सोनम वांगचुक के NGO का FCRA रद्द, हिंसक प्रदर्शन के बाद केंद्र सरकार का फैसला
लद्दाख हिंसा के बाद केंद्र सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। शिक्षाविद् और कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के NGO का FCRA को रद्द कर दिया गया है। वांगचुक ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया था कि सीबीआई की एक टीम लगभग 10 दिन पहले ‘एक आदेश’ लेकर आई थी, जिसमें कहा ...

लद्दाख हिंसा के बाद केंद्र सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। शिक्षाविद् और कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के NGO का FCRA को रद्द कर दिया गया है। वांगचुक ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया था कि सीबीआई की एक टीम लगभग 10 दिन पहले ‘एक आदेश’ लेकर आई थी, जिसमें कहा गया था कि वे हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख (एचआईएएल) में कथित विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के उल्लंघन के संबंध में गृह मंत्रालय की शिकायत पर कार्रवाई कर रहे हैं।
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केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने लद्दाख के सोनम वांगचुक द्वारा स्थापित एक संस्थान के खिलाफ विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम के कथित उल्लंघन की जांच शुरू कर दी है। वांगचुक ने दावा किया कि आदेश में कहा गया था कि हमने विदेशी धन प्राप्त करने के लिए एफसीआरए के तहत मंजूरी नहीं ली है। हम विदेशी धन पर निर्भर नहीं रहना चाहते, लेकिन हम अपने ज्ञान के जरिए राजस्व जुटाते हैं। ऐसे तीन मामलों में, उन्हें लगा कि यह विदेशी योगदान है।
वांगचुक ने बताया कि सीबीआई की एक टीम ने पिछले हफ्ते एचआईएएल और स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (एसईसीएमओएल) का दौरा किया और 2022 और 2024 के बीच उन्हें मिले विदेशी धन का ब्योरा मांगा। वांगचुक ने आरोप लगाया कि यह एक बहुत ही गरिमापूर्ण कार्य था। उन्होंने इसे देखा और वे आश्वस्त हो गए। वे समझ गए कि इससे उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है, इसलिए उन्होंने उस अवधि के बाहर के खाते मांगने शुरू कर दिए। उनका अधिदेश 2022 और 2024 के दौरान खातों की जांच करने का था, लेकिन उन्होंने 2021 और 2020 के खाते मांगने शुरू कर दिए।
फिर वे हमारे स्कूल गए और अपने अधिदेश की अवधि के बाहर के विभिन्न दस्तावेज और शिकायत के दायरे से बाहर के एक स्कूल के बारे में जानकारी मांगी। वांगचुक ने कहा कि सीबीआई अधिकारी अब भी लद्दाख में डेरा डाले हुए हैं और रिकॉर्ड की गहन जांच कर रहे हैं। वांगचुक ने कहा कि सीबीआई अधिकारियों ने उनसे कोई पूछताछ नहीं की है। कार्यकर्ता ने बताया कि पहले स्थानीय पुलिस ने उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया। इसके बाद, पट्टे की राशि का भुगतान नहीं किए जाने का हवाला देते हुए एचआईएएल के लिए दी गई जमीन वापस लेने का आदेश दिया गया।
हिंसा के बाद अनशन किया था बंद
वांगचुक ने 10 सितंबर को लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर अनशन शुरू किया था। बुधवार को इस केंद्र शासित प्रदेश के इलाके में 1989 के बाद से सबसे भीषण हिंसा देखने को मिली, जब युवाओं के समूहों ने आगजनी और तोड़फोड़ की, भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) मुख्यालय और पर्वतीय परिषद को निशाना बनाया और वाहनों में आग लगा दी। अधिकारियों ने बताया कि स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों को आंसू गैस के गोले दागने पड़े। इनपुट एजेंसियां Edited by : Sudhir Sharma