थोड़ा तमीज में रहो... भारत के लिए ट्रंप से भिड़ा यूरोपीय देश, निकाल दी हेकड़ी
भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी मजबूती और बढ़ती आर्थक ताकत के साथ खुद को स्थापित किया है। लेकिन हाल ही में अमेरिका ने भारत पर 50 % के टैरिफ लगाए जो दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों में तनाव का कारण बने। ये कदम अमेरिका की ओर से इसलिए उठाया गया क्योंकि उसका तर्क है कि भारत रूस से तेल और हथियार खरीद रहा है और ऐसा करके वो यूक्रेन संकट में रूस का साथ दे रहा है। हालांकि इस मुद्दे पर फिनलैंड का भी एक बड़ा बयान सामने आया है। फिनलैंड ने अमेरिका की इस सख्त नीति के खिलाफ अपनी प्रतिक्रिया दी है। फिनलैंड के राष्ट्रपति एलेंक्सजेंडर स्टब जो अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के करीबी दोस्त माने जाते हैं। उन्होंने पहले ही अमेरिका को सलाह दी थी कि भारत जैसे महत्वपूर्ण वैश्विक साझेदार के साथ अधिक सम्मान और सहयोग की भावना अपनाई जानी चाहिए। इसे भी पढ़ें: Pakistan संग डिफेंस डील पर भारत इतना भड़क गया, सऊदी अरब के 300 पेट्रोलियम ट्रक को सच में किया बाहर?स्टब ने अमेरिका को आगाह किया कि यदि भारत जैसे देशों के प्रति कठोर नीति अपनाई गई तो ये अमेरिका के हितों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। अब इस सलाह का समर्थन करते हुए फिनलैंड की विदेश मंत्री एलिना वाल्टोनेन ने एक बयान दिया। फिनलैंड की विदेश मंत्री ने कहा कि यूरोप भारत पर सेकेंडरी टैरिफ लगाने की संभावना को फिलहाल पूरी तरह से खारिज करता है। भले ही अमेरिका इस बात पर जोर दे रहा हो। उन्होंने ये भी बताया कि यूरोपीय संघ रूसी प्रतिबंधों को कड़ाई से लागू कर रहा है। लेकिन ये प्रतिबंध सीधे रूस पर केंद्रित हैंं न कि भारत या किसी अन्य देशों पर। इसे भी पढ़ें: भारत का नाम लेकर इजरायल ने ऐसा तहलका मचाया, ट्रंप ने फट से घुमा ली अपनी गर्दनफिनलैंड की विदेश मंत्री ने कहा कि यूरोप में रूस के कच्चे तेल के आयात को 90 प्रतिशत तक कम कर दिया है। हम प्रतिबंधों को दरकिनार करने के प्रयासों में भारत की भूमिका की सराहना करते हैं, और चूँकि भारत रूस से तेल खरीद रहा है, इसलिए वह तेल मूल्य सीमा के भीतर ऐसा करने का प्रयास कर रहा है। यह बेहद ज़रूरी है कि हम रूस को उसकी युद्ध मशीनरी के लिए आय प्राप्त करने से रोक सकें। और इसलिए यह भू-राजनीतिक संदर्भ में भारत के हित में भी होना चाहिए, लेकिन निश्चित रूप से, इस संदर्भ में भी कि अगर आप तेल मूल्य सीमा के भीतर रहते हैं तो आपको बहुत अधिक भुगतान नहीं करना पड़ेगा। इसे भी पढ़ें: टैरिफ तलवार से अब सिनेमा पर वार, विदेशी फिल्मों पर 100% टैरिफ से बॉलीवुड होगा प्रभावितयूरोप में एक बेहद प्रभावी प्रतिबंध नीति लागू है, और रूस को अपना अवैध युद्ध समाप्त करने के लिए बाध्य करने का हमारा सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण तरीका यही प्रतिबंध हैं। हम टैरिफ पर भी विचार कर रहे हैं, लेकिन ये टैरिफ सीधे रूस पर लगाए जाएँगे, क्योंकि अमेरिका के विपरीत, यूरोप अभी भी रूस से कुछ वस्तुओं और सेवाओं का आयात करता है। बेशक, इनमें से काफ़ी कुछ प्रतिबंधित है, और हम, उदाहरण के लिए, रूस से अपने कच्चे तेल के आयात को 90% तक कम करने में कामयाब रहे हैं। अभी और भी बहुत कुछ करने की ज़रूरत है, लेकिन यही हमारा मुख्य तरीका है। अब, हम भारत के साथ अपने व्यापार को बढ़ाने की उम्मीद कर रहे हैं।

भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी मजबूती और बढ़ती आर्थक ताकत के साथ खुद को स्थापित किया है। लेकिन हाल ही में अमेरिका ने भारत पर 50 % के टैरिफ लगाए जो दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों में तनाव का कारण बने। ये कदम अमेरिका की ओर से इसलिए उठाया गया क्योंकि उसका तर्क है कि भारत रूस से तेल और हथियार खरीद रहा है और ऐसा करके वो यूक्रेन संकट में रूस का साथ दे रहा है। हालांकि इस मुद्दे पर फिनलैंड का भी एक बड़ा बयान सामने आया है। फिनलैंड ने अमेरिका की इस सख्त नीति के खिलाफ अपनी प्रतिक्रिया दी है। फिनलैंड के राष्ट्रपति एलेंक्सजेंडर स्टब जो अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के करीबी दोस्त माने जाते हैं। उन्होंने पहले ही अमेरिका को सलाह दी थी कि भारत जैसे महत्वपूर्ण वैश्विक साझेदार के साथ अधिक सम्मान और सहयोग की भावना अपनाई जानी चाहिए।
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स्टब ने अमेरिका को आगाह किया कि यदि भारत जैसे देशों के प्रति कठोर नीति अपनाई गई तो ये अमेरिका के हितों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। अब इस सलाह का समर्थन करते हुए फिनलैंड की विदेश मंत्री एलिना वाल्टोनेन ने एक बयान दिया। फिनलैंड की विदेश मंत्री ने कहा कि यूरोप भारत पर सेकेंडरी टैरिफ लगाने की संभावना को फिलहाल पूरी तरह से खारिज करता है। भले ही अमेरिका इस बात पर जोर दे रहा हो। उन्होंने ये भी बताया कि यूरोपीय संघ रूसी प्रतिबंधों को कड़ाई से लागू कर रहा है। लेकिन ये प्रतिबंध सीधे रूस पर केंद्रित हैंं न कि भारत या किसी अन्य देशों पर।
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फिनलैंड की विदेश मंत्री ने कहा कि यूरोप में रूस के कच्चे तेल के आयात को 90 प्रतिशत तक कम कर दिया है। हम प्रतिबंधों को दरकिनार करने के प्रयासों में भारत की भूमिका की सराहना करते हैं, और चूँकि भारत रूस से तेल खरीद रहा है, इसलिए वह तेल मूल्य सीमा के भीतर ऐसा करने का प्रयास कर रहा है। यह बेहद ज़रूरी है कि हम रूस को उसकी युद्ध मशीनरी के लिए आय प्राप्त करने से रोक सकें। और इसलिए यह भू-राजनीतिक संदर्भ में भारत के हित में भी होना चाहिए, लेकिन निश्चित रूप से, इस संदर्भ में भी कि अगर आप तेल मूल्य सीमा के भीतर रहते हैं तो आपको बहुत अधिक भुगतान नहीं करना पड़ेगा।
इसे भी पढ़ें: टैरिफ तलवार से अब सिनेमा पर वार, विदेशी फिल्मों पर 100% टैरिफ से बॉलीवुड होगा प्रभावित
यूरोप में एक बेहद प्रभावी प्रतिबंध नीति लागू है, और रूस को अपना अवैध युद्ध समाप्त करने के लिए बाध्य करने का हमारा सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण तरीका यही प्रतिबंध हैं। हम टैरिफ पर भी विचार कर रहे हैं, लेकिन ये टैरिफ सीधे रूस पर लगाए जाएँगे, क्योंकि अमेरिका के विपरीत, यूरोप अभी भी रूस से कुछ वस्तुओं और सेवाओं का आयात करता है। बेशक, इनमें से काफ़ी कुछ प्रतिबंधित है, और हम, उदाहरण के लिए, रूस से अपने कच्चे तेल के आयात को 90% तक कम करने में कामयाब रहे हैं। अभी और भी बहुत कुछ करने की ज़रूरत है, लेकिन यही हमारा मुख्य तरीका है। अब, हम भारत के साथ अपने व्यापार को बढ़ाने की उम्मीद कर रहे हैं।