मिस्र के लाल सागर के तट पर स्थित शर्म अल-शेख में आयोजित इस शिखर सम्मेलन पिछले दो साल से ज्यादा वक्त से चलीआ रही इजरायल और हमास के बीच की जंग पर विराम लग गया। कतर में मध्यस्थों के जरिए बातचीत के माध्यम से इजराइल और हमास संघर्षविराम समझौते के पहले चरण पर सहमत हुए जिसके लिए अमेरिका, अरब देशों और तुर्किये का दबाव था। हमास ने 20 बंधकों और इजराइल ने सैंकड़ों फलस्तीनी कैदियों को रिहा किया। मिस्र के शर्म अल शेख में दा अमेरिका समेत कई देशों के प्रतिनिधि इस वक्त भी शर्म अल शेक में मौजूद हैं। हालांकि इसमें इजराइली प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन याहू के शामिल होने की संभावना जताई गई थी। लेकिन उन्होंने इस सम्मेलन से कुछ समय पहले ही इसमें शामिल होने से साफ तौर पर इंकार कर दिया था। एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप के अंतिम समय पर निमंत्रण देने पर नेतन्याहू इस सम्मेलन में शामिल होने वाले थे। लेकिन तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान की तरफ से डाले गए कूटनीतिक दबाव की वजह से उनका मिस्र आना संभव नहीं हो पाया था।
तुर्की के एक राजदूत के हवाले से बताया गया कि एदोगान ने मिस्र में नेतन्याहू की उपस्थिति का विरोध किया और बाकी देशों के नेताओं से भी इस बारे में बातचीत की थी। नाम ना छापने की शर्त पर राजदूत ने बताया कि रिचप तैयब एदगान की पहल पर और तुर्की के राजनयिक प्रयासों से अन्य नेताओं से संपर्क साधा गया। इसके बाद उन नेताओं के समर्थन की वजह से ही नेतनियाओं मिस्र में बैठक में शामिल नहीं हुए। तुर्की की मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक गाजा पीस समिट में शामिल होने के लिए मिस्र जाने वाले एर्दोगान ने तब तक वहां उतरने से इंकार कर दिया था जब तक कि उन्हें आश्वासन नहीं मिल गया था कि नेतन्याहू यहां नहीं आ रहे हैं।
दो साल से चल रहे इजराइल-हमास युद्ध में मंगलवार को भी संघर्ष विराम कायम रहा, हालांकि कई जटिल मुद्दे अब भी अनसुलझे हैं। यह कदम गाजा में बंधक बनाए गए शेष 20 जीवित बंधकों की इजराइल वापसी और बदले में सैकड़ों फलस्तीनी कैदियों की रिहाई पर व्यापक खुशी के एक दिन बाद उठाया गया है। तत्कालिक प्रश्नों की सूची में यह भी शामिल है कि हमास गाजा में मृत समझे जाने वाले 28 बंधकों के शव इजराइल को कब लौटाएगा, साथ ही रिहा किए गए बंधकों और कैदियों की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में भी सवाल पूछे जा रहे हैं। मृत बंधकों में से केवल चार के शव ही सोमवार को इजराइली अधिकारियों को सौंपे गए- जिनकी रिहाई भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा किए गए युद्धविराम समझौते के पहले चरण का हिस्सा है।