गिद्धौर दुर्गा मंदिर में अष्टमी पर मां पतसंडा की पूजा:छप्पन भोग और निशा पूजा से गूंजा माहौल, उमड़ी भक्तों की भीड़
जमुई के गिद्धौर प्रखंड स्थित उलाय नदी तट के ऐतिहासिक दुर्गा मंदिर में नवरात्र की अष्टमी के दिन मंगलवार को भक्तों का भारी सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह से ही मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। क्षेत्र के अलावा आसपास के जिलों से आए श्रद्धालु मां महागौरी के दर्शन कर सुख-समृद्धि और मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना करते दिखे। भक्तों का कहना है कि इस मंदिर में सच्चे मन से मां की आराधना करने वाले की मनोकामना अवश्य पूरी होती है। ऐतिहासिक महत्व और स्थापना स्थानीय इतिहासकारों के अनुसार, गिद्धौर के चंदेल राजवंश ने वर्ष 1566 ई. में अलीगढ़ के कारीगरों की मदद से इस दुर्गा मंदिर का निर्माण कराया था। तब से यह मंदिर क्षेत्रवासियों और श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। मंदिर की अलौकिक शक्तियों में श्रद्धा रखने वाले भक्त मानते हैं कि यहां मां पतसंडा की विशेष कृपा सदैव विद्यमान रहती है और सच्चे हृदय से की गई प्रार्थनाओं का शीघ्र फल मिलता है। सप्तमी की निशा पूजा सप्तमी की रात झारखंड के देवघर से आए विद्वान पंडित महेश्वर चरण महाराज और पंडित पन्ना लाल मिश्र की टीम ने विधि-विधान से निशा पूजा कराई। पूजा में कुण्डलिनी पद्धति से सप्तम कालरात्रि मां की विशेष आराधना की गई। इसके बाद मां पतसंडा को 56 प्रकार के व्यंजनों का छप्पन भोग अर्पित किया गया।मंदिर के पट आम श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए गए, जिससे भक्तों ने सुबह से ही दर्शन करना शुरू कर दिया। अष्टमी के दिन श्रद्धालुओं का जोश अष्टमी के दिन भक्तों ने फूल, बेलपत्र, नवैद्य और खौंयछा अर्पित कर मां महागौरी से मंगलमय जीवन और मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना की। मंदिर प्रांगण का विहंगम दृश्य श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और आस्था से भर देता रहा। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने विशेष सुरक्षा और व्यवस्थाओं का इंतजाम किया। मंदिर परिसर में सीसीटीवी के माध्यम से निगरानी की जा रही थी। पूजा सह लक्ष्मी पूजा समिति ने मेले की व्यवस्था संभाली। मेले की रंगारंग गतिविधियां मंदिर परिसर और आसपास का क्षेत्र मेले की तरह सजाया गया था।टॉवर झूला, ब्रेक डांस, डोरा डोरा मिक्की माउस, अमरनाथ गुफा, खेल-तमाशा, श्रृंगार और मिठाई की दुकानों ने मेले की शोभा बढ़ाई। स्थानीय व्यापारी और दुकानदार इस अवसर पर अपने उत्पादों और मनोरंजन के साधनों के माध्यम से श्रद्धालुओं का मनोरंजन कर रहे थे। प्रशासनिक व्यवस्था जिला प्रशासन ने मंदिर के आस-पास भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा के लिए विशेष कदम उठाए। सुरक्षा में डीएम, एसपी के प्रतिनिधि, स्थानीय पुलिस और स्वयंसेवक शामिल थे। सभी मार्गों और मंदिर परिसर में उचित बैरिकेडिंग की गई थी। इसके साथ ही आसपास के क्षेत्रों में यातायात का नियंत्रण भी किया गया।
जमुई के गिद्धौर प्रखंड स्थित उलाय नदी तट के ऐतिहासिक दुर्गा मंदिर में नवरात्र की अष्टमी के दिन मंगलवार को भक्तों का भारी सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह से ही मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। क्षेत्र के अलावा आसपास के जिलों से आए श्रद्धालु मां महागौरी के दर्शन कर सुख-समृद्धि और मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना करते दिखे। भक्तों का कहना है कि इस मंदिर में सच्चे मन से मां की आराधना करने वाले की मनोकामना अवश्य पूरी होती है। ऐतिहासिक महत्व और स्थापना स्थानीय इतिहासकारों के अनुसार, गिद्धौर के चंदेल राजवंश ने वर्ष 1566 ई. में अलीगढ़ के कारीगरों की मदद से इस दुर्गा मंदिर का निर्माण कराया था। तब से यह मंदिर क्षेत्रवासियों और श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। मंदिर की अलौकिक शक्तियों में श्रद्धा रखने वाले भक्त मानते हैं कि यहां मां पतसंडा की विशेष कृपा सदैव विद्यमान रहती है और सच्चे हृदय से की गई प्रार्थनाओं का शीघ्र फल मिलता है। सप्तमी की निशा पूजा सप्तमी की रात झारखंड के देवघर से आए विद्वान पंडित महेश्वर चरण महाराज और पंडित पन्ना लाल मिश्र की टीम ने विधि-विधान से निशा पूजा कराई। पूजा में कुण्डलिनी पद्धति से सप्तम कालरात्रि मां की विशेष आराधना की गई। इसके बाद मां पतसंडा को 56 प्रकार के व्यंजनों का छप्पन भोग अर्पित किया गया।मंदिर के पट आम श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए गए, जिससे भक्तों ने सुबह से ही दर्शन करना शुरू कर दिया। अष्टमी के दिन श्रद्धालुओं का जोश अष्टमी के दिन भक्तों ने फूल, बेलपत्र, नवैद्य और खौंयछा अर्पित कर मां महागौरी से मंगलमय जीवन और मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना की। मंदिर प्रांगण का विहंगम दृश्य श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और आस्था से भर देता रहा। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने विशेष सुरक्षा और व्यवस्थाओं का इंतजाम किया। मंदिर परिसर में सीसीटीवी के माध्यम से निगरानी की जा रही थी। पूजा सह लक्ष्मी पूजा समिति ने मेले की व्यवस्था संभाली। मेले की रंगारंग गतिविधियां मंदिर परिसर और आसपास का क्षेत्र मेले की तरह सजाया गया था।टॉवर झूला, ब्रेक डांस, डोरा डोरा मिक्की माउस, अमरनाथ गुफा, खेल-तमाशा, श्रृंगार और मिठाई की दुकानों ने मेले की शोभा बढ़ाई। स्थानीय व्यापारी और दुकानदार इस अवसर पर अपने उत्पादों और मनोरंजन के साधनों के माध्यम से श्रद्धालुओं का मनोरंजन कर रहे थे। प्रशासनिक व्यवस्था जिला प्रशासन ने मंदिर के आस-पास भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा के लिए विशेष कदम उठाए। सुरक्षा में डीएम, एसपी के प्रतिनिधि, स्थानीय पुलिस और स्वयंसेवक शामिल थे। सभी मार्गों और मंदिर परिसर में उचित बैरिकेडिंग की गई थी। इसके साथ ही आसपास के क्षेत्रों में यातायात का नियंत्रण भी किया गया।