जूनियर इंस्ट्रक्टर भर्ती में नियुक्तियां रहेगी हाईकोर्ट के फैसले अधीन:याचिकाकर्ताओं का आरोप-गलत ट्रेड के व्यक्तियों को दी जा रही नियुक्तियां

राजस्थान हाईकोर्ट ने कनिष्ठ अनुदेशक भर्ती 2024 के तहत वर्कशॉप और इंजीनियरिंग ड्राइंग ट्रेड में हो रही नियुक्तियों को याचिका के फैसले के अधीन रखने का आदेश दिया हैं। जस्टिस मनीष शर्मा की बेंच ने बृजेश राठौड़ एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिए। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता आरके गौतम ने कोर्ट को बताया कि भर्ती में वर्कशॉप और इंजीनियरिंग ड्राइंग ट्रेड में अन्य ट्रेड का सर्टिफिकेट प्राप्त अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जा रही है। यह गलत और नियम विरुद्ध है। ऐसा करने से विभाग अभ्यर्थियों के साथ पक्षपात कर रहा है। इससे सही अभ्यर्थी नौकरी से वंचित हो रहे हैं। अदालत नहीं हुआ जवाब से संतुष्ट याचिकार्ताओं ने बताया कि उन्होंने रीडिंग ऑफ ड्राइंग एंड अर्थमेटिक्स से ट्रेड उत्तीर्ण की है। इस विषय से जुड़े पद पर अन्य अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जा रही थी। विभाग अन्य ट्रेड को इस विषय से सुसंगत बताकर यह कर रहा है। जबकि यह डीजीटी के नियमों के खिलाफ है। कोर्ट के आदेश पर विभाग द्वारा जवाब पेश किया गया, लेकिन कोर्ट जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ। वहीं नियुक्तियों को याचिका के अध्याधीन रखने का आदेश दिया।

Sep 29, 2025 - 21:26
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जूनियर इंस्ट्रक्टर भर्ती में नियुक्तियां रहेगी हाईकोर्ट के फैसले अधीन:याचिकाकर्ताओं का आरोप-गलत ट्रेड के व्यक्तियों को दी जा रही नियुक्तियां
राजस्थान हाईकोर्ट ने कनिष्ठ अनुदेशक भर्ती 2024 के तहत वर्कशॉप और इंजीनियरिंग ड्राइंग ट्रेड में हो रही नियुक्तियों को याचिका के फैसले के अधीन रखने का आदेश दिया हैं। जस्टिस मनीष शर्मा की बेंच ने बृजेश राठौड़ एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिए। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता आरके गौतम ने कोर्ट को बताया कि भर्ती में वर्कशॉप और इंजीनियरिंग ड्राइंग ट्रेड में अन्य ट्रेड का सर्टिफिकेट प्राप्त अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जा रही है। यह गलत और नियम विरुद्ध है। ऐसा करने से विभाग अभ्यर्थियों के साथ पक्षपात कर रहा है। इससे सही अभ्यर्थी नौकरी से वंचित हो रहे हैं। अदालत नहीं हुआ जवाब से संतुष्ट याचिकार्ताओं ने बताया कि उन्होंने रीडिंग ऑफ ड्राइंग एंड अर्थमेटिक्स से ट्रेड उत्तीर्ण की है। इस विषय से जुड़े पद पर अन्य अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जा रही थी। विभाग अन्य ट्रेड को इस विषय से सुसंगत बताकर यह कर रहा है। जबकि यह डीजीटी के नियमों के खिलाफ है। कोर्ट के आदेश पर विभाग द्वारा जवाब पेश किया गया, लेकिन कोर्ट जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ। वहीं नियुक्तियों को याचिका के अध्याधीन रखने का आदेश दिया।