सड़क हादसों पर डॉक्यूमेंट्री ‘द साइलेंट एपिडेमिक’ को राष्ट्रीय पुरस्कार:सर्वश्रेष्ठ गैर-फीचर फिल्म का मिला सम्मान, सामाजिक और पर्यावरणीय मूल्यों को दिया बढ़ावा
राहीगिरी फाउंडेशन की डॉक्यूमेंट्री ‘द साइलेंट एपिडेमिक’ को 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ गैर-फीचर फिल्म का पुरस्कार मिला है। यह पुरस्कार सामाजिक और पर्यावरणीय मूल्यों को बढ़ावा देने वाली थीम को लेकर दिया गया है। इसे भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित सम्मानों में से एक माना जाता है। यह फिल्म राहीगिरी फाउंडेशन और सिनेमा फॉर गुड ने मिलकर बनाई है। निर्देशन अक्षत गुप्ता का है, जबकि निर्माण सामाजिक उद्यमी सारिका पांडा भट्ट और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित फिल्म निर्माता जितेंद्र मिश्रा ने किया। फिल्म का रचनात्मक निर्माण आकाश बसु ने किया और इसे व्हीलिंग हैप्पीनेस फाउंडेशन के सहयोग से तैयार किया गया। सड़क हादसों के दर्द को दर्शाती है फिल्म ‘द साइलेंट एपिडेमिक’ भारत में सड़क दुर्घटनाओं के विनाशकारी और अक्सर अनदेखा किए जाने वाले परिणामों को सामने लाती है। इसमें व्यक्तिगत कहानियों के जरिए उन परिवारों का दर्द दिखाया गया है, जिनकी ज़िंदगी असुरक्षित सड़कों के कारण हमेशा के लिए बदल गई। इसमें पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता सुमित अंतिल की प्रेरक गाथा भी शामिल है, जिन्होंने गंभीर चोटों के बाद नया जीवन पाया। वहीं, एक परिवार की मार्मिक कहानी भी है, जिसने हिट-एंड-रन में अपने छोटे बेटे को खो दिया। हर जीवन कीमती है- सारिका पांडा भट्ट पुरस्कार मिलने पर राहीगिरी फाउंडेशन की संस्थापक सारिका पांडा भट्ट ने कहा कि, “सड़क दुर्घटनाएं सिर्फ आंकड़े नहीं हैं, ये उन जिंदगियों की कहानियाँ हैं जो पूरी तरह से बदल चुकी हैं। यह सम्मान हमें और मजबूत बनाता है कि हम सुरक्षित और समावेशी शहरों के लिए काम करते रहें। हमारी सड़कें केवल वाहनों के लिए नहीं बल्कि लोगों के लिए डिजाइन होनी चाहिए।” सिनेमा परिवर्तन की शक्ति है– जितेंद्र मिश्रा निर्देशक जितेंद्र मिश्रा ने कहा—“सिनेमा दृष्टिकोण बदलने और परिवर्तन की प्रेरणा देने की शक्ति रखता है। इस फिल्म के जरिए हमने दिखाया कि असुरक्षित सड़कें किस तरह लोगों की ज़िंदगी पर गहरा असर डालती हैं। यह पुरस्कार केवल फिल्म के लिए नहीं बल्कि समाज को संदेश देने के लिए है।” राहीगिरी फाउंडेशन का लक्ष्य फाउंडेशन का मकसद शहरों की भागदौड़ में बदलाव लाकर सुरक्षित, समतावादी और सभी के लिए सुलभ सड़कें बनाना है। यह संस्था डेटा-आधारित जानकारी, सतत अवसंरचना और सामुदायिक भागीदारी के जरिए सड़क दुर्घटनाओं को कम करने और शहरी जीवन की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में काम कर रही है। प्रमुख योगदानकर्ता
राहीगिरी फाउंडेशन की डॉक्यूमेंट्री ‘द साइलेंट एपिडेमिक’ को 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ गैर-फीचर फिल्म का पुरस्कार मिला है। यह पुरस्कार सामाजिक और पर्यावरणीय मूल्यों को बढ़ावा देने वाली थीम को लेकर दिया गया है। इसे भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित सम्मानों में से एक माना जाता है। यह फिल्म राहीगिरी फाउंडेशन और सिनेमा फॉर गुड ने मिलकर बनाई है। निर्देशन अक्षत गुप्ता का है, जबकि निर्माण सामाजिक उद्यमी सारिका पांडा भट्ट और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित फिल्म निर्माता जितेंद्र मिश्रा ने किया। फिल्म का रचनात्मक निर्माण आकाश बसु ने किया और इसे व्हीलिंग हैप्पीनेस फाउंडेशन के सहयोग से तैयार किया गया। सड़क हादसों के दर्द को दर्शाती है फिल्म ‘द साइलेंट एपिडेमिक’ भारत में सड़क दुर्घटनाओं के विनाशकारी और अक्सर अनदेखा किए जाने वाले परिणामों को सामने लाती है। इसमें व्यक्तिगत कहानियों के जरिए उन परिवारों का दर्द दिखाया गया है, जिनकी ज़िंदगी असुरक्षित सड़कों के कारण हमेशा के लिए बदल गई। इसमें पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता सुमित अंतिल की प्रेरक गाथा भी शामिल है, जिन्होंने गंभीर चोटों के बाद नया जीवन पाया। वहीं, एक परिवार की मार्मिक कहानी भी है, जिसने हिट-एंड-रन में अपने छोटे बेटे को खो दिया। हर जीवन कीमती है- सारिका पांडा भट्ट पुरस्कार मिलने पर राहीगिरी फाउंडेशन की संस्थापक सारिका पांडा भट्ट ने कहा कि, “सड़क दुर्घटनाएं सिर्फ आंकड़े नहीं हैं, ये उन जिंदगियों की कहानियाँ हैं जो पूरी तरह से बदल चुकी हैं। यह सम्मान हमें और मजबूत बनाता है कि हम सुरक्षित और समावेशी शहरों के लिए काम करते रहें। हमारी सड़कें केवल वाहनों के लिए नहीं बल्कि लोगों के लिए डिजाइन होनी चाहिए।” सिनेमा परिवर्तन की शक्ति है– जितेंद्र मिश्रा निर्देशक जितेंद्र मिश्रा ने कहा—“सिनेमा दृष्टिकोण बदलने और परिवर्तन की प्रेरणा देने की शक्ति रखता है। इस फिल्म के जरिए हमने दिखाया कि असुरक्षित सड़कें किस तरह लोगों की ज़िंदगी पर गहरा असर डालती हैं। यह पुरस्कार केवल फिल्म के लिए नहीं बल्कि समाज को संदेश देने के लिए है।” राहीगिरी फाउंडेशन का लक्ष्य फाउंडेशन का मकसद शहरों की भागदौड़ में बदलाव लाकर सुरक्षित, समतावादी और सभी के लिए सुलभ सड़कें बनाना है। यह संस्था डेटा-आधारित जानकारी, सतत अवसंरचना और सामुदायिक भागीदारी के जरिए सड़क दुर्घटनाओं को कम करने और शहरी जीवन की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में काम कर रही है। प्रमुख योगदानकर्ता