पटाखे फोड़ना-लाउडस्पीकर बजाना किसी धर्म में नहीं लिखा:SC के पूर्व जज बोले- दुर्भाग्य है किसी नेता-धर्मगुरु ने प्रदूषण रोकने की अपील नहीं की
कोई भी धर्म पर्यावरण को बर्बाद करने, जीव-जंतुओं को नुकसान पहुंचाने की इजाजत नहीं देता। पटाखे फोड़ना और लाउडस्पीकर बजाना अनिवार्य धार्मिक प्रथाएं नहीं हैं। दुर्भाग्य की बात है कि किसी भी राजनेता ने जनता से त्योहार मनाते समय प्रदूषण न फैलाने और पर्यावरण को नष्ट न करने की अपील नहीं की। ऐसा लगता है कि राजनीतिक वर्ग इस कर्तव्य को नहीं जानता या इसे लेकर सजग नहीं है। कुछ अपवाद छोड़ दिए जाएं तो यही बात हमारे धर्मगुरुओं के बारे में भी सच है। यह बात सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज, जस्टिस अभय एस ओक ने 29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की लेक्चर सीरीज के दौरान कही। वे ‘क्लीन एयर, क्लाइमेट जस्टिस एंड वी टुगेदर फॉर ए सस्टेनेबल फ्यूचर’ विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। गौरतलब है कि जस्टिस अभय ओक और जस्टिस नरसिम्हा की बेंच ने ही 2023 में दिल्ली-NCR में पटाखों से वायु प्रदूषण के मामले पर सुनवाई की थी। उन्होंने दिल्ली समेत पूरे देश में पटाखों पर बैन को सख्ती से लागू करने का आदेश दिया था। रिटायर जस्टिस ओक के व्याख्यान की बड़ी बातें... मूर्ति विसर्जन को लेकर समाज अब भी जागरूक नहीं पूर्व जस्टिस अभय ओक ने मूर्ति विसर्जन को लेकर समाज में जागरुकता की कमी पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि कोर्ट के पुराने आदेशों ने कई बार ऐसे प्रदूषण को बढ़ावा भी दिया है, जहां प्लास्टर ऑफ पेरिस की बड़ी-बड़ी मूर्तियां समुद्र, नदी-झील में विसर्जित हो गईं। इसके बावजूद, हाल के सालों में सरकारों के बनाए कृत्रिम तालाब एक बढ़िया शुरुआत रहे, लेकिन अभी समाज में जागरुकता की कमी है। उन्होंने यह भी कहा कि कई धर्म और दर्शन मानते हैं कि प्रकृति ईश्वरीय शक्ति है, लेकिन लोग इस सिद्धांत को अपनी सुविधानुसार नजरअंदाज कर देते हैं। प्रदूषण फैलाना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना जाए रिटायर जस्टिस ओक ने कहा- वायु और जल प्रदूषण को अनुच्छेद 21 के तहत मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना जाना चाहिए, इसमें मानवीय गरिमा के साथ जीने का अधिकार भी शामिल है। मेरा विश्वास है कि जब तक आपके पास स्वस्थ वातावरण नहीं होगा, मानवीय गरिमा के साथ जीना असंभव है। उन्होंने जजों और अदालतों की भूमिका पर कहा- जब हम जज के रूप में पर्यावरण के साथ न्याय करते हैं, तो हम न केवल मनुष्यों के साथ, बल्कि सभी जीवित प्राणियों के साथ न्याय करते हैं, बल्कि हम पृथ्वी ग्रह के साथ न्याय करते हैं। मेरा व्यक्तिगत विचार है कि आज के हालात देखते हुए, पर्यावरण की रक्षा करने वाली एकमात्र संस्था न्यायालय या कानूनी अदालतें ही हैं। दिवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट ने दी थी दिल्ली में पटाखे जलाने की इजाजत सुप्रीम कोर्ट ने 15 अक्टूबर को दिल्ली-NCR में ग्रीन पटाखे बेचने और फोड़ने की इजाजत दे दी थी। हालांकि, ये परमिशन 18 से 21 अक्टूबर तक के लिए ही थी। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने आदेश देते हुए कहा था कि हम कुछ शर्तों के साथ ग्रीन पटाखे जलाने की इजाजत दे रहे हैं। CJI गवई ने कहा था कि हमें बैलेंस अप्रोच अपनानी होगी, लेकिन पर्यावरण के साथ समझौता नहीं करेंगे। पूरी खबर पढ़ें... हाई लेवल से ऊपर AQI खतरा AQI एक तरह का थर्मामीटर है, जो हवा में प्रदूषण मापने का काम करता है। इस पैमाने के जरिए हवा में मौजूद CO (कार्बन डाइऑक्साइड ), OZONE, (ओजोन) NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड), PM 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) और PM 10 पोल्यूटेंट्स की मात्रा चेक की जाती है और उसे शून्य से लेकर 500 तक रीडिंग में दर्शाया जाता है। हवा में पॉल्यूटेंट्स की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, AQI का स्तर उतना ज्यादा होगा। और जितना ज्यादा AQI, उतनी खतरनाक हवा। वैसे तो 200 से 300 के बीच AQI भी खराब माना जाता है, लेकिन अभी हालात ये हैं कि राजस्थान, हरियाणा दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में ये 300 के ऊपर जा चुका है। ये बढ़ता AQI सिर्फ एक नंबर नहीं है। ये आने वाली बीमारियों के खतरे का संकेत भी है। ------------------------ ये खबर भी पढ़ें... हनुमानगढ़ में प्रदूषण से बढ़े सांस, आंखों के मरीज:अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ी, वायु गुणवत्ता में हल्का सुधार हनुमानगढ़ में दीपावली के बाद बढ़े प्रदूषण ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जिले में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) अत्यधिक खराब श्रेणी में पहुंच गया था, जिससे हनुमानगढ़ देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल हो गया। हालांकि, पिछले कुछ दिनों से वायु गुणवत्ता में हल्का सुधार दर्ज किया जा रहा है। पूरी खबर पढ़ें... मॉनिटरिंग स्टेशन बंद, फिर भी जारी हुआ AQI डेटा:फरीदाबाद में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड पर उठे सवाल, दिनभर छाई रही धुंध औद्योगिक नगरी फरीदाबाद की आबोहवा लगातार बिगड़ती जा रही है, लेकिन सरकारी विभागों की लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रही। बुधवार को जिले में पूरे दिन घनी धुंध छाई रही। ऐसा ही मौसम मंगलवार को भी पूरे दिन बना रहा। पूरी खबर पढ़ें...
कोई भी धर्म पर्यावरण को बर्बाद करने, जीव-जंतुओं को नुकसान पहुंचाने की इजाजत नहीं देता। पटाखे फोड़ना और लाउडस्पीकर बजाना अनिवार्य धार्मिक प्रथाएं नहीं हैं। दुर्भाग्य की बात है कि किसी भी राजनेता ने जनता से त्योहार मनाते समय प्रदूषण न फैलाने और पर्यावरण को नष्ट न करने की अपील नहीं की। ऐसा लगता है कि राजनीतिक वर्ग इस कर्तव्य को नहीं जानता या इसे लेकर सजग नहीं है। कुछ अपवाद छोड़ दिए जाएं तो यही बात हमारे धर्मगुरुओं के बारे में भी सच है। यह बात सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज, जस्टिस अभय एस ओक ने 29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की लेक्चर सीरीज के दौरान कही। वे ‘क्लीन एयर, क्लाइमेट जस्टिस एंड वी टुगेदर फॉर ए सस्टेनेबल फ्यूचर’ विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। गौरतलब है कि जस्टिस अभय ओक और जस्टिस नरसिम्हा की बेंच ने ही 2023 में दिल्ली-NCR में पटाखों से वायु प्रदूषण के मामले पर सुनवाई की थी। उन्होंने दिल्ली समेत पूरे देश में पटाखों पर बैन को सख्ती से लागू करने का आदेश दिया था। रिटायर जस्टिस ओक के व्याख्यान की बड़ी बातें... मूर्ति विसर्जन को लेकर समाज अब भी जागरूक नहीं पूर्व जस्टिस अभय ओक ने मूर्ति विसर्जन को लेकर समाज में जागरुकता की कमी पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि कोर्ट के पुराने आदेशों ने कई बार ऐसे प्रदूषण को बढ़ावा भी दिया है, जहां प्लास्टर ऑफ पेरिस की बड़ी-बड़ी मूर्तियां समुद्र, नदी-झील में विसर्जित हो गईं। इसके बावजूद, हाल के सालों में सरकारों के बनाए कृत्रिम तालाब एक बढ़िया शुरुआत रहे, लेकिन अभी समाज में जागरुकता की कमी है। उन्होंने यह भी कहा कि कई धर्म और दर्शन मानते हैं कि प्रकृति ईश्वरीय शक्ति है, लेकिन लोग इस सिद्धांत को अपनी सुविधानुसार नजरअंदाज कर देते हैं। प्रदूषण फैलाना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना जाए रिटायर जस्टिस ओक ने कहा- वायु और जल प्रदूषण को अनुच्छेद 21 के तहत मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना जाना चाहिए, इसमें मानवीय गरिमा के साथ जीने का अधिकार भी शामिल है। मेरा विश्वास है कि जब तक आपके पास स्वस्थ वातावरण नहीं होगा, मानवीय गरिमा के साथ जीना असंभव है। उन्होंने जजों और अदालतों की भूमिका पर कहा- जब हम जज के रूप में पर्यावरण के साथ न्याय करते हैं, तो हम न केवल मनुष्यों के साथ, बल्कि सभी जीवित प्राणियों के साथ न्याय करते हैं, बल्कि हम पृथ्वी ग्रह के साथ न्याय करते हैं। मेरा व्यक्तिगत विचार है कि आज के हालात देखते हुए, पर्यावरण की रक्षा करने वाली एकमात्र संस्था न्यायालय या कानूनी अदालतें ही हैं। दिवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट ने दी थी दिल्ली में पटाखे जलाने की इजाजत सुप्रीम कोर्ट ने 15 अक्टूबर को दिल्ली-NCR में ग्रीन पटाखे बेचने और फोड़ने की इजाजत दे दी थी। हालांकि, ये परमिशन 18 से 21 अक्टूबर तक के लिए ही थी। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने आदेश देते हुए कहा था कि हम कुछ शर्तों के साथ ग्रीन पटाखे जलाने की इजाजत दे रहे हैं। CJI गवई ने कहा था कि हमें बैलेंस अप्रोच अपनानी होगी, लेकिन पर्यावरण के साथ समझौता नहीं करेंगे। पूरी खबर पढ़ें... हाई लेवल से ऊपर AQI खतरा AQI एक तरह का थर्मामीटर है, जो हवा में प्रदूषण मापने का काम करता है। इस पैमाने के जरिए हवा में मौजूद CO (कार्बन डाइऑक्साइड ), OZONE, (ओजोन) NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड), PM 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) और PM 10 पोल्यूटेंट्स की मात्रा चेक की जाती है और उसे शून्य से लेकर 500 तक रीडिंग में दर्शाया जाता है। हवा में पॉल्यूटेंट्स की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, AQI का स्तर उतना ज्यादा होगा। और जितना ज्यादा AQI, उतनी खतरनाक हवा। वैसे तो 200 से 300 के बीच AQI भी खराब माना जाता है, लेकिन अभी हालात ये हैं कि राजस्थान, हरियाणा दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में ये 300 के ऊपर जा चुका है। ये बढ़ता AQI सिर्फ एक नंबर नहीं है। ये आने वाली बीमारियों के खतरे का संकेत भी है। ------------------------ ये खबर भी पढ़ें... हनुमानगढ़ में प्रदूषण से बढ़े सांस, आंखों के मरीज:अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ी, वायु गुणवत्ता में हल्का सुधार हनुमानगढ़ में दीपावली के बाद बढ़े प्रदूषण ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जिले में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) अत्यधिक खराब श्रेणी में पहुंच गया था, जिससे हनुमानगढ़ देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल हो गया। हालांकि, पिछले कुछ दिनों से वायु गुणवत्ता में हल्का सुधार दर्ज किया जा रहा है। पूरी खबर पढ़ें... मॉनिटरिंग स्टेशन बंद, फिर भी जारी हुआ AQI डेटा:फरीदाबाद में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड पर उठे सवाल, दिनभर छाई रही धुंध औद्योगिक नगरी फरीदाबाद की आबोहवा लगातार बिगड़ती जा रही है, लेकिन सरकारी विभागों की लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रही। बुधवार को जिले में पूरे दिन घनी धुंध छाई रही। ऐसा ही मौसम मंगलवार को भी पूरे दिन बना रहा। पूरी खबर पढ़ें...