भारतीय वायुसेना दिवस हर वर्ष 8 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिन हमें उन निडर पुरुषों और महिलाओं की याद दिलाता है, जो आकाश से भारत की रक्षा करते हैं और प्राकृतिक आपदाओं तथा आपात परिस्थितियों में राहत कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। यह केवल उत्सव का दिन नहीं है, बल्कि देशभक्ति, साहस और सेवा की भावना को सम्मान देने का अवसर भी है।
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने इस वर्ष के वायुसेना दिवस समारोह में विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना के “साहसिक और सटीक” हमलों ने राष्ट्रीय चेतना में आक्रामक हवाई कार्रवाई का उचित स्थान बहाल किया। यह अभियान पाकिस्तानी नियंत्रण वाले क्षेत्रों में आतंकवादी ढांचों को नष्ट करने के लिए हवाई शक्ति का इस्तेमाल कर सफलता प्राप्त करने का उदाहरण रहा।
एयर चीफ मार्शल सिंह ने वायु योद्धाओं से कहा कि भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों के लिए तैयार रहना ही उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वायुसेना की योजना “नवोन्मेषी, व्यावहारिक और अनुकूलनीय” होनी चाहिए तथा प्रशिक्षण का मूल सिद्धांत “जैसे हम लड़ते हैं वैसे ही प्रशिक्षण लें” होना चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाया कि सावधानीपूर्वक योजना, अनुशासित प्रशिक्षण और दृढ़ निश्चय के साथ कितनी प्रभावी कार्रवाई की जा सकती है।
वायुसेना दिवस समारोह इस वर्ष गाज़ियाबाद के हिंडन एयर बेस पर आयोजित किया गया। लोगों ने अद्भुत एरोबैटिक शो, परेड और राफेल, सुखोई-30MKI, तेजस और मिराज 2000 के फ्लाई-पास्ट का आनंद लिया। प्रदर्शनों में आधुनिक ड्रोन तकनीक और युद्धाभ्यास भी शामिल थे, जो लोगों को यह अनुभव कराते हैं कि भारतीय वायुसेना न केवल शक्ति में बल्कि रणनीति और तकनीक में भी विश्व स्तर पर अग्रणी है।
हम आपको बता दें कि भारतीय वायुसेना की नींव 8 अक्टूबर 1932 को केवल छह अधिकारियों और चार छोटे विमानों के साथ रखी गई थी। उस समय किसी ने नहीं सोचा था कि यह छोटी इकाई भविष्य में विश्व की सबसे मजबूत वायुसेनाओं में से एक बन जाएगी। आजादी के बाद भारत ने सीमाओं की रक्षा के लिए वायुसेना की भूमिका को लगातार मजबूत किया। 1965 और 1971 के भारत–पाक युद्धों में IAF के लड़ाकू विमानों ने सीमाओं पर अद्वितीय साहस और रणनीति का प्रदर्शन किया। इसके अलावा, बाढ़, भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं में राहत कार्यों में वायुसेना का योगदान हमेशा सराहनीय रहा है।
भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य “नभः स्पर्शं दीप्तम्” है, जिसका अर्थ है— “गौरव के साथ आकाश को छूना।” यह भगवद्गीता से लिया गया प्रेरक मंत्र है, जो वायुसेना के साहस, अनुशासन और देशभक्ति को दर्शाता है। यह केवल शब्द नहीं, बल्कि हर वायु सैनिक के जीवन का लक्ष्य है।
आज भारतीय वायुसेना आधुनिक विमानों, ड्रोन और अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग कर भारत की रक्षा क्षमता को और मजबूत कर रही है। राफेल, सुखोई, तेजस और मिराज जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान, एंटी-मिसाइल सिस्टम, जटिल रडार नेटवर्क और रणनीतिक निगरानी ड्रोन, यह सब भारत को हर तरह की हवाई और साइबर चुनौती के लिए तैयार करते हैं। हाल ही में IAF ने ड्रोन आधारित निगरानी और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध तकनीक को अपनाया है, जो सीमाओं पर सुरक्षा और आकाश में प्रभुत्व बनाए रखने में निर्णायक भूमिका निभाती है।
हालांकि, भारतीय वायुसेना के समक्ष कई चुनौतियाँ भी हैं। सीमावर्ती तनाव, आधुनिक हथियारों में तेजी से हो रहे वैश्विक बदलाव और साइबर युद्ध जैसी नई तकनीकी चुनौतियाँ इसे लगातार सतर्क रखती हैं। प्रशिक्षण और मानव संसाधन की गुणवत्ता बनाए रखना, सीमित बजट में अत्याधुनिक हथियारों और तकनीक का समन्वय करना, और नए विमानों और रणनीतियों को निरंतर अपडेट करना, वायुसेना के लिए सतत चुनौती हैं।
इसके बावजूद, भारतीय वायुसेना न केवल देश की रक्षा करती है, बल्कि यह राष्ट्रीय गर्व और सामूहिक साहस का प्रतीक भी बनी हुई है। इसकी उपलब्धियाँ यह दर्शाती हैं कि शक्ति केवल विमान और हथियारों में नहीं, बल्कि अनुशासन, वीरता और अडिग समर्पण में निहित है। ऑपरेशन सिंदूर, ऑपरेशन सिंधु और अन्य राहत अभियानों में दिखाया गया साहस और कुशल रणनीति इसका सजीव उदाहरण है।
भारतीय वायुसेना दिवस केवल परेड और विमानों का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र के शौर्य, सेवा और समर्पण का प्रतीक है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि आकाश में तिरंगा फहराने वाले ये वीर हमारी सुरक्षा के पथप्रदर्शक हैं। भारतीय वायुसेना का हर सैनिक न केवल आकाश को छूता है, बल्कि अपने अदम्य साहस और पराक्रम से पूरे राष्ट्र का दिल भी छूता है। यह दिवस हमें यह स्मरण कराता है कि राष्ट्र की सुरक्षा और गौरव कभी स्थिर नहीं रहते; इसके लिए निरंतर साहस, समर्पण और तकनीकी निपुणता की आवश्यकता होती है। भारतीय वायुसेना ने इस चुनौती को सदैव स्वीकार किया है और करती रहेगी।
-नीरज कुमार दुबे