ओएनजीसी विदेश रूस में फंसे 35 करोड़ डॉलर की निकासी में जुटी
सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) को उम्मीद है कि रूस के साथ बैंकिंग चैनल खुलने और वेनेजुएला पर लगे प्रतिबंधों में छूट मिलने के बाद वह दोनों देशों से अपना अटका हुआ बकाया वसूल कर पाएगी। सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) की विदेश निवेश इकाई ओवीएल के प्रबंध निदेशक राजर्षि गुप्ता ने शुक्रवार को बताया कि रूस में ओवीएल की तेल एवं गैस परिसंपत्तियों से मिले करीब 35 करोड़ डॉलर के लाभांश वहां के बैंकों में फंसे हुए हैं। वहीं, वेनेजुएला में भी प्रतिबंध लगने की वजह से करीब 60 करोड़ डॉलर की राशि अटकी हुई है। गुप्ता ने कहा कि रूस में स्थित परिसंपत्तियों से मिलने वाला लाभांश जुलाई, 2022 के बाद से स्थानांतरित नहीं हो पाया है हालांकि संचालन सुचारू रूप से जारी है। उन्होंने भरोसा जताया कि इस मसले का समाधान जल्द निकलेगा और कंपनी अपनी रकम वापस ला सकेगी। भारत की पेट्रोलियम कंपनियों ने रूस में कुल 5.46 अरब डॉलर का निवेश किया हुआ है। इनमें वैंकॉरनेफ्ट और तास-यूर्याख समेत कई तेल एवं गैस परियोजनाओं में हिस्सेदारी शामिल है। ओवीएल के पास वेनेजुएला के सान क्रिस्टोबल क्षेत्र में भी 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है और कंपनी ने वहां भी बकाया वसूली के लिए प्रतिबंधों में छूट मांगी है। इस बीच, ओएनजीसी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अरुण कुमार सिंह ने कहा कि समूह तब तक रूसी तेल खरीदता रहेगा जब तक वह वाणिज्यिक दृष्टि से लाभकारी रहता है और रिफाइनरियों की जरूरतों के अनुरूप है।

सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) को उम्मीद है कि रूस के साथ बैंकिंग चैनल खुलने और वेनेजुएला पर लगे प्रतिबंधों में छूट मिलने के बाद वह दोनों देशों से अपना अटका हुआ बकाया वसूल कर पाएगी।
सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) की विदेश निवेश इकाई ओवीएल के प्रबंध निदेशक राजर्षि गुप्ता ने शुक्रवार को बताया कि रूस में ओवीएल की तेल एवं गैस परिसंपत्तियों से मिले करीब 35 करोड़ डॉलर के लाभांश वहां के बैंकों में फंसे हुए हैं।
वहीं, वेनेजुएला में भी प्रतिबंध लगने की वजह से करीब 60 करोड़ डॉलर की राशि अटकी हुई है। गुप्ता ने कहा कि रूस में स्थित परिसंपत्तियों से मिलने वाला लाभांश जुलाई, 2022 के बाद से स्थानांतरित नहीं हो पाया है हालांकि संचालन सुचारू रूप से जारी है। उन्होंने भरोसा जताया कि इस मसले का समाधान जल्द निकलेगा और कंपनी अपनी रकम वापस ला सकेगी।
भारत की पेट्रोलियम कंपनियों ने रूस में कुल 5.46 अरब डॉलर का निवेश किया हुआ है। इनमें वैंकॉरनेफ्ट और तास-यूर्याख समेत कई तेल एवं गैस परियोजनाओं में हिस्सेदारी शामिल है।
ओवीएल के पास वेनेजुएला के सान क्रिस्टोबल क्षेत्र में भी 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है और कंपनी ने वहां भी बकाया वसूली के लिए प्रतिबंधों में छूट मांगी है। इस बीच, ओएनजीसी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अरुण कुमार सिंह ने कहा कि समूह तब तक रूसी तेल खरीदता रहेगा जब तक वह वाणिज्यिक दृष्टि से लाभकारी रहता है और रिफाइनरियों की जरूरतों के अनुरूप है।