‘लाठी तथा अन्य कहानियां’:हकेवि महेंद्रगढ़ में वीसी ने किया पुस्तक का विमोचन- बोले- यह मानवीय संवेदना की अभिव्यक्ति है
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में कुलपति प्रोफेसर टंकेशवर कुमार ने रत्नकुमार सांभरिया की लाठी तथा अन्य कहानियां’ पुस्तक का विमोचन किया। यह पुस्तक जनकथाकार रत्नकुमार सांभरिया की 10 प्रतिनिधि कहानियों का संकलन है। इनको कई विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में शामिल किया गया है। पुस्तक में ‘लाठी’, ‘फुलवा’, ‘हथौड़ा’, ‘गाड़िया’, ‘हिरणी’ और ‘बूढ़ी’ जैसी कहानियां सम्मिलित हैं। इसका संपादन विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के शिक्षक डॉ. कामराज सिंधु ने किया है। कुलपति ने इसके लिए डॉ सिंधु को बधाई दी। कहा कि उनका संपादन साहित्य जगत के लिए महत्वपूर्ण योगदान है। मानवीय संवेदनाओं की संवाहक हैं कहानियां कुलपति ने कहा कि इनमें समाज की विभिन्न परिस्थितियों, जातीय असमानताओं, स्त्री सशक्तिकरण, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण और मानवीय संवेदनाओं का सशक्त चित्रण किया गया है। उनकी कहानियां भारतीय समाज की आत्मा को छूती हैं। आत्म मंथन को मजबूर करतीं हैं समकुलपति प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा ने कहा कि ऐसी पुस्तकें समाज को आत्ममंथन करने के लिए प्रेरित करती हैं। यह मात्र साहित्यिक अभिव्यक्ति नहीं हैं, बल्कि वे सामाजिक चेतना और मानवीय मूल्यों की संवाहक हैं। इस अवसर पर प्रो अशोक कुमार, डॉ. कमलेश कुमारी उपस्थित रहे।
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में कुलपति प्रोफेसर टंकेशवर कुमार ने रत्नकुमार सांभरिया की लाठी तथा अन्य कहानियां’ पुस्तक का विमोचन किया। यह पुस्तक जनकथाकार रत्नकुमार सांभरिया की 10 प्रतिनिधि कहानियों का संकलन है। इनको कई विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में शामिल किया गया है। पुस्तक में ‘लाठी’, ‘फुलवा’, ‘हथौड़ा’, ‘गाड़िया’, ‘हिरणी’ और ‘बूढ़ी’ जैसी कहानियां सम्मिलित हैं। इसका संपादन विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के शिक्षक डॉ. कामराज सिंधु ने किया है। कुलपति ने इसके लिए डॉ सिंधु को बधाई दी। कहा कि उनका संपादन साहित्य जगत के लिए महत्वपूर्ण योगदान है। मानवीय संवेदनाओं की संवाहक हैं कहानियां कुलपति ने कहा कि इनमें समाज की विभिन्न परिस्थितियों, जातीय असमानताओं, स्त्री सशक्तिकरण, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण और मानवीय संवेदनाओं का सशक्त चित्रण किया गया है। उनकी कहानियां भारतीय समाज की आत्मा को छूती हैं। आत्म मंथन को मजबूर करतीं हैं समकुलपति प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा ने कहा कि ऐसी पुस्तकें समाज को आत्ममंथन करने के लिए प्रेरित करती हैं। यह मात्र साहित्यिक अभिव्यक्ति नहीं हैं, बल्कि वे सामाजिक चेतना और मानवीय मूल्यों की संवाहक हैं। इस अवसर पर प्रो अशोक कुमार, डॉ. कमलेश कुमारी उपस्थित रहे।