SDG-7 : आज भी करोड़ों लोग हैं बिजली से वंचित, कैसे मिलेगी विकास की रोशनी?
ऊर्जा या बिजली, दुनियाभर में हर व्यक्ति और हर क्षेत्र के विकास की रीढ़ है। बिजली और स्वच्छ ईंधन न केवल हमारी दैनिक की ज़रूरतों को पूरी करते हैं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार, परिवहन, कृषि और संचार जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को भी सशक्त बनाते हैं। ...

ऊर्जा या बिजली, दुनियाभर में हर व्यक्ति और हर क्षेत्र के विकास की रीढ़ है। बिजली और स्वच्छ ईंधन न केवल हमारी दैनिक की ज़रूरतों को पूरी करते हैं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार, परिवहन, कृषि और संचार जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को भी सशक्त बनाते हैं। इसके बावजूद आज भी करोड़ों लोग बिजली और भोजन पकाने के स्वच्छ और सुरक्षित साधनों से वंचित हैं, और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता, जलवायु संकट को बढ़ा रही है।
ऐसे में, सतत विकास लक्ष्य (SDG-7) यह सुनिश्चित करता है कि 2030 तक सभी के पास सस्ती, भरोसेमन्द और स्वच्छ ऊर्जा पहुंच सके, जिससे सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिरता साथ-साथ सुनिश्चित हो। दुनिया सतत ऊर्जा के लक्ष्यों की प्राप्ति की ओर बढ़ तो रही है, मगर पर्याप्त तेज़ी से नहीं। मौजूदा गति से चलने पर 2030 तक लगभग 64.5 करोड़ लोगों को बिजली नहीं मिलेगी और 1.8 अरब लोग, भोजन पकाने के लिए प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन और तकनीक पर निर्भर रहेंगे।
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हमारा दैनिक जीवन, भरोसेमन्द और सस्ती ऊर्जा पर आधारित है। फिर भी ऊर्जा की खपत, जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा कारण है, जो वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का दो-तिहाई हिस्सा है। ऊर्जा सेवाएं बीमारियों की रोकथाम और महामारी से लड़ने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। जैसे कि अस्पतालों को बिजली देना, स्वच्छ पानी उपलब्ध कराना, और संचार व आईटी सेवाओं को चलाना, जो लोगों को आपस में जोड़कर सुरक्षित दूरी बनाए रखने में मदद करती हैं।
क्यों ज़रूरी है यह SDG-7
एक अच्छी ऊर्जा प्रणाली समाज के हर क्षेत्र का आधार है, चाहे वह व्यापार हो, चिकित्सा, शिक्षा, कृषि, संचार या फिर आधुनिक तकनीक। निर्धन देशों में बिजली की उपलब्धता तेज़ी से बढ़ रही है, ऊर्जा दक्षता में सुधार हो रहा है और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में अच्छी प्रगति दिख रही है। फिर भी, 2.1 अरब लोग अब भी स्वच्छ और सुरक्षित भोजन पकाने के ईंधन से वंचित हैं।
स्वच्छ साधनों से भोजन पकाने के समाधान की धीमी प्रगति, गम्भीर चिन्ता का विषय है। अगर 2030 तक लक्ष्य हासिल नहीं हुआ, तो लगभग 22 प्रतिशत वैश्विक आबादी (ज़्यादातर महिलाएं और बच्चे) हानिकारक घरेलू वायु प्रदूषण के संपर्क में रहेंगे।
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कई दशकों से कोयला, तेल और गैस जैसे जीवाश्म ईंधन, बिजली उत्पादन के बड़े स्रोत रहे हैं, लेकिन कार्बन ईंधन जलाने से ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं, जो जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए हानिकारक हैं। साथ ही दुनिया में बिजली की खपत लगातार बढ़ रही है। बिजली की स्थिर आपूर्ति के बिना, किसी देश की अर्थव्यवस्था आगे नहीं बढ़ सकती।
श्रीलंका में भोजन पकाने में काम आने वाली गैस की आपूर्ति कम होने के कारण, बहुत से परिवारों को परम्परागत आग शैलियों का प्रयोग करने के लिये विवश होना पड़ रहा है।
चौंकाने वाले आंकड़े
तथ्यों और आंकड़ों की बात करें तो, 2022 में बिजली क्षेत्र की कुल ऊर्जा खपत का 30 प्रतिशत हिस्सा, नवीकरणीय स्रोतों से आया, हालांकि परिवहन क्षेत्र में अभी भी बड़ी चुनौतियां मौजूद हैं।
वर्ष 2010 में, दुनिया भर में बिजली की पहुंच 84 प्रतिशत थी, जो 2023 तक बढ़कर 92 प्रतिशत हो गई। इसके बावजूद, दुनिया की लगभग 8 फ़ीसदी आबादी अब भी बिजली से वंचित है, जिसमें अधिकतर सबसे कम विकसित देशों और सहारा-दक्षिणी अफ़्रीकी देश शामिल हैं।
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वर्ष 2015 में स्वच्छ भोजन पकाने तक पहुंच 64 से बढ़कर, वर्ष 2023 में 74 प्रतिशत हो गई, लेकिन सहारा-दक्षिणी अफ़्रीका में यह समस्या अब भी सबसे गम्भीर बनी हुई है। वैश्विक स्तर पर, 2023 में विकासशील देशों को स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा के लिए 21.6 अरब डॉलर की वित्तीय मदद मिली, जो 2022 की तुलना में 27 फ़ीसदी अधिक है।
हालांकि यह वर्ष 2016 के शिखर स्तर 28.4 अरब डॉलर का केवल तीन-चौथाई हिस्सा है। ये सौर ऊर्जा संयंत्र 450 एकड़ की बंजर ज़मीन पर बनाया गया है ताकि राज्य के घने जंगलों और उपजाऊ खेतों का संरक्षण हो सके।
समाधान
2030 तक सभी के लिए बिजली सुनिश्चित करने के लिए सौर, पवन और तापीय (thermal) जैसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों में संसाधन निवेश करने होंगे। विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे का विस्तार और तकनीक में सुधार बेहद अहम है, क्योंकि यह आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा भी करेगा।
वहीं देश नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश करके, ऊर्जा दक्षता को प्राथमिकता देकर और स्वच्छ तकनीक अपनाकर अपनी ऊर्जा प्रणाली को तेज़, सस्ती, भरोसेमन्द और टिकाऊ बना सकते हैं। जबकि व्यवसाय 100 प्रतिशत बिजली नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करने और पर्यावरण तंत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने का संकल्प ले सकते हैं।
नियोक्ता, किफ़ायती स्थानों से ही दफ़्तरी कामकाज को बढ़ावा देकर और कार या हवाई यात्रा की बजाय रेलगाड़ी जैसी कम ऊर्जा वाली यात्रा को प्रोत्साहित कर सकते हैं, जिससे आन्तरिक ऊर्जा मांग घट सके।
इसके अलावा निवेशक, सतत ऊर्जा सेवाओं में अधिक संसाधन निवेश कर सकते हैं ताकि नई तकनीक, तेज़ी से बाज़ार में आ सके और विकासशील देशों तक पहुंच सके।
साथ ही आम लोग भी बिजली की बचत करके, सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग, साइकल या पैदल यात्रा करके, कार्बन उत्सर्जन को कम करने में योगदान कर सकते हैं।