वसुंधरा राजे ने किया 'द वेट लॉस रिवॉल्यूशन' का विमोचन:बोलीं- वजन कम करना सिर्फ अच्छा दिखने के बारे में नहीं है बल्कि यह आपको सशक्त बनाता है
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने आईटीसी राजपूताना में डॉ. अंबरीश मिथल और सह-लेखक शिवम विज की लिखित पुस्तक 'द वेट लॉस रेवोल्यूशन' का विमोचन किया। कार्यक्रम प्रभा खेतान फाउंडेशन की 'किताब' पहल के तहत एहसास वूमन के सहयोग से आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए वसुंधरा राजे ने कहा कि विश्व भर में 1 अरब से ज्यादा लोग ओबेसिटी से ग्रस्त हैं। 1975 से यह संख्या तीन गुनी हो गई है। ऐसे में, वजन कम करना हमारे जीवन का एक निरंतर उद्देश्य बन गया है। वजन कम करना सिर्फ अच्छा दिखने के बारे में नहीं है बल्कि यह आपको सशक्त बनाता है और अपने जीवन पर नियंत्रण रखना सिखाता है। स्वस्थ जीवनशैली में बदलाव के साथ वजन घटाने वाली दवाएं सिर्फ वजन कम करने से कहीं अधिक स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकती हैं। ओबेसिटी पर नियंत्रण रखने से हृदय रोग, किडनी और लिवर संबंधी रोग और स्लीप एपनिया जैसी कई अन्य बीमारियों से बचाव में मदद मिल सकती है।
राजे ने इस पर प्रकाश डाला कि भारत में 12-15% बच्चे ओबेसिटी से ग्रस्त हैं, और इसे एक जन स्वास्थ्य संकट बताया। उन्होंने स्कूली पाठ्यक्रमों में 'न्यूट्रीशन एज्युकेशन' को शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि शुरुआत से ही स्वस्थ आदतें विकसित की जा सकें। पुस्तक के बारे में बात करते हुए, राजे ने कहा कि यह लोगों को विज्ञान से जोड़ती है और जटिल अवधारणाओं को रोचक और सहज तरीके से समझने में मदद करती है। यह समाधानों को वास्तविकता से भी जोड़ती है। कार्यक्रम के दौरान, डॉ. अंबरीश मिथल ने सह-लेखक शिवम विज के साथ पुस्तक के मुख्य बिंदुओं और आज की दुनिया में इसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। इस सत्र में वजन कम करने वाली दवाओं, उनके सही उपयोग और उनके पीछे के विज्ञान पर गहन चर्चा की गई। यह पुस्तक भारत में मोटापे और उससे संबंधित बीमारियों के बढ़ते संकट पर एक सशक्त आख्यान प्रस्तुत करती है। 'डायबिटीज कैपिटल' कहे जाने वाले भारत में अब बच्चों में 'ओबेसिटी' की चिंताजनक वृद्धि भी देखने को मिल रही है। चर्चा के दौरान डॉ. मिथल ने बताया कि जीएलपी-1 एक प्राकृतिक हार्मोन है, जो खाने के दौरान आंतों से निकलता है और भूख और ग्लूकोज मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करने में मदद करता है। वैज्ञानिकों ने इस हार्मोन की नकल करने वाली दवाएं विकसित की हैं - जैसे सेमाग्लूटाइड, वेगोवी और मौंजारो - जो शरीर में लंबे समय तक सक्रिय रहती हैं और इस प्राकृतिक प्रक्रिया को बढ़ाती हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि हालांकि ये दवाएं शरीर के वजन का 15-20% तक वजन कम करने में सक्षम हो सकती हैं, लेकिन इनका उपयोग जिम्मेदारी से और केवल चिकित्सकीय देखरेख में ही किया जाना चाहिए। संतुलित आहार और नियमित व्यायाम सहित एक व्यवस्थित प्लान के हिस्से के रूप में, उच्च बीएमआई या मधुमेह और अधिक वजन वाले व्यक्तियों के लिए इन्हें लेने की सलाह दी जाती है। भारतीय आंकड़ों पर आधारित, पुस्तक 'द वेट लॉस रिवोल्यूशन' आधुनिक भारत की स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए जीवनशैली, चिकित्सा एवं परंपरा को मिलाकर एक समग्र और विज्ञान-समर्थित समाधान प्रस्तुत करती है। इससे पूर्व, पुस्तक का विमोचन पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे, लेखक डॉ. अंबरीश मिथल, सह-लेखक शिवम विज, वी केयर की चेयरपर्सन और ओनेनरी कन्वीनर, राजस्थान एंड सेंट्रल इंडिया, पीकेएफ, अपरा कुच्छल, पीकेएफ की राष्ट्रीय सलाहकार विन्नी कक्कड़, एहसास वूमन ऑफ जयपुर से सुनीता शेखावत, कुलसुम मलिक और रीना भंडारी ने किया।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने आईटीसी राजपूताना में डॉ. अंबरीश मिथल और सह-लेखक शिवम विज की लिखित पुस्तक 'द वेट लॉस रेवोल्यूशन' का विमोचन किया। कार्यक्रम प्रभा खेतान फाउंडेशन की 'किताब' पहल के तहत एहसास वूमन के सहयोग से आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए वसुंधरा राजे ने कहा कि विश्व भर में 1 अरब से ज्यादा लोग ओबेसिटी से ग्रस्त हैं। 1975 से यह संख्या तीन गुनी हो गई है। ऐसे में, वजन कम करना हमारे जीवन का एक निरंतर उद्देश्य बन गया है। वजन कम करना सिर्फ अच्छा दिखने के बारे में नहीं है बल्कि यह आपको सशक्त बनाता है और अपने जीवन पर नियंत्रण रखना सिखाता है। स्वस्थ जीवनशैली में बदलाव के साथ वजन घटाने वाली दवाएं सिर्फ वजन कम करने से कहीं अधिक स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकती हैं। ओबेसिटी पर नियंत्रण रखने से हृदय रोग, किडनी और लिवर संबंधी रोग और स्लीप एपनिया जैसी कई अन्य बीमारियों से बचाव में मदद मिल सकती है।
राजे ने इस पर प्रकाश डाला कि भारत में 12-15% बच्चे ओबेसिटी से ग्रस्त हैं, और इसे एक जन स्वास्थ्य संकट बताया। उन्होंने स्कूली पाठ्यक्रमों में 'न्यूट्रीशन एज्युकेशन' को शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि शुरुआत से ही स्वस्थ आदतें विकसित की जा सकें। पुस्तक के बारे में बात करते हुए, राजे ने कहा कि यह लोगों को विज्ञान से जोड़ती है और जटिल अवधारणाओं को रोचक और सहज तरीके से समझने में मदद करती है। यह समाधानों को वास्तविकता से भी जोड़ती है। कार्यक्रम के दौरान, डॉ. अंबरीश मिथल ने सह-लेखक शिवम विज के साथ पुस्तक के मुख्य बिंदुओं और आज की दुनिया में इसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। इस सत्र में वजन कम करने वाली दवाओं, उनके सही उपयोग और उनके पीछे के विज्ञान पर गहन चर्चा की गई। यह पुस्तक भारत में मोटापे और उससे संबंधित बीमारियों के बढ़ते संकट पर एक सशक्त आख्यान प्रस्तुत करती है। 'डायबिटीज कैपिटल' कहे जाने वाले भारत में अब बच्चों में 'ओबेसिटी' की चिंताजनक वृद्धि भी देखने को मिल रही है। चर्चा के दौरान डॉ. मिथल ने बताया कि जीएलपी-1 एक प्राकृतिक हार्मोन है, जो खाने के दौरान आंतों से निकलता है और भूख और ग्लूकोज मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करने में मदद करता है। वैज्ञानिकों ने इस हार्मोन की नकल करने वाली दवाएं विकसित की हैं - जैसे सेमाग्लूटाइड, वेगोवी और मौंजारो - जो शरीर में लंबे समय तक सक्रिय रहती हैं और इस प्राकृतिक प्रक्रिया को बढ़ाती हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि हालांकि ये दवाएं शरीर के वजन का 15-20% तक वजन कम करने में सक्षम हो सकती हैं, लेकिन इनका उपयोग जिम्मेदारी से और केवल चिकित्सकीय देखरेख में ही किया जाना चाहिए। संतुलित आहार और नियमित व्यायाम सहित एक व्यवस्थित प्लान के हिस्से के रूप में, उच्च बीएमआई या मधुमेह और अधिक वजन वाले व्यक्तियों के लिए इन्हें लेने की सलाह दी जाती है। भारतीय आंकड़ों पर आधारित, पुस्तक 'द वेट लॉस रिवोल्यूशन' आधुनिक भारत की स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए जीवनशैली, चिकित्सा एवं परंपरा को मिलाकर एक समग्र और विज्ञान-समर्थित समाधान प्रस्तुत करती है। इससे पूर्व, पुस्तक का विमोचन पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे, लेखक डॉ. अंबरीश मिथल, सह-लेखक शिवम विज, वी केयर की चेयरपर्सन और ओनेनरी कन्वीनर, राजस्थान एंड सेंट्रल इंडिया, पीकेएफ, अपरा कुच्छल, पीकेएफ की राष्ट्रीय सलाहकार विन्नी कक्कड़, एहसास वूमन ऑफ जयपुर से सुनीता शेखावत, कुलसुम मलिक और रीना भंडारी ने किया।