हिंदू धर्म में भगवान की पूजा-अर्चना करने का बेहद महत्व है। सुबह जल्द ही उठकर लोग मंदिर में पूजा-पाठ करते हैं और भगवान का जलाभिषेक करते हैं। साधक पूजा के दौरान देवी-देवताओं को जल अर्पित करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान के जल चढ़ाने से पवित्रता, शीतलता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। लोग रोजाना पूजा-पाठ करते हैं लेकिन फिर भी कुछ न कुछ गलतियां करते रहते हैं। क्या आप जानते हैं कि जल अर्पित करने के बाद खाली लोटा रखना सही नहीं माना जाता है। आइए आपको इसके पीछ के वास्तु कारण बताते हैं।
मंदिर में खाली लोटा क्यों नहीं रखा जाता
वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि, घर में कोई भी खाली बर्तन हो वह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है। जलपात्र को खाली छोड़ने पर घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश कर जाती है। जिस कारण से कलह, अशांति और तनाव का वातावरण बन सकता है। माना जाता है खाली जल का लोटा रखने से धन में कमी आती है। इसके साथ ही आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है। इतना ही नहीं, खाली लोटा दरिद्रता का प्रतीक होता है।
मान्यता के अनुसार, मंदिर में देवी-देवताओं को प्यास लगने पर जलपात्र रखते हैं, जिससे वे अपनी प्यास बुझाते हैं। अगर यह जलपात्र खाली होगा तो उन्हे यह अप्रसन्न कर सकते हैं।
मंदिर में कैसे रखें जल का लोटा?
जब आपकी पूजा समाप्त हो जाए तो जलपात्र में शुद्ध जल भरकर रख दें। इसमें आप थोड़ा गंगाजल भी मिला सकते हैं और तुलसी का पत्ता भी डाल सकते हैं। क्योंकि यह घर में सकारात्मक ऊर्जा को बनाएं रखने में मदद करता है। ऐसा करने से देवी-देवताओं की कृपा भी आप पर बनीं रहती है। अगर आप ने सारा जल अर्पित कर दिया है तो दोबारा नल से जल भरकर मंदिर में रख सकते हैं।