नाबालिग से छेड़खानी के दोषी को 3 साल की जेल:बेतिया कोर्ट ने पोक्सो एक्ट के तहत सुनाया फैसला, 15 हजार का जुर्माना भी लगाया
बेतिया में पोक्सो एक्ट के एक महत्वपूर्ण मामले में न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए दोषी को तीन साल सश्रम कारावास के साथ 15 हजार रुपए का जुर्माने की सजा सुनाई गई है। यह फैसला मंगलवार को माननीय विशेष न्यायाधीश पोक्सो एक्ट प्रथम विवेकानंद प्रसाद की अदालत ने सुनाया। दरअसल मामला मझौलिया थाना कांड संख्या 36/21 से संबंधित है, जिसमें अभियुक्त हसन हवारी पर नाबालिग के अपहरण और यौन शोषण से जुड़ी गंभीर धाराओं में अभियोग दर्ज किया गया था। न्यायालय ने अभियुक्त को भारतीय दंड संहिता (भा.द.वि.) की धारा 363 और 366ए के साथ-साथ पोक्सो एक्ट की धारा 8 के तहत दोषी करार दिया। इसके आधार पर तीन वर्ष का सश्रम कारावास और 15 हजार रुपये का आर्थिक दंड निर्धारित किया गया। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि यदि अभियुक्त अर्थदंड का भुगतान नहीं करता है तो उसे अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। चार साल पहले दर्ज हुआ था मामला इस मामले में दोषसिद्धि और सजा दिलाने में विशेष लोक अभियोजक वेद प्रकाश द्विवेदी की अहम भूमिका रही। उन्होंने अदालत के समक्ष पुलिस द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों और गवाहों को मजबूती से रखा, जिसके आधार पर अभियुक्त को सजा सुनाई गई। पुलिस की ओर से प्रस्तुत चार्जशीट और जांच रिपोर्ट भी इस फैसले में निर्णायक साबित हुई। ज्ञात हो कि वर्ष 2021 में मझौलिया थाना क्षेत्र में दर्ज इस मामले ने स्थानीय स्तर पर काफी गंभीरता पैदा की थी। पीड़िता और उसके परिजनों की शिकायत पर तत्काल कार्रवाई करते हुए पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार किया और विस्तृत जांच के बाद न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया। पोक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई इस फैसले से न केवल पीड़ित परिवार को न्याय मिला है, बल्कि समाज में भी यह संदेश गया है कि नाबालिगों से जुड़े अपराधों पर अदालत और पुलिस दोनों सख्त हैं। पोक्सो एक्ट के तहत त्वरित सुनवाई और दोषियों को कड़ी सजा दिलाना कानून व्यवस्था की मजबूती को दर्शाता है। बेतिया पुलिस ने इस निर्णय को अपनी बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा है कि न्यायालय का यह आदेश आने वाले समय में ऐसे मामलों में नजीर साबित होगा और अपराधियों में भय पैदा करेगा।
Sep 9, 2025 - 19:55
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बेतिया में पोक्सो एक्ट के एक महत्वपूर्ण मामले में न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए दोषी को तीन साल सश्रम कारावास के साथ 15 हजार रुपए का जुर्माने की सजा सुनाई गई है। यह फैसला मंगलवार को माननीय विशेष न्यायाधीश पोक्सो एक्ट प्रथम विवेकानंद प्रसाद की अदालत ने सुनाया। दरअसल मामला मझौलिया थाना कांड संख्या 36/21 से संबंधित है, जिसमें अभियुक्त हसन हवारी पर नाबालिग के अपहरण और यौन शोषण से जुड़ी गंभीर धाराओं में अभियोग दर्ज किया गया था। न्यायालय ने अभियुक्त को भारतीय दंड संहिता (भा.द.वि.) की धारा 363 और 366ए के साथ-साथ पोक्सो एक्ट की धारा 8 के तहत दोषी करार दिया। इसके आधार पर तीन वर्ष का सश्रम कारावास और 15 हजार रुपये का आर्थिक दंड निर्धारित किया गया। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि यदि अभियुक्त अर्थदंड का भुगतान नहीं करता है तो उसे अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। चार साल पहले दर्ज हुआ था मामला इस मामले में दोषसिद्धि और सजा दिलाने में विशेष लोक अभियोजक वेद प्रकाश द्विवेदी की अहम भूमिका रही। उन्होंने अदालत के समक्ष पुलिस द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों और गवाहों को मजबूती से रखा, जिसके आधार पर अभियुक्त को सजा सुनाई गई। पुलिस की ओर से प्रस्तुत चार्जशीट और जांच रिपोर्ट भी इस फैसले में निर्णायक साबित हुई। ज्ञात हो कि वर्ष 2021 में मझौलिया थाना क्षेत्र में दर्ज इस मामले ने स्थानीय स्तर पर काफी गंभीरता पैदा की थी। पीड़िता और उसके परिजनों की शिकायत पर तत्काल कार्रवाई करते हुए पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार किया और विस्तृत जांच के बाद न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया। पोक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई इस फैसले से न केवल पीड़ित परिवार को न्याय मिला है, बल्कि समाज में भी यह संदेश गया है कि नाबालिगों से जुड़े अपराधों पर अदालत और पुलिस दोनों सख्त हैं। पोक्सो एक्ट के तहत त्वरित सुनवाई और दोषियों को कड़ी सजा दिलाना कानून व्यवस्था की मजबूती को दर्शाता है। बेतिया पुलिस ने इस निर्णय को अपनी बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा है कि न्यायालय का यह आदेश आने वाले समय में ऐसे मामलों में नजीर साबित होगा और अपराधियों में भय पैदा करेगा।
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