जन्माष्टमी-व्रत में भक्ति के साथ सेहत का भी रखें ध्यान:जानिए डाइटीशियन  की सलाह

जन्माष्टमी का पर्व भक्ति, भोग और आनंद का संगम है। कान्हा जन्मोत्सव पर मंदिरों में विशेष सजावट, झांकियां और भजन-संकीर्तन होते हैं, वहीं घर-घर में माखन, दही, पाग और पंजीरी जैसे सात्विक व्यंजन तैयार किए जाते हैं। वैदिक परंपरा में उपवास को शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का साधन माना गया है। व्रत में सात्विक आहार जैसे फल, दूध, मेवे और हल्के व्यंजन लेने से न केवल पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है, बल्कि मानसिक शांति भी मिलती है। डाइटीशियन सुरभि उपाध्याय के अनुसार, जन्माष्टमी पर सुबह से भूखे रहने और शाम को ज्यादा खाना, मिठाइयों का अधिक सेवन और तली-भुनी चीजें खाने से कई लोग बीमार पड़ जाते हैं। व्रत के बाद तुरंत पूरी, पकवान, पकोड़े जैसे तैलीय पदार्थों से परहेज़ करना चाहिए। इससे मोटापा, हृदय रोग, कब्ज़ और डिहाइड्रेशन का खतरा बढ़ सकता है। उन्होंने बताया कि दूध से बनी मिठाइयों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, इसलिए ये अपेक्षाकृत सुरक्षित हैं, पर इनका भी सेवन सीमित मात्रा में ही करें। व्रत के दौरान और बाद में फलों, सब्ज़ियों, प्रोटीन और दूध को आहार में शामिल करना ज़रूरी है। साथ ही पर्याप्त पानी, नारियल पानी, नींबू पानी (सेंधा नमक के साथ) और हर्बल चाय से शरीर में पानी की कमी नहीं होती और ऊर्जा बनी रहती है। विशेषज्ञों का कहना है कि मेवे जैसे बादाम, अखरोट, मखाना और चिया सीड्स अच्छे फैट और प्रोटीन का स्रोत हैं, जबकि पुदीना, धनिया और जीरा पाचन में मदद करते हैं। जन्माष्टमी का पर्व केवल उत्सव नहीं, बल्कि आहार अनुशासन और आत्मसंयम का भी संदेश देता है, जिससे भक्ति के साथ सेहत भी बनी रहती है।

Aug 16, 2025 - 07:28
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जन्माष्टमी-व्रत में भक्ति के साथ सेहत का भी रखें ध्यान:जानिए डाइटीशियन  की सलाह
जन्माष्टमी का पर्व भक्ति, भोग और आनंद का संगम है। कान्हा जन्मोत्सव पर मंदिरों में विशेष सजावट, झांकियां और भजन-संकीर्तन होते हैं, वहीं घर-घर में माखन, दही, पाग और पंजीरी जैसे सात्विक व्यंजन तैयार किए जाते हैं। वैदिक परंपरा में उपवास को शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का साधन माना गया है। व्रत में सात्विक आहार जैसे फल, दूध, मेवे और हल्के व्यंजन लेने से न केवल पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है, बल्कि मानसिक शांति भी मिलती है। डाइटीशियन सुरभि उपाध्याय के अनुसार, जन्माष्टमी पर सुबह से भूखे रहने और शाम को ज्यादा खाना, मिठाइयों का अधिक सेवन और तली-भुनी चीजें खाने से कई लोग बीमार पड़ जाते हैं। व्रत के बाद तुरंत पूरी, पकवान, पकोड़े जैसे तैलीय पदार्थों से परहेज़ करना चाहिए। इससे मोटापा, हृदय रोग, कब्ज़ और डिहाइड्रेशन का खतरा बढ़ सकता है। उन्होंने बताया कि दूध से बनी मिठाइयों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, इसलिए ये अपेक्षाकृत सुरक्षित हैं, पर इनका भी सेवन सीमित मात्रा में ही करें। व्रत के दौरान और बाद में फलों, सब्ज़ियों, प्रोटीन और दूध को आहार में शामिल करना ज़रूरी है। साथ ही पर्याप्त पानी, नारियल पानी, नींबू पानी (सेंधा नमक के साथ) और हर्बल चाय से शरीर में पानी की कमी नहीं होती और ऊर्जा बनी रहती है। विशेषज्ञों का कहना है कि मेवे जैसे बादाम, अखरोट, मखाना और चिया सीड्स अच्छे फैट और प्रोटीन का स्रोत हैं, जबकि पुदीना, धनिया और जीरा पाचन में मदद करते हैं। जन्माष्टमी का पर्व केवल उत्सव नहीं, बल्कि आहार अनुशासन और आत्मसंयम का भी संदेश देता है, जिससे भक्ति के साथ सेहत भी बनी रहती है।