Revival of Troika Chapter 4 | चीनी हथियारों ने कैसे करा ली है अपनी फजीहत | Teh Tak

चीन जिसके पास दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्मी है। चीन अपने आप को शक्तिशाली और पॉवरफुल दिखाने की कोशिश करता है। लेकिन अगर मैं आपसे कहूं कि चीन की आर्मी एक फेक आर्मी है और जो चीन दिखाता है वो नही है।  आप इस पर फौरन विश्वास नहीं करेंगे। अगर मैं आपको ये बताऊं कि पूरी दुनिया में अगर किसी भी देश की आर्मी में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है तो वो चीन ही है। चीन अपने हथियारों पर काफी शेखी बघारता रहा हालिया घटनाक्रम पर नजर डालते हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच पहलगाम में कायरता पूर्ण हमले के बाद जवाबी कार्रवाई में ऑपरेशन सिंदूर चलाया गया। भारत की तरफ से आतंक के ठिकानों पर सटीक और करारा प्रहार किया गया। अब इस विवाद में चीन की तरफ से 100 ज्यादा पीएल 15 मिसाइलें दे दी। पीएल 15 चीन की सबसे एडवांस मिसाइल मानी जाती है। पीएल-15ई मिसाइल को लेकर चीन काफी शेखी बघारता रहा है। ये एक अत्याधुनिक बियॉन्ड-विजुअल-रेंज (BVR) एयर-टू-एयर मिसाइल है। इसे खास तौर पर जे-10C, जे-16 और जे-20 जैसे फाइटर जेट्स के साथ इस्तेमाल के लिए डिजाइन किया गया था। इसकी सबसे बड़ी ताकत 200 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक टारगेट को मार गिराने की क्षमता, AESA रडार सीकर के साथ सटीक निशाना लगाने की ताकत है। चीन के हथियार दे देते हैं वक्त पर दगा2022 में म्यांमार और बर्मा का युद्ध हुआ था। म्यांमार की आर्मी को चीन ने जेएफ 17 दिए थे। लेकिन जब युद्ध की बारी आई थी तो 11 जेएफ 17 म्यांमार की आर्मी ने कहा कि चलने लायक ही नहीं हैं। म्यांमार ने कथित तौर पर 2016 की शुरुआत में चीन से 16 JF-17 खरीदने के लिए एक सौदा किया था, जिसकी कीमत 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति विमान थी। 2018 में म्यांमार वायु सेना को छह विमानों का पहला बैच दिया गया था, लेकिन अन्य 10 के बारे में विवरण अभी तक स्पष्ट नहीं है। इस सौदे ने म्यांमार को चीन और पाकिस्तान के बाहर JF-17 खरीदने वाला पहला देश बना दिया। जेएफ-17 की खराब सटीकता के कारण म्यांमार वायु सेना उन्हें कमीशन किए जाने के चार साल बाद भी युद्ध के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकती है। विश्लेषकों का कहना है कि इस वजह से वायु सेना को रूस निर्मित याक-130 और मिग-29 लड़ाकू विमानों और चीन निर्मित के-8 लड़ाकू विमानों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।चीन की टेक्नोल़जी काम क्यों नहीं करती?चीन रिवर्स इंजीनियरिंग पर काम करता है। अब तक होता था कि रूस से फाइटर जेट या ड्रोन, मिसाइलों को ट्रायल के लिए मंगवाते थे। उसे खोल कर उसके पुर्जे पुर्जे अलग कर फिर से उसे रि असबेंल कर दे दिया जाता था। लेकिन उसकी टेक्नोल़जी चुरा लिया करते थे। इसके अलावा साइबर अटैक करके विभन्न देशों से ब्लूप्रिंट चुरा कर फिर उसे चीनी माल के रूप में विकसित किया जाता है। इसलिए ये ज्यादा कारगर नहीं रहते हैं। रूस ने ट्रायल के लिए चीन को देना बंद कर दिया है। चीनी एक्सपोर्ट में उसके गिरते प्रभाव की वजह से 23 फीसदी की कमी भी आई है। इसे भी पढ़ें: Revival of Troika Chapter 5 | रूस-भारत-चीन के साथ आने से क्यों डरते ट्रंप| Teh Tak  

Sep 23, 2025 - 23:20
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Revival of Troika Chapter 4 | चीनी हथियारों ने कैसे करा ली है अपनी फजीहत | Teh Tak
चीन जिसके पास दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्मी है। चीन अपने आप को शक्तिशाली और पॉवरफुल दिखाने की कोशिश करता है। लेकिन अगर मैं आपसे कहूं कि चीन की आर्मी एक फेक आर्मी है और जो चीन दिखाता है वो नही है।  आप इस पर फौरन विश्वास नहीं करेंगे। अगर मैं आपको ये बताऊं कि पूरी दुनिया में अगर किसी भी देश की आर्मी में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है तो वो चीन ही है। 

चीन अपने हथियारों पर काफी शेखी बघारता रहा 

हालिया घटनाक्रम पर नजर डालते हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच पहलगाम में कायरता पूर्ण हमले के बाद जवाबी कार्रवाई में ऑपरेशन सिंदूर चलाया गया। भारत की तरफ से आतंक के ठिकानों पर सटीक और करारा प्रहार किया गया। अब इस विवाद में चीन की तरफ से 100 ज्यादा पीएल 15 मिसाइलें दे दी। पीएल 15 चीन की सबसे एडवांस मिसाइल मानी जाती है। पीएल-15ई मिसाइल को लेकर चीन काफी शेखी बघारता रहा है। ये एक अत्याधुनिक बियॉन्ड-विजुअल-रेंज (BVR) एयर-टू-एयर मिसाइल है। इसे खास तौर पर जे-10C, जे-16 और जे-20 जैसे फाइटर जेट्स के साथ इस्तेमाल के लिए डिजाइन किया गया था। इसकी सबसे बड़ी ताकत 200 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक टारगेट को मार गिराने की क्षमता, AESA रडार सीकर के साथ सटीक निशाना लगाने की ताकत है। 

चीन के हथियार दे देते हैं वक्त पर दगा

2022 में म्यांमार और बर्मा का युद्ध हुआ था। म्यांमार की आर्मी को चीन ने जेएफ 17 दिए थे। लेकिन जब युद्ध की बारी आई थी तो 11 जेएफ 17 म्यांमार की आर्मी ने कहा कि चलने लायक ही नहीं हैं। म्यांमार ने कथित तौर पर 2016 की शुरुआत में चीन से 16 JF-17 खरीदने के लिए एक सौदा किया था, जिसकी कीमत 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति विमान थी। 2018 में म्यांमार वायु सेना को छह विमानों का पहला बैच दिया गया था, लेकिन अन्य 10 के बारे में विवरण अभी तक स्पष्ट नहीं है। इस सौदे ने म्यांमार को चीन और पाकिस्तान के बाहर JF-17 खरीदने वाला पहला देश बना दिया। जेएफ-17 की खराब सटीकता के कारण म्यांमार वायु सेना उन्हें कमीशन किए जाने के चार साल बाद भी युद्ध के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकती है। विश्लेषकों का कहना है कि इस वजह से वायु सेना को रूस निर्मित याक-130 और मिग-29 लड़ाकू विमानों और चीन निर्मित के-8 लड़ाकू विमानों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।

चीन की टेक्नोल़जी काम क्यों नहीं करती?

चीन रिवर्स इंजीनियरिंग पर काम करता है। अब तक होता था कि रूस से फाइटर जेट या ड्रोन, मिसाइलों को ट्रायल के लिए मंगवाते थे। उसे खोल कर उसके पुर्जे पुर्जे अलग कर फिर से उसे रि असबेंल कर दे दिया जाता था। लेकिन उसकी टेक्नोल़जी चुरा लिया करते थे। इसके अलावा साइबर अटैक करके विभन्न देशों से ब्लूप्रिंट चुरा कर फिर उसे चीनी माल के रूप में विकसित किया जाता है। इसलिए ये ज्यादा कारगर नहीं रहते हैं। रूस ने ट्रायल के लिए चीन को देना बंद कर दिया है। चीनी एक्सपोर्ट में उसके गिरते प्रभाव की वजह से 23 फीसदी की कमी भी आई है। 

इसे भी पढ़ें: Revival of Troika Chapter 5 | रूस-भारत-चीन के साथ आने से क्यों डरते ट्रंप| Teh Tak