पुलिस बोली-दिल्ली दंगे देश में सत्ता परिवर्तन की साजिश थी:हिंसा फैलाने की कोशिश हुई; सुप्रीम कोर्ट में 177 पन्नों का हलफनामा दाखिल
2020 के दिल्ली दंगे कोई अचानक भड़की हिंसा नहीं थे, बल्कि केंद्र में सत्ता परिवर्तन करने की साजिश के तहत किए गए थे। इसका मकसद देश को कमजोर करना था। पुलिस ने यह बात 177 पन्नों के हलफनामे में कही है, जो सुप्रीम कोर्ट में उमर खालिद और शरजील इमाम जैसे आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर दाखिल किया जा रहा है। पुलिस के मुताबिक, जांच में मिले गवाहों के बयान, दस्तावेज और तकनीकी सबूत बताते हैं कि यह दंगे नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ विरोध को हथियार बनाकर योजनाबद्ध तरीके से कराए गए थे। पुलिस का कहना है- इस साजिश के तहत देशभर में हिंसा फैलाने की कोशिश हुई, जिसमें उत्तर प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, केरल और कर्नाटक जैसे राज्य भी शामिल थे। उमर खालिद और शरजील इमाम साजिशकर्ता थे, जिन्होंने लोगों को भड़काने का काम किया। दरअसल, दिल्ली में फरवरी 2020 में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान 23 से 26 फरवरी तक हिंसा भड़क गई थी। जिसमें 53 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों घायल हुए थे। पुलिस बोली- आरोपी बार-बार झूठी याचिकाएं दाखिल कर रहे दिल्ली पुलिस की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वकील रजत नायर और ध्रुव पांडे पेश हो रहे हैं। पुलिस ने अदालत में कहा कि आरोपी बार-बार झूठी याचिकाएं दाखिल कर रहे हैं, ताकि केस की सुनवाई में देरी हो। यह न्याय प्रक्रिया में रुकावट डालने जैसा है। सुप्रीम कोर्ट अब पुलिस के इस हलफनामे पर सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने 29 अक्टूबर को आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर दिल्ली पुलिस को जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्तों का अतिरिक्त समय देने से मना कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई अब 31 अक्टूबर को होगी। सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पुलिस की ओर से और समय मांगा। लेकिन, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने कहा कि हमने आपको पर्याप्त समय दिया था। जानिए 2020 दिल्ली दंगा केस में कब क्या हुआ... ----------------------------- दिल्ली दंगे की ये खबर भी पढ़ें... दिल्ली दंगा- 3 साल जेल, अब निकले बेकसूर:मां बोली- बेटा जेल गया तो भीख मांगनी पड़ी, कोर्ट ने कहा- बचाने आए थे मोहम्मद शहाबुद्दीन, मोहम्मद मारूफ और रिजवान, तीनों ऐसे केस में जेल गए, जो उन्होंने किया ही नहीं था। केस भी मर्डर का था। ये साल 2020 की बात है। CAA-NRC के विरोध में हुए प्रोटेस्ट के दौरान दिल्ली में दंगे भड़क गए थे। 25 फरवरी, 2020 को नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के खजूरी चौक पर बब्बू नाम के एक ऑटो ड्राइवर को दंगाइयों ने बुरी तरह पीटा। पिटाई से बेदम हुए बब्बू की मौत हो गई। पूरी खबर पढ़ें...
2020 के दिल्ली दंगे कोई अचानक भड़की हिंसा नहीं थे, बल्कि केंद्र में सत्ता परिवर्तन करने की साजिश के तहत किए गए थे। इसका मकसद देश को कमजोर करना था। पुलिस ने यह बात 177 पन्नों के हलफनामे में कही है, जो सुप्रीम कोर्ट में उमर खालिद और शरजील इमाम जैसे आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर दाखिल किया जा रहा है। पुलिस के मुताबिक, जांच में मिले गवाहों के बयान, दस्तावेज और तकनीकी सबूत बताते हैं कि यह दंगे नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ विरोध को हथियार बनाकर योजनाबद्ध तरीके से कराए गए थे। पुलिस का कहना है- इस साजिश के तहत देशभर में हिंसा फैलाने की कोशिश हुई, जिसमें उत्तर प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, केरल और कर्नाटक जैसे राज्य भी शामिल थे। उमर खालिद और शरजील इमाम साजिशकर्ता थे, जिन्होंने लोगों को भड़काने का काम किया। दरअसल, दिल्ली में फरवरी 2020 में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान 23 से 26 फरवरी तक हिंसा भड़क गई थी। जिसमें 53 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों घायल हुए थे। पुलिस बोली- आरोपी बार-बार झूठी याचिकाएं दाखिल कर रहे दिल्ली पुलिस की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वकील रजत नायर और ध्रुव पांडे पेश हो रहे हैं। पुलिस ने अदालत में कहा कि आरोपी बार-बार झूठी याचिकाएं दाखिल कर रहे हैं, ताकि केस की सुनवाई में देरी हो। यह न्याय प्रक्रिया में रुकावट डालने जैसा है। सुप्रीम कोर्ट अब पुलिस के इस हलफनामे पर सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने 29 अक्टूबर को आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर दिल्ली पुलिस को जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्तों का अतिरिक्त समय देने से मना कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई अब 31 अक्टूबर को होगी। सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पुलिस की ओर से और समय मांगा। लेकिन, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने कहा कि हमने आपको पर्याप्त समय दिया था। जानिए 2020 दिल्ली दंगा केस में कब क्या हुआ... ----------------------------- दिल्ली दंगे की ये खबर भी पढ़ें... दिल्ली दंगा- 3 साल जेल, अब निकले बेकसूर:मां बोली- बेटा जेल गया तो भीख मांगनी पड़ी, कोर्ट ने कहा- बचाने आए थे मोहम्मद शहाबुद्दीन, मोहम्मद मारूफ और रिजवान, तीनों ऐसे केस में जेल गए, जो उन्होंने किया ही नहीं था। केस भी मर्डर का था। ये साल 2020 की बात है। CAA-NRC के विरोध में हुए प्रोटेस्ट के दौरान दिल्ली में दंगे भड़क गए थे। 25 फरवरी, 2020 को नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के खजूरी चौक पर बब्बू नाम के एक ऑटो ड्राइवर को दंगाइयों ने बुरी तरह पीटा। पिटाई से बेदम हुए बब्बू की मौत हो गई। पूरी खबर पढ़ें...