महापौर गरिमा सिकारिया ने भ्रष्टाचार के आरोपों को नकारा:कहा- मेरा आठ साल का सार्वजनिक जीवन निष्कलंक और निर्भीक रहा

बेतिया नगर निगम की महापौर गरिमा देवी सिकारिया ने उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। महापौर ने कहा कि नगर निगम से हटाई गई पूर्व आउटसोर्सिंग एजेंसी “पाथेय” के एमडी द्वारा लगाए गए आरोप बिल्कुल निराधार हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि एजेंसी को हटवाने और लगभग तीन करोड़ रुपए के भुगतान को रोकने का कदम उन्होंने ही उठाया था, इसलिए आज वही एजेंसी उन्हें भ्रष्ट बताना हास्यास्पद है। चुनाव से पहले का विवाद और कानूनी लड़ाई महापौर ने बताया कि नगर निगम चुनाव से पूर्व प्रशासक काल में तत्कालीन नगर आयुक्त और पाथेय एजेंसी की मिलीभगत से गैर वैधानिक तरीके से एग्रीमेंट किया गया था। इसके खिलाफ उन्होंने संघर्ष किया और एजेंसी को हटाने के साथ-साथ भुगतान रोकने की पहल की। इस मामले में पाथेय एजेंसी की ओर से पटना उच्च न्यायालय में केस भी चल रहा है। सोशल मीडिया की अफवाहों पर प्रतिक्रिया महापौर गरिमा देवी ने सोशल मीडिया पर उनके निजी ड्राइवर दारा सिंह के जरिए पैसे लेने की चर्चाओं का भी खंडन किया। उन्होंने कहा कि ड्राइवर की भूमिका की जांच सक्षम एजेंसी से कराई जाएगी और फिलहाल उन्हें काम से हटा दिया गया है। महापौर ने सवाल उठाया कि किसी स्टाफ की गलती में परिवार या प्रमुख व्यक्ति को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। राजनीतिक साजिश का आरोप महापौर ने पूरे मामले को राजनीतिक साजिश बताया और कहा कि कालिख की कोठरी कही जाने वाली राजनीति में भी जनता का भरोसा और उनकी लोकप्रियता उनकी सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने फिर से दोहराया कि वे अपने खिलाफ लगाए गए किसी भी आरोप की उच्च स्तरीय जांच के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

Sep 29, 2025 - 21:25
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महापौर गरिमा सिकारिया ने भ्रष्टाचार के आरोपों को नकारा:कहा- मेरा आठ साल का सार्वजनिक जीवन निष्कलंक और निर्भीक रहा
बेतिया नगर निगम की महापौर गरिमा देवी सिकारिया ने उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। महापौर ने कहा कि नगर निगम से हटाई गई पूर्व आउटसोर्सिंग एजेंसी “पाथेय” के एमडी द्वारा लगाए गए आरोप बिल्कुल निराधार हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि एजेंसी को हटवाने और लगभग तीन करोड़ रुपए के भुगतान को रोकने का कदम उन्होंने ही उठाया था, इसलिए आज वही एजेंसी उन्हें भ्रष्ट बताना हास्यास्पद है। चुनाव से पहले का विवाद और कानूनी लड़ाई महापौर ने बताया कि नगर निगम चुनाव से पूर्व प्रशासक काल में तत्कालीन नगर आयुक्त और पाथेय एजेंसी की मिलीभगत से गैर वैधानिक तरीके से एग्रीमेंट किया गया था। इसके खिलाफ उन्होंने संघर्ष किया और एजेंसी को हटाने के साथ-साथ भुगतान रोकने की पहल की। इस मामले में पाथेय एजेंसी की ओर से पटना उच्च न्यायालय में केस भी चल रहा है। सोशल मीडिया की अफवाहों पर प्रतिक्रिया महापौर गरिमा देवी ने सोशल मीडिया पर उनके निजी ड्राइवर दारा सिंह के जरिए पैसे लेने की चर्चाओं का भी खंडन किया। उन्होंने कहा कि ड्राइवर की भूमिका की जांच सक्षम एजेंसी से कराई जाएगी और फिलहाल उन्हें काम से हटा दिया गया है। महापौर ने सवाल उठाया कि किसी स्टाफ की गलती में परिवार या प्रमुख व्यक्ति को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। राजनीतिक साजिश का आरोप महापौर ने पूरे मामले को राजनीतिक साजिश बताया और कहा कि कालिख की कोठरी कही जाने वाली राजनीति में भी जनता का भरोसा और उनकी लोकप्रियता उनकी सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने फिर से दोहराया कि वे अपने खिलाफ लगाए गए किसी भी आरोप की उच्च स्तरीय जांच के लिए पूरी तरह तैयार हैं।