20 वर्षों में बिहार ने बुना ग्रामीण सड़कों का मजबूत नेटवर्क

ग्रामीण सड़कें सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा मिलता है। पिछले 20 वर्षों में बिहार ने ग्रामीण सड़कों के निर्माण में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। जिससे न केवल राज्य के सुदूर गांवों से शहरों की दूरी कम हुई है, बल्कि ग्रामीण सड़कों ने गांव से गांवों की दूरी भी मिटा दी है।  पिछले 20 वर्षों में राज्यभर में कुल एक लाख, 19 हजार किलोमीटर से भी अधिक सड़कों का निर्माण कार्य पूरा किया गया है।विगत दो दशकों में राज्य में कुल ग्रामीण सड़कों का नेटवर्क 8,000 कि.मी. से बढ़कर 1,19,000 कि.मी. से भी अधिक हो गया है। ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा पिछले 20 वर्षों में 2,560 पुलों का भी निर्माण कराया है। जो राज्य की 1 लाख, 20 हजार से भी अधिक ग्रामीण बसावटों को बारहमासी सड़क संपर्कता उपलब्ध करा रही हैं। जिससे राज्य के ग्रामीण इलाकों अब हर मौसम में यातायात व्यवस्था को सुगमता प्रदान हुई है। इस 'सड़क क्रांति' ने राज्य के बुनियादी ढांचे को मजबूती प्रदान करने के साथ-साथ ग्रामीण संपर्क में भी सुधार किया है। जिससे बिहार की ग्रामीण आबादी को शिक्षा, स्वास्थ्य और अपने रोजगार तक पहुंचने का एक सुगम मार्ग भी उपलब्ध कराया जा सका है। इसे भी पढ़ें: Bihar, West Bengal, Tamilnadu Elections के लिए BJP की चुनावी तैयारी तेज, वरिष्ठ नेताओं को सौंपी गयी कमानग्रामीण कार्य विभाग के अनुसार ग्रामीण पथ अनुरक्षण नीति-2018 के तहत राज्यभर में कुल 36,894 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का अनुरक्षण भी सफलतापूर्वक किया गया है। विभाग के अनुसार फिलहाल राज्य में 12,500 ग्रामीण सड़कों के निर्माण का काम प्रगति पर है। साथ ही, 1,791 ग्रामीण पुलों के निर्माणकार्य को भी तेजी से पूरा किया जा रहा है।बिहार के ग्रामीण इलाकों में सड़कों का यह जाल, ग्रामीण आबादी को यातायात के सुगम साधन से जोड़ रहा है तथा गांवों के उद्योगों को भी शहरों के बाजार से जोड़ रहा है। आज सड़कों के नेटवर्क से किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य मिलने लगा है। इन अभूतपूर्व बदलाव से राज्य में प्रति व्यक्ति आय में 700 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। यह वृद्धि बिहार में गांवों के बारहमासी सड़कों से जुड़ने की वजह से सम्भव हो पाया है। इन सड़कों के निर्माण का सकारात्मक परिणाम यह भी है कि राज्य में नये उद्योगों की स्थापना, पयर्टन स्थलों पर पर्यटकों के आने की संख्या में लगातार वृद्धि के साथ-साथ व्यापार को भी बढ़ावा मिला है।सड़क दुर्घटना में मुआवजा देने में बिहार देश में पहले स्थान परबिहार का सड़क दुर्घटनाओं में घायल हुए या मारे गए लोगों को मुआवजा देने में देश में पहला स्थान है। मोटर दुर्घटना पीड़ितों को मुआवजा देने की योजना के अंतर्गत गंभीर चोट लगने पर 50 हजार और मृत्यु होने पर 2 लाख रुपये देने का प्रावधान है। इसके तहत जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (जीआईसी) के पास हिट एंड रन से जुड़े 9 हजार 80 मामले अंतिम अनुमति के लिए भेजे गए हैं, ताकि इन्हें मुआवजा दिलाया जा सके। इसमें अब तक 5 हजार 830 मामलों में पीड़ितों को मुआवजा दिया गया है। यह जानकारी एडीजी (ट्रैफिक) सुधांशु कुमार ने शुक्रवार को पुलिस मुख्यालय सरदार पटेल भवन के सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता में दी। एडीजी ने कहा कि पिछले डेढ़ से दो साल में 1626 मामलों में 84 करोड़ 19 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है। सड़क दुर्घटना से जुड़े मामलों का समय पर निपटारा करने के लिए 10 जिलों पटना, सारण, पूर्णिया, गयाजी, डेहरी, सहरसा, मुंगेर, दरभंगा, मुजफ्फरपुर और भागलपुर में एमएसीटी (मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण) का गठन किया गया है। इसमें 6 महीने, 9 महीने और अधिकतम 12 महीने में मामलों का निपटारा पूरा करने का प्रावधान किया गया है।

Sep 29, 2025 - 12:18
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20 वर्षों में बिहार ने बुना ग्रामीण सड़कों का मजबूत नेटवर्क
ग्रामीण सड़कें सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा मिलता है। पिछले 20 वर्षों में बिहार ने ग्रामीण सड़कों के निर्माण में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। जिससे न केवल राज्य के सुदूर गांवों से शहरों की दूरी कम हुई है, बल्कि ग्रामीण सड़कों ने गांव से गांवों की दूरी भी मिटा दी है।  

पिछले 20 वर्षों में राज्यभर में कुल एक लाख, 19 हजार किलोमीटर से भी अधिक सड़कों का निर्माण कार्य पूरा किया गया है।विगत दो दशकों में राज्य में कुल ग्रामीण सड़कों का नेटवर्क 8,000 कि.मी. से बढ़कर 1,19,000 कि.मी. से भी अधिक हो गया है। ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा पिछले 20 वर्षों में 2,560 पुलों का भी निर्माण कराया है। जो राज्य की 1 लाख, 20 हजार से भी अधिक ग्रामीण बसावटों को बारहमासी सड़क संपर्कता उपलब्ध करा रही हैं। जिससे राज्य के ग्रामीण इलाकों अब हर मौसम में यातायात व्यवस्था को सुगमता प्रदान हुई है। इस 'सड़क क्रांति' ने राज्य के बुनियादी ढांचे को मजबूती प्रदान करने के साथ-साथ ग्रामीण संपर्क में भी सुधार किया है। जिससे बिहार की ग्रामीण आबादी को शिक्षा, स्वास्थ्य और अपने रोजगार तक पहुंचने का एक सुगम मार्ग भी उपलब्ध कराया जा सका है। 

इसे भी पढ़ें: Bihar, West Bengal, Tamilnadu Elections के लिए BJP की चुनावी तैयारी तेज, वरिष्ठ नेताओं को सौंपी गयी कमान

ग्रामीण कार्य विभाग के अनुसार ग्रामीण पथ अनुरक्षण नीति-2018 के तहत राज्यभर में कुल 36,894 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का अनुरक्षण भी सफलतापूर्वक किया गया है। विभाग के अनुसार फिलहाल राज्य में 12,500 ग्रामीण सड़कों के निर्माण का काम प्रगति पर है। साथ ही, 1,791 ग्रामीण पुलों के निर्माणकार्य को भी तेजी से पूरा किया जा रहा है।

बिहार के ग्रामीण इलाकों में सड़कों का यह जाल, ग्रामीण आबादी को यातायात के सुगम साधन से जोड़ रहा है तथा गांवों के उद्योगों को भी शहरों के बाजार से जोड़ रहा है। आज सड़कों के नेटवर्क से किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य मिलने लगा है। इन अभूतपूर्व बदलाव से राज्य में प्रति व्यक्ति आय में 700 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। यह वृद्धि बिहार में गांवों के बारहमासी सड़कों से जुड़ने की वजह से सम्भव हो पाया है। इन सड़कों के निर्माण का सकारात्मक परिणाम यह भी है कि राज्य में नये उद्योगों की स्थापना, पयर्टन स्थलों पर पर्यटकों के आने की संख्या में लगातार वृद्धि के साथ-साथ व्यापार को भी बढ़ावा मिला है।

सड़क दुर्घटना में मुआवजा देने में बिहार देश में पहले स्थान पर

बिहार का सड़क दुर्घटनाओं में घायल हुए या मारे गए लोगों को मुआवजा देने में देश में पहला स्थान है। मोटर दुर्घटना पीड़ितों को मुआवजा देने की योजना के अंतर्गत गंभीर चोट लगने पर 50 हजार और मृत्यु होने पर 2 लाख रुपये देने का प्रावधान है। इसके तहत जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (जीआईसी) के पास हिट एंड रन से जुड़े 9 हजार 80 मामले अंतिम अनुमति के लिए भेजे गए हैं, ताकि इन्हें मुआवजा दिलाया जा सके। इसमें अब तक 5 हजार 830 मामलों में पीड़ितों को मुआवजा दिया गया है। यह जानकारी एडीजी (ट्रैफिक) सुधांशु कुमार ने शुक्रवार को पुलिस मुख्यालय सरदार पटेल भवन के सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता में दी। एडीजी ने कहा कि पिछले डेढ़ से दो साल में 1626 मामलों में 84 करोड़ 19 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है। सड़क दुर्घटना से जुड़े मामलों का समय पर निपटारा करने के लिए 10 जिलों पटना, सारण, पूर्णिया, गयाजी, डेहरी, सहरसा, मुंगेर, दरभंगा, मुजफ्फरपुर और भागलपुर में एमएसीटी (मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण) का गठन किया गया है। इसमें 6 महीने, 9 महीने और अधिकतम 12 महीने में मामलों का निपटारा पूरा करने का प्रावधान किया गया है।