शरद पूर्णिमा के दिन करें ये उपाय, धन, आरोग्य और लंबी उम्र का मिलेगा वरदान

इस बार कल यानी 6 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है इस दिन माता लक्ष्मी और चंद्रदेव की पूजा की जाती है। आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। इसे कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस रात चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है, इसलिए लोग खुले आकाश के नीचे खीर रखकर उसका सेवन करते हैं। खीर का सेवन करने से व्यक्ति अच्छा स्वास्थ्य और समृद्धि माना जाता है। शरद पूर्णिमा को माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन इन उपाय के करने से माता लक्ष्मी और चंद्रदेव प्रसन्न होते हैं, व्यक्ति को धन-धान्य के भंडार लगे रहते हैं। शरद पूर्णिमा करें ये काम- शरद पूर्णिमा की रात्रि में चन्द्रमा की किरणों में रखी हुई दूध – चावल की खीर का सेवन पित्तशामक व स्वास्थ्यवर्धक है। वहीं, इस रात को सुई में धागा पिरोने से नेत्रज्योति बढ़ती है।-  शरद पूर्णिमा रात को आध्यात्मिक उत्थान के लिए बहुत फायदेमंद है । इसलिए सबको इस रात को जागरण करना चाहिए अर्थात जहां तक संभव हो सोना नही चाहिए और इस पवित्र रात्रि में जप, ध्यान, कीर्तन करना चाहिए।- इस रात को आप हजार काम छोड़कर 15 मिनट के लिए चन्द्रमा को एकटक निहारना चाहिए। कम-से-कम 15 मिनट चन्द्रमा की किरणों का फायदा लेने से शरीर स्वस्थ होता है। ऐसा करने से 32 प्रकार की पित्तसंबंधी बीमारियों में लाभ होगा, शांति होगी। आप चाहे तो छत पर आसन या मेट बिछाकर लेटे-लेटे भी चंद्रमा को देख सकते हैं। - जिनको आंखों की रोशनी बढ़ानी हो वे शरद पूनम की रात को सुई में धागा पिरोने की कोशिश करें। ऐसा करने से नेत्रज्योति बढ़ती है।-  इस रात्रि में ध्यान-भजन, सत्संग कीर्तन, चन्द्रदर्शन करने से व्यक्ति के शारीरिक व मानसिक आरोग्यता के लिए अत्यन्त लाभदायक है।- शरद पूर्णिमा की शीतल रात्रि में (9 से 12 बजे के बीच) छत पर चन्द्रमा की किरणों में महीन कपड़े से ढंककर रखी हुई दूध-पोहे अथवा दूध-चावल की खीर अवश्य खानी चाहिए।  देर रात होने के कारण खीर को कम खाएं, भरपेट न खाएं, सावधानी बरतें।

Oct 5, 2025 - 20:20
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शरद पूर्णिमा के दिन करें ये उपाय, धन, आरोग्य और लंबी उम्र का मिलेगा वरदान
इस बार कल यानी 6 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है इस दिन माता लक्ष्मी और चंद्रदेव की पूजा की जाती है। आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। इसे कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस रात चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है, इसलिए लोग खुले आकाश के नीचे खीर रखकर उसका सेवन करते हैं। खीर का सेवन करने से व्यक्ति अच्छा स्वास्थ्य और समृद्धि माना जाता है। शरद पूर्णिमा को माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन इन उपाय के करने से माता लक्ष्मी और चंद्रदेव प्रसन्न होते हैं, व्यक्ति को धन-धान्य के भंडार लगे रहते हैं। 

शरद पूर्णिमा करें ये काम

- शरद पूर्णिमा की रात्रि में चन्द्रमा की किरणों में रखी हुई दूध – चावल की खीर का सेवन पित्तशामक व स्वास्थ्यवर्धक है। वहीं, इस रात को सुई में धागा पिरोने से नेत्रज्योति बढ़ती है।

-  शरद पूर्णिमा रात को आध्यात्मिक उत्थान के लिए बहुत फायदेमंद है । इसलिए सबको इस रात को जागरण करना चाहिए अर्थात जहां तक संभव हो सोना नही चाहिए और इस पवित्र रात्रि में जप, ध्यान, कीर्तन करना चाहिए।

- इस रात को आप हजार काम छोड़कर 15 मिनट के लिए चन्द्रमा को एकटक निहारना चाहिए। कम-से-कम 15 मिनट चन्द्रमा की किरणों का फायदा लेने से शरीर स्वस्थ होता है। ऐसा करने से 32 प्रकार की पित्तसंबंधी बीमारियों में लाभ होगा, शांति होगी। आप चाहे तो छत पर आसन या मेट बिछाकर लेटे-लेटे भी चंद्रमा को देख सकते हैं।
 
- जिनको आंखों की रोशनी बढ़ानी हो वे शरद पूनम की रात को सुई में धागा पिरोने की कोशिश करें। ऐसा करने से नेत्रज्योति बढ़ती है।

-  इस रात्रि में ध्यान-भजन, सत्संग कीर्तन, चन्द्रदर्शन करने से व्यक्ति के शारीरिक व मानसिक आरोग्यता के लिए अत्यन्त लाभदायक है।

- शरद पूर्णिमा की शीतल रात्रि में (9 से 12 बजे के बीच) छत पर चन्द्रमा की किरणों में महीन कपड़े से ढंककर रखी हुई दूध-पोहे अथवा दूध-चावल की खीर अवश्य खानी चाहिए।  देर रात होने के कारण खीर को कम खाएं, भरपेट न खाएं, सावधानी बरतें।