अंकुश के चलते अब धरातल पर असर नजर आने लगा है।
सोनीपत जिले में दस वर्षों बाद भूजल स्तर में पहली बार सुधार दर्ज किया गया है। मई-जून 2025 के भूजल सर्वे में सभी ब्लॉकों में जलस्तर पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर पाया गया। यह संकेत हैं कि जिले के डार्क जोन घोषित ब्लॉकों की स्थिति भी अब सुधर रही है। जल संरक्षण योजनाओं और सतत निगरानी के चलते हालात में यह बदलाव देखा जा रहा है। हर ब्लॉक में सुधार, डार्क जोन से सामान्य जोन की उम्मीद जून 2025 के सर्वे में पहली बार ऐसा हुआ है कि जिले के सभी ब्लॉकों में भूजल स्तर बीते वर्ष की तुलना में बेहतर पाया गया है। इससे संकेत मिलते हैं कि यदि यही रफ्तार रही तो डार्क जोन घोषित किए गए ब्लॉकों को सामान्य जोन में लाया जा सकता है। भूजल के दोहन पर रोकथाम, वर्षा जल संग्रहण और सरकारी प्रयासों का असर अब दिखाई देने लगा है। भूर्री गांव में अब भी गंभीर स्थिति, भूजल सबसे नीचे मुरथल ब्लॉक के भूर्री गांव में भूजल स्तर 39.70 मीटर दर्ज किया गया है, जो जिले में सबसे गहरी स्थिति है। हालांकि यह आंकड़ा पिछले वर्ष 41.49 मीटर था, जिससे मामूली सुधार जरूर हुआ है। नांगल खुर्द, पिपली खेड़ी, देवड़ू और मुरथल गांव जैसे स्थानों पर भी भूजल अभी बहुत नीचे है। गन्नौर, राई में भी सुधार, लेकिन अब भी डार्क जोन में गन्नौर ब्लॉक में औसतन भूजल स्तर 19.99 मीटर दर्ज हुआ है, जबकि पिछले साल यह 20.75 मीटर था। खेड़ी गुर्जर जैसे गांव में बड़ा सुधार देखा गया है, जहां 34.7 मीटर से गिरकर अब 29.21 मीटर पर भूजल दर्ज हुआ। राई ब्लॉक का औसतन स्तर भी घटकर 15.44 मीटर हो गया है। कथूरा और खरखौदा: जिले में सबसे ऊपर भूजल स्तर कथूरा ब्लॉक के रिढ़ाना गांव में मात्र 0.24 मीटर पर पानी मिल रहा है, जो जिले में सबसे अच्छा स्तर है। इसके अलावा निजामपुर, भावड़ और रामपुर कुंडल जैसे गांवों में भी भूजल स्तर काफी ऊपर पाया गया। खरखौदा ब्लॉक के निरथान गांव में भी स्थिति बेहतर है। भूजल स्तर की नियमित निगरानी और सरकारी प्रयास रंग लाए जिला प्रशासन द्वारा साल में दो बार किए जाने वाले भूजल सर्वेक्षण से पता चलता है कि मई-जून की भीषण गर्मी के बावजूद इस बार भूजल स्तर में गिरावट नहीं आई, बल्कि सुधार हुआ है। जागरूकता अभियानों, जल संरक्षण योजनाओं और भूजल दोहन पर अंकुश के चलते अब धरातल पर असर नजर आने लगा है।