जापानी प्रतिनिधिमंडल ने उत्तर प्रदेश में खनिज सहयोग की संभावनाएं तलाशीं
जापानी दूतावास के एक प्रतिनिधिमंडल ने उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित कंपनी लोहम क्लीनटेक के परिसर का दौरा कर खनिज क्षेत्र में सहयोग की संभावनाएं तलाशी हैं। यह कंपनी भारत की सबसे बड़ी लीथियम-आयन बैटरी रिसाइक्लिंग और क्रिटिकल मैटेरियल प्रोसेसिंग यूनिट का संचालन करती है। कंपनी की तरफ से बुधवार को जारी बयान के मुताबिक, 74-सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को कंपनी परिसर का दौरा किया। इस प्रतिनिधिमंडल में जापान के आर्थिक, व्यापार एवं उद्योग मंत्रालय, जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग बैंक और वित्त मंत्रालय के अधिकारी शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने भारत-जापान के बीच साझा निवेश, ई-कचरे से दोबारा इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री निकालने, प्रौद्योगिकी का अंतरण और हरित आपूर्ति शृंखला पर बातचीत की। इस दौरे को चीन की दुर्लभ खनिज नीति के खिलाफ एक रणनीतिक जवाब के रूप में देखा जा रहा है। इस मौके पर लोहम क्लीनटेक के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रजत वर्मा ने कहा, भारत-जापान का सहयोग टिकाऊ, हरित और आत्मनिर्भर आपूर्ति शृंखला का नया मॉडल बनेगा। उन्होंने कहा, दरअसल महत्वपूर्ण खनिज वो दुर्लभ और महंगे खनिज हैं जो आधुनिक तकनीक, बैटरियां, सेमी-कंडक्टर, अक्षय ऊर्जा उपकरणों, रक्षा उपकरणों और स्मार्टफोन जैसी चीजों में जरूरी हैं। वर्मा ने कहा कि भारत के पास ई-कचरे का भंडार है जबकि जापान के पास परिष्कृत प्रौद्योगिकी और संसाधनों के अनुकूलतम उपयोग वाली अर्थव्यवस्था है। दोनों देशों के लिए बैटरी और महत्वपूर्ण खनिजों में साझेदारी सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि चीन के एकतरफा नियंत्रण के खिलाफ एक सुरक्षित रणनीति भी है। उन्होंने कहा कि जापानी प्रतिनिधिमंडल का यह दौरा न केवल एक औद्योगिक निरीक्षण है बल्कि वैश्विक बैटरी एवं महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति परिदृश्य में भारत की बढ़ती भूमिका का भी संकेत है।

जापानी दूतावास के एक प्रतिनिधिमंडल ने उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित कंपनी लोहम क्लीनटेक के परिसर का दौरा कर खनिज क्षेत्र में सहयोग की संभावनाएं तलाशी हैं। यह कंपनी भारत की सबसे बड़ी लीथियम-आयन बैटरी रिसाइक्लिंग और क्रिटिकल मैटेरियल प्रोसेसिंग यूनिट का संचालन करती है। कंपनी की तरफ से बुधवार को जारी बयान के मुताबिक, 74-सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को कंपनी परिसर का दौरा किया।
इस प्रतिनिधिमंडल में जापान के आर्थिक, व्यापार एवं उद्योग मंत्रालय, जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग बैंक और वित्त मंत्रालय के अधिकारी शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने भारत-जापान के बीच साझा निवेश, ई-कचरे से दोबारा इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री निकालने, प्रौद्योगिकी का अंतरण और हरित आपूर्ति शृंखला पर बातचीत की। इस दौरे को चीन की दुर्लभ खनिज नीति के खिलाफ एक रणनीतिक जवाब के रूप में देखा जा रहा है।
इस मौके पर लोहम क्लीनटेक के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रजत वर्मा ने कहा, भारत-जापान का सहयोग टिकाऊ, हरित और आत्मनिर्भर आपूर्ति शृंखला का नया मॉडल बनेगा। उन्होंने कहा, दरअसल महत्वपूर्ण खनिज वो दुर्लभ और महंगे खनिज हैं जो आधुनिक तकनीक, बैटरियां, सेमी-कंडक्टर, अक्षय ऊर्जा उपकरणों, रक्षा उपकरणों और स्मार्टफोन जैसी चीजों में जरूरी हैं। वर्मा ने कहा कि भारत के पास ई-कचरे का भंडार है जबकि जापान के पास परिष्कृत प्रौद्योगिकी और संसाधनों के अनुकूलतम उपयोग वाली अर्थव्यवस्था है। दोनों देशों के लिए बैटरी और महत्वपूर्ण खनिजों में साझेदारी सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि चीन के एकतरफा नियंत्रण के खिलाफ एक सुरक्षित रणनीति भी है। उन्होंने कहा कि जापानी प्रतिनिधिमंडल का यह दौरा न केवल एक औद्योगिक निरीक्षण है बल्कि वैश्विक बैटरी एवं महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति परिदृश्य में भारत की बढ़ती भूमिका का भी संकेत है।