पूर्णिया में कंधे पर बैठाकर मां काली को दी विदाई:3 KM की विसर्जन यात्रा में हजारों श्रद्धालु हुए शामिल, नम आंखों से लोगों ने किया विदा

पूर्णिया में चार दिनों की पूजा-अर्चना के बाद शुक्रवार को शहरवासियों ने नम आंखों से मां काली को विदाई दी। गाजे-बाजे, ढाक और भक्ति गीतों के बीच लोग मधुबनी स्थित काली मंदिर से देवी की प्रतिमा को कंधे पर लेकर विसर्जन के लिए निकले। विसर्जन यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए। मां काली की प्रतिमा को कंधे पर लेकर मधुबनी मेला ग्राउंड से चूनापुर घाट पहुंचे। विसर्जन के दौरान पूरे शहर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। बंगाली ढाक की थाप और जय मां काली के जयकारों से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। महिलाएं हाथों में दीप लिए मां की आरती उतारती नजर आईं। श्रद्धालुओं ने मां को पुष्प अर्पित किए और सुख-समृद्धि की कामना की। पूजा-अर्चना और महाआरती के बाद मां काली पूजा समिति की ओर से मधुबनी वार्ड 2 स्थित काली मंदिर से देवी को विदाई दी गई। विसर्जन यात्रा में पुष्प वर्षा 3 किलोमीटर लंबी विदाई यात्रा में कुछ लोग भक्ति में डूबे नजर आएं, तो कुछ लोग भावुक दिखाई दिए। विसर्जन यात्रा को देखने और इसमें शामिल होने शहर के कोने-कोने से हजारों लोग मधुबनी दुर्गा स्थान पहुंचे। मां की प्रतिमा को कंधे पर लोग दुर्गा मंदिर से चूनापुर घाट के लिए निकले। मां काली की विसर्जन यात्रा जिन रास्तों से होकर गुजरी उसके दोनों ओर लोगों की भारी भीड़ जुटी रही। कोई हाथों में फूल लिए पुष्प वर्षा करता दिखाई दिया, तो किसी ने मां की आरती की और चुनरी चढ़ाई। वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच मां काली की प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। इस दौरान घाट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी रही। सुरक्षा को लेकर सौरा नदी घाट पर पुलिस और एसडीआरएफ की टीमें पूरी तरह मुस्तैद रही। किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए गोताखोरों की टीम को भी तैनात किया गया था। मां काली को विदाई देते हुए लोगों ने सुख समृद्धि की कामना की। मां की विदाई के साथ ही शहर में चार दिन से चल रहा पूजा महोत्सव समाप्त हो गया। भक्तों ने मां से अगले साल दोबारा आने की कामना की। विदाई के वक्त पूरा शहर जय मां काली के जयकारे से गूंजता रहा। मेला और कुश्ती का आयोजन मधुबनी में बंगाली विधि विधान से पूजा की परंपरा है। इस बार मधुबनी मां काली पूजा समिति की ओर से भव्य पूजा पंडाल का निर्माण कराया गया था। बंगाल से आए कई कारीगरों और कलाकारों ने मां की प्रतिमा और पंडाल को तैयार किया था। इसपर 10 लाख रुपए खर्च किए गए। मेला और कुश्ती समेत कई भव्य आयोजन हुए। चार दिनों तक आस्था का सैलाब उमड़ा रहा।

Oct 25, 2025 - 08:02
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पूर्णिया में कंधे पर बैठाकर मां काली को दी विदाई:3 KM की विसर्जन यात्रा में हजारों श्रद्धालु हुए शामिल, नम आंखों से लोगों ने किया विदा
पूर्णिया में चार दिनों की पूजा-अर्चना के बाद शुक्रवार को शहरवासियों ने नम आंखों से मां काली को विदाई दी। गाजे-बाजे, ढाक और भक्ति गीतों के बीच लोग मधुबनी स्थित काली मंदिर से देवी की प्रतिमा को कंधे पर लेकर विसर्जन के लिए निकले। विसर्जन यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए। मां काली की प्रतिमा को कंधे पर लेकर मधुबनी मेला ग्राउंड से चूनापुर घाट पहुंचे। विसर्जन के दौरान पूरे शहर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। बंगाली ढाक की थाप और जय मां काली के जयकारों से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। महिलाएं हाथों में दीप लिए मां की आरती उतारती नजर आईं। श्रद्धालुओं ने मां को पुष्प अर्पित किए और सुख-समृद्धि की कामना की। पूजा-अर्चना और महाआरती के बाद मां काली पूजा समिति की ओर से मधुबनी वार्ड 2 स्थित काली मंदिर से देवी को विदाई दी गई। विसर्जन यात्रा में पुष्प वर्षा 3 किलोमीटर लंबी विदाई यात्रा में कुछ लोग भक्ति में डूबे नजर आएं, तो कुछ लोग भावुक दिखाई दिए। विसर्जन यात्रा को देखने और इसमें शामिल होने शहर के कोने-कोने से हजारों लोग मधुबनी दुर्गा स्थान पहुंचे। मां की प्रतिमा को कंधे पर लोग दुर्गा मंदिर से चूनापुर घाट के लिए निकले। मां काली की विसर्जन यात्रा जिन रास्तों से होकर गुजरी उसके दोनों ओर लोगों की भारी भीड़ जुटी रही। कोई हाथों में फूल लिए पुष्प वर्षा करता दिखाई दिया, तो किसी ने मां की आरती की और चुनरी चढ़ाई। वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच मां काली की प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। इस दौरान घाट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी रही। सुरक्षा को लेकर सौरा नदी घाट पर पुलिस और एसडीआरएफ की टीमें पूरी तरह मुस्तैद रही। किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए गोताखोरों की टीम को भी तैनात किया गया था। मां काली को विदाई देते हुए लोगों ने सुख समृद्धि की कामना की। मां की विदाई के साथ ही शहर में चार दिन से चल रहा पूजा महोत्सव समाप्त हो गया। भक्तों ने मां से अगले साल दोबारा आने की कामना की। विदाई के वक्त पूरा शहर जय मां काली के जयकारे से गूंजता रहा। मेला और कुश्ती का आयोजन मधुबनी में बंगाली विधि विधान से पूजा की परंपरा है। इस बार मधुबनी मां काली पूजा समिति की ओर से भव्य पूजा पंडाल का निर्माण कराया गया था। बंगाल से आए कई कारीगरों और कलाकारों ने मां की प्रतिमा और पंडाल को तैयार किया था। इसपर 10 लाख रुपए खर्च किए गए। मेला और कुश्ती समेत कई भव्य आयोजन हुए। चार दिनों तक आस्था का सैलाब उमड़ा रहा।