गजानन संकष्टी चतु्र्थी का व्रत भगवान श्रीगणेश को समर्पित होता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता भी कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने से और विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करने से जातक के सभी कष्ट दूर होते हैं और जातक की मनोकामना पूरी होती है। इस दिन चंद्रदेव को अर्घ्य देने से विशेष लाभ होता है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत भक्तों को सुख-समृद्धि और शांति प्रदान करने वाला है। इस दिन भगवान गणेश की सच्चे मन से पूजा करने से जातक प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी दुख हर लेते हैं।
तिथि और मुहूर्त
हिंदू पंचांग के मुताबिक 14 जुलाई की रात 01:02 मिनट पर कृष्ण पक्ष की चतु्र्थी तिथि की शुरूआत होगी। वहीं 14 जुलाई 2025 को रात 11:59 मिनट पर इस तिथि की समाप्ति होगी। ऐसे में उदयातिथि के हिसाब से 14 जुलाई 2025 को गजानन संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी।
संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि
चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके साफ कपड़े पहनें। फिर व्रत का संपल्प लें। अब एक साफ स्थान पर भगवान गणेश की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। भगवान गणेश को सिंदूर और चंदन का तिलक लगाएं। अब उनको लाल रंग के फूल और 21 दूर्वा की गांठें अर्पित करें। भगवान गणेश को मोदक या लड्डू अतिप्रिय है। उनको मोदक, लड्डू या अन्य मिठाई आदि का भोग लगाएं। घी की दीपक और धूप लगाएं। इसके बाद संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें या सुनें। फिर गणेश जी की आरती करें और रात में चंद्रोदय होने पर चंद्रदेव को अर्घ्य दें। चंद्रदेव को अर्घ्य देने के बाद सात्विक भोजन करके व्रत खोलें।