अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन में कारखाने बनाने और भारत में कर्मचारियों की भर्ती करने के लिए अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियों की तीखी आलोचना की और उन पर अमेरिकी कर्मचारियों की बजाय कट्टर वैश्वीकरण को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया। वाशिंगटन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) शिखर सम्मेलन में बोलते हुए, जहाँ उन्होंने एआई से संबंधित तीन कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए, ट्रंप ने चेतावनी दी कि उनके नेतृत्व में ऐसी प्रथाएँ जारी नहीं रहेंगी। वो दिन अब लद गए हैं। एआई शिखर सम्मेलन में उन्होंने कृत्रिम मेधा (एआई) से संबंधित तीन कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए। इसमें एआई के उपयोग के लिए व्हाइट हाउस (अमेरिकी राष्ट्रपति का आधिकारिक आवास एवं कार्यालय) की कार्य योजना भी शामिल है। उन्होंने कहा कि बहुत लंबे समय तक अमेरिका का अधिकतर प्रौद्योगिकी उद्योग कट्टरपंथी वैश्वीकरण का अनुसरण करता रहा, जिसके कारण लाखों अमेरिकी ठगा महसूस करते रहे।
ट्रंप ने कहा कि हमारी कई बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों ने चीन में अपने कारखाने बनाकर, भारत में मजदूरों को नौकरी देकर और आयरलैंड में मुनाफे में कटौती करके अमेरिकी आजादी का फायदा उठाया है। इन सभी के बीच उन्होंने अपने ही देश में अपने साथी नागरिकों को बरगलाने और यहां तक कि उन पर ‘सेंसरशिप’ (नियंत्रित करने) लगाने का काम किया है। राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकाल में, वे दिन अब लद गए हैं।
अमेरिकी रेसिप्रोकल टैरिफ लागू होने की 1 अगस्त की डेडलाइन से पहले मिनी ट्रेड डील के इंतजार के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह किसी देश के खिलाफ टैरिफ तभी घटाएंगे, जब वह देश अपना मार्केट अमेरिकी कंपनियों के लिए खोलेगा। भारत के साथ व्यापार समझौते में अमेरिका एग्री और डेयरी सेक्टरों में अपनी कंपनियों के लिए बड़ी छूट चाहता है, लेकिन किसानों के हितों को देखते हुए भारत इसके लिए राजी नहीं है। जापान के साथ ट्रेड डील का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, 'अगर कोई देश अपना मार्केट खोलने को राजी हो, तो मै टैरिफ घटाने को तैयार हूं। अगर नहीं, तो कही ज्यादा टैरिफ लगेगा। जापान का बाजार पहली बार खुल गया है। जापान पहली बार अपना बाजार अमेरिकी कारों, एसयूवी, ट्रकों और चावल सहित हर चीज के लिए खोल रहा है।