भारत ने खोजी ट्रंप के 100% टैरिफ की काट, सारा माल रूस की तरफ मोड़ा
अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक बड़ा फैसला लिया। उन्होंने ऐलान किया कि भारत समेत कई देशों से आने वाली दवाओं पर 100 % टैरिफ लगाया जाएगा। मतलब कि अगर कोई दवा अमेरिका जाएगी तो उसकी कीमत दोगुनी हो जाएगी। ट्रंप ने इसे मेड इन अमेरिका को बढ़ावा देने की चाल बताई। लेकिन असल में ये फैसला भारत की बढ़ती फॉर्मा ताकत पर एक आर्थिक हमला था। लेकिन भारत ने इस वॉर को आर्थिक युद्ध नहीं बल्कि रणनीति के खेल में बदल दिया और आपदा को अवसर में तब्दील कर दिया। भारत सरकार और फॉर्मा इंडस्ट्री ने तुरंत चार दिशा में काम शुरू किया।इसे भी पढ़ें: क्या रूस-भारत के रिश्तों में दरार डालने की साजिश हुई? पाकिस्तान को JF-17 इंजन बेचने की खबर को रूस ने बताया 'निराधार'नए बाजार में पहुंच बनाने से लेकर देश की उत्पादन को बढ़ावा देने तक। सप्लाई चेन को मजबूत करने से लेकर ग्लोबल पार्टनर को मजबूत करने तक। भारत ने अपने सप्लाई लाइन को घुमा दिया। जो जहाज पहले अमेरिका जाते थे। वही जहाज अब यूरोप, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और रूस की ओर निकल पड़े हैं। सन फॉर्मा, डॉक्टर रेडीज, सिप्ला और लुपिन जैसी भारतीय कंपनियां अब सीधे अफ्रीका, रूस और साउथ अमेरिका में दवाओं की सप्लाई करने उतर चुके हैं। यानी अमेरिका की बंद दीवार के सामने भारत ने नए दरवाजे खोल दिए हैं। इसे भी पढ़ें: 7 लाख 50 हजार बैरल तेल लेकर भारत आ रहे जहाज को फ्रांस ने घेर लिया, फिर रूस ने दिखाया अपना रौद्र रूपअमेरिका ने जब भारत पर टैरिफ लगाया, चाल चली तो बाकी दुनिया ने भारत को गले लगा लिया। सबसे पहले भारत के यार रूस, फिर यूरोप और अब अफ्रीका ने भारत के साथ नई डील साइन कर ली। फ्रांस, जर्मनी, ब्राजील, मिस्र और इंडोनेशिया ने तो यहां तक कह दिया कि अगर दवा चाहिए तो रास्ता नई दिल्ली से होकर जाएगा। भारत की दवा कंपनियों ने अपनी क्षमता बढ़ा ली। इसे भी पढ़ें: दिसंबर में पुतिन आएंगे, भारत के लिए कितने S-400 लाएंगे?डॉ रेड्डीज़ लैबोरेटरीज ने अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी डॉ रेड्डीज़ लैबोरेटरीज एलएलसी, रूस (डीआरएल रूस) में ₹565 करोड़ का निवेश किया और 45.19 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी हासिल की। यह लेन-देन हैदराबाद स्थित कंपनी के बोर्ड द्वारा नवंबर 2024 में रूसी शाखा में ₹600 करोड़ तक निवेश करने के निर्णय का परिणाम है। बीएसई को सूचित किया गया कि यह निवेश 25 जुलाई, 2025 को नकद भुगतान पर पूरा हुआ। कंपनी द्वारा डीआरएल रूस में निवेशित धनराशि का उपयोग कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं के लिए किया जाएगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक बड़ा फैसला लिया। उन्होंने ऐलान किया कि भारत समेत कई देशों से आने वाली दवाओं पर 100 % टैरिफ लगाया जाएगा। मतलब कि अगर कोई दवा अमेरिका जाएगी तो उसकी कीमत दोगुनी हो जाएगी। ट्रंप ने इसे मेड इन अमेरिका को बढ़ावा देने की चाल बताई। लेकिन असल में ये फैसला भारत की बढ़ती फॉर्मा ताकत पर एक आर्थिक हमला था। लेकिन भारत ने इस वॉर को आर्थिक युद्ध नहीं बल्कि रणनीति के खेल में बदल दिया और आपदा को अवसर में तब्दील कर दिया। भारत सरकार और फॉर्मा इंडस्ट्री ने तुरंत चार दिशा में काम शुरू किया।
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नए बाजार में पहुंच बनाने से लेकर देश की उत्पादन को बढ़ावा देने तक। सप्लाई चेन को मजबूत करने से लेकर ग्लोबल पार्टनर को मजबूत करने तक। भारत ने अपने सप्लाई लाइन को घुमा दिया। जो जहाज पहले अमेरिका जाते थे। वही जहाज अब यूरोप, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और रूस की ओर निकल पड़े हैं। सन फॉर्मा, डॉक्टर रेडीज, सिप्ला और लुपिन जैसी भारतीय कंपनियां अब सीधे अफ्रीका, रूस और साउथ अमेरिका में दवाओं की सप्लाई करने उतर चुके हैं। यानी अमेरिका की बंद दीवार के सामने भारत ने नए दरवाजे खोल दिए हैं।
इसे भी पढ़ें: 7 लाख 50 हजार बैरल तेल लेकर भारत आ रहे जहाज को फ्रांस ने घेर लिया, फिर रूस ने दिखाया अपना रौद्र रूप
अमेरिका ने जब भारत पर टैरिफ लगाया, चाल चली तो बाकी दुनिया ने भारत को गले लगा लिया। सबसे पहले भारत के यार रूस, फिर यूरोप और अब अफ्रीका ने भारत के साथ नई डील साइन कर ली। फ्रांस, जर्मनी, ब्राजील, मिस्र और इंडोनेशिया ने तो यहां तक कह दिया कि अगर दवा चाहिए तो रास्ता नई दिल्ली से होकर जाएगा। भारत की दवा कंपनियों ने अपनी क्षमता बढ़ा ली।
इसे भी पढ़ें: दिसंबर में पुतिन आएंगे, भारत के लिए कितने S-400 लाएंगे?
डॉ रेड्डीज़ लैबोरेटरीज ने अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी डॉ रेड्डीज़ लैबोरेटरीज एलएलसी, रूस (डीआरएल रूस) में ₹565 करोड़ का निवेश किया और 45.19 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी हासिल की। यह लेन-देन हैदराबाद स्थित कंपनी के बोर्ड द्वारा नवंबर 2024 में रूसी शाखा में ₹600 करोड़ तक निवेश करने के निर्णय का परिणाम है। बीएसई को सूचित किया गया कि यह निवेश 25 जुलाई, 2025 को नकद भुगतान पर पूरा हुआ। कंपनी द्वारा डीआरएल रूस में निवेशित धनराशि का उपयोग कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं के लिए किया जाएगा।