पाकिस्तान बाढ़ से बेहाल, लाखों लोग बेघर
Massive floods in Pakistan: पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ मानवीय अधिकारी ने चेतावनी दी है कि पंजाब, ख़ैबर पख़्तूनख़्वा और गिलगित-बाल्तिस्तान में आई भीषण बाढ़ से हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। लाखों लोग बेघर हो चुके हैं, अहम फ़सलें बर्बाद ...

Massive floods in Pakistan: पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ मानवीय अधिकारी ने चेतावनी दी है कि पंजाब, ख़ैबर पख़्तूनख़्वा और गिलगित-बाल्तिस्तान में आई भीषण बाढ़ से हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। लाखों लोग बेघर हो चुके हैं, अहम फ़सलें बर्बाद हो गई हैं और नाज़ुक हालात में जी रहे समुदाय अब संकट के कगार पर हैं। इस समय लोगों की ज़रूरतें बेहद व्यापक और गम्भीर हैं।
जून के अन्त में शुरू हुई असामान्य रूप से भारी बारिश से अब तक 60 लाख से ज़्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। इनमें लगभग 1,000 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 250 बच्चे भी हैं। लगभग 25 लाख लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े हैं। इनमें से बहुत से लोग सरकारी शिविरों में शरण लिए हुए हैं, जबकि अन्य लोग ऐसे परिवारों के साथ रह रहे हैं जो पहले से ही अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता समन्वय कार्यालय (OCHA) के प्रमुख कार्लोस गेहा ने इस्लामाबाद से यूएन न्यूज़ को बताया, “ज़मीनी स्तर पर हम इस संकट की बस एक झलक ही देख पा रहे हैं।” उन्होंने कहा कि कई विस्थापित परिवार अब तक अपने घर नहीं लौट पाए हैं और जब पानी का स्तर घटेगा, तो सम्भव है कि उनका घर और रोज़गार दोनों पूरी तरह नष्ट हो चुके हों।
पाकिस्तान का अन्न भंडार बाढ़ में डूबा : नदी की बाढ़ ने, मानसूनी तबाही को और बढ़ाते हुए, पंजाब प्रान्त के बड़े हिस्से को जलमग्न कर दिया है, जिसे देश का अन्न भंडार कहा जाता है। भारत द्वारा बांधों से पानी छोड़े जाने के बाद नदियां उफ़ान पर आ गईं और अपने किनारे तोड़ दिए। इस आपदा से 47 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं।
भारत ने पानी छोड़ने से पहले पाकिस्तान को सूचित किया था। यह क़दम भारी बारिश के कारण उठाना पड़ा, क्योंकि भारत की उत्तरी नदियां ख़तरनाक स्तर तक भर गई थीं और उफ़ान पर थीं। ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में 16 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। गिलगित-बाल्तिस्तान के कई इलाक़े हिमनदीय झीलों के फटने से आई अचानक बाढ़ से तबाह हो गए हैं, जिससे पूरी घाटियां बाहरी दुनिया से कट गई हैं। सिन्ध प्रान्त अब भी सम्भावित “महा-बाढ़” की आशंका के कारण उच्च सतर्कता पर है।
संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी कार्लोस गेहा ने 2022 की उस भीषण बाढ़ को याद किया, जिसमें 1,700 लोगों की मौत हुई थी और लगभग 40 अरब डॉलर का आर्थिक नुक़सान हुआ था। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस बार 25 लाख लोगों को सुरक्षित निकालकर बेहद सराहनीय काम किया है। ऐसा प्रयास हमने 2022 में नहीं देखा था।”
उन्होंने कहा कि लेकिन जब पानी 25 फ़ीट तक चढ़ जाता है और पूरे गांव को डुबो देता है, तब किसी के लिए कुछ करना लगभग नामुमकिन हो जाता है।”
फ़सलें बर्बाद, ढांचे ढहे : राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की रिपोर्ट के मुताबिक़, इस आपदा में 8 हज़ार 400 से अधिक घर, 239 पुल और क़रीब 700 किलोमीटर लम्बी सड़कें या तो गम्भीर रूप से क्षतिग्रस्त हुई हैं या पूरी तरह बह गए हैं। साथ ही, 22 लाख हैक्टेयर से अधिक कृषि भूमि - जिसका अधिकांश हिस्सा पंजाब में है - पानी में डूब चुकी है। इससे फ़सलें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं और खाद्य वस्तुओं की क़ीमतें तेज़ी से बढ़ने लगी हैं। केवल सितम्बर के पहले सप्ताह में ही गेहूं के आटे की क़ीमतों में 25 प्रतिशत तक का इज़ाफ़ा दर्ज किया गया।
कार्लोस गेहा ने चिन्ता जताते हुए कहा, “ये वही किसान परिवार हैं जो पूरे देश का पेट भरते हैं। आज उनकी ज़मीन पानी में डूब चुकी है, उनके मवेशी बह गए हैं और उनके पास अब कुछ भी नहीं बचा है।”
राहत प्रयासों पर दबाव : संयुक्त राष्ट्र और उसके साझीदार संगठन इस भीषण आपदा से निपटने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. OCHA ने संयुक्त राष्ट्र के आपातकालीन कोष (CERF) से 50 लाख डॉलर की रक़म जारी की है, जबकि स्थानीय ग़ैर-सरकारी संगठनों को अतिरिक्त 15 लाख डॉलर की सहायता दी गई है।
यूनीसेफ़, विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और अन्य एजेंसियां प्रभावित इलाक़ों में सुरक्षित पेयजल पहुंचा रही हैं, स्वास्थ्य और पोषण से जुड़ी सामग्री उपलब्ध करा रही हैं और बच्चों के लिए अस्थाई शिक्षण केन्द्र भी स्थापित कर रही हैं। राहतकर्मियों का कहना है कि यह सहायता अभी भी बहुत कम है। कई समुदाय टूटे हुए पुलों और जलमग्न सड़कों के कारण बाकी इलाक़ों से पूरी तरह कट गए हैं। वहां भोजन और दवाइयां केवल नावों या हेलीकॉप्टरों के ज़रिए ही पहुंचाई जा सकती हैं।
इस बीच, मलेरिया और डेंगू जैसी जलजनित बीमारियां तेज़ी से फैल रही हैं और आने वाले सप्ताहों में हैज़ा फैलने का भी गम्भीर ख़तरा बना हुआ है। कार्लोस गेहा ने कहा, “फ़िलहाल सबसे अहम ज़रूरतें हैं – भोजन, स्वास्थ्य सेवाएं, आश्रय, पानी और स्वच्छता। लेकिन अगला चरण और भी कठिन होगा – उन लाखों लोगों को दोबारा अपने पैरों पर खड़ा करना जिन्होंने इस आपदा में अपना सब कुछ खो दिया है।”
एकजुटता की पुकार : पाकिस्तान ने पिछले कुछ वर्षों में लगातार जलवायु आपदाओं का सामना किया है। 2022 में आई रिकॉर्ड तोड़ बाढ़ के बाद भीषण गर्मी और सूखे ने हालात और बिगाड़ दिए। मानवीय सहायता कार्यकर्ताओं का कहना है कि हर नई आपदा पहले से ही संघर्ष कर रहे परिवारों को और अधिक निर्धनता में धकेल देती है। कार्लोस गेहा ने स्पष्ट किया, “इसमें पाकिस्तान की कोई ग़लती नहीं है। यह तो बस उन देशों में से एक है जो जलवायु परिवर्तन के असर से सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं।”
उन्होंने कहा, “अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान का साथ देना चाहिए, न केवल इस आपात स्थिति में, बल्कि लम्बे समय तक उनकी क्षमता मज़बूत करने और आजीविकाएं बहाल करने में भी।”