अमेरिकियों पर किस बात का गुस्सा उतार रहे ट्रंप? विद्रोह कानून लागू करने की दे दी धमकी

इस बात से तो अब पूरी दुनिया अवगत हो गई है कि ट्रंप की फॉरेन पॉलिसी पूरी तरह से फेल हो गई है। चाहे उनके 24 घंटे के अंदर रूस और यूक्रेन की लड़ाई रुकवाने के लंबे चौड़े दावे हो या हमास और इजरायल के बीच में झट से शांति करवाकर बंधकों की शीघ्र वापसी हो। इससे इतर भारत और पाकिस्तान के बीच ऑपरेशन सिंदूर के दौरान की झड़प रही हो उसके सीजफायर को लेकर झूठे दावे से दुनिया को बरगलाने की कोशिश रही हो। हर मोर्चे पर ट्रंप बुरी तरह से विफल साबित हो रहे हैं और कोई उनकी सुनता नहीं है और दुनिया में हंसी के पात्र बनकर रह गए हैं। अब वो अपना गुस्सा अमेरिका के ही लोगों पर निकाल रहे हैं। पहले तो उन्होंने लोगों को झूठ बोला कि 50 % का टैरिफ भारत के ऊपर लग रहा है। लेकिन उन्होंने ये नहीं बताया कि इसकी भरपाई कौन करेगा। जो भारत का सामान खरीदेगा उसे 50 % का टैरिफ देना पड़ेगा। इसे भी पढ़ें: मेलानिया ट्रंप का AI कमाल! 'बॉडी डबल' वीडियो से गरमाई पुरानी अफवाहों की बहसट्रंप की बात छोटा सा देश इजरायल भी नहीं मान रहा। रूस, चीन और भारत तो पहले से ही अपनी स्वतंत्र और बेबाक नीति से ट्रंप का सिर दर्द बढ़ा रखा है। अब ऐसे में वो अपनी फौजे अपने शहर के भीतर डाल कर एक दहशत का मौहाल बना रहे हैं। वो ये दलील दे रहे हैं कि यहां पर बड़े बड़े गैंग्स हैं और क्रिमिनल चीजें होती हैं। ये एक तरह से पाकिस्तानी सोच का नतीजा है। पाकिस्तान में नागरिक इलाकों में फौज की मौजूदगी आम है। हो सकता है पाकिस्तान की संगत का असर अब ट्रंप की सोच पर भी पड़ने लगा हो। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे टर्म की शुरुआत से ही डेमोक्रेट पार्टी के कंट्रोल वाले शहरों को 'अपराध का अड्डा' बताकर नेशनल गार्ड की टुकड़ियां भेजनी शुरू कर दीं। ट्रंप का कहना है कि ये सैनिक इमिग्रेशन छापेमारी की रक्षा करेंगे, अपराध रोकेंगे और शांति लाएंगे। इसे भी पढ़ें: गाजा पर बमबारी थमने का नाम नहीं, नेतन्याहू ने किया साफ... तो बाकी शर्तों पर समझौता नहींट्रंप ने कहा, मेरे फैसले को अगर जज रोकेंगे तो इंसरैक्शन एक्ट लगाकर आर्मी भेज दूंगा. यानी अभी टकराव के हालात बने हुए हैं। ट्रंप ने ओवल ऑफिस में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, जब उनसे पूछा गया कि किन परिस्थितियों में वह 19वीं सदी के इस दुर्लभ कानून का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर ज़रूरी होता तो मैं ऐसा करता। हमारे पास विद्रोह अधिनियम एक वजह से है। अगर मुझे इसे लागू करना होता, तो मैं ऐसा करता। अगर लोग मारे जा रहे होते और अदालतें हमें रोक रही होतीं, राज्यपाल या महापौर हमें रोक रहे होते, तो ज़रूर, मैं ऐसा करता। मेरा मतलब है, मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूँ कि लोग मारे न जाएँ। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे शहर सुरक्षित रहें।विद्रोह अधिनियम क्या है?1807 का विद्रोह अधिनियम राष्ट्रपति को विशिष्ट परिस्थितियों में नागरिक कानून प्रवर्तन के लिए अमेरिकी सेना को तैनात करने का अधिकार देता है और एनबीसी न्यूज़ के अनुसार, इसका अंतिम बार 1992 के लॉस एंजिल्स दंगों के दौरान इस्तेमाल किया गया था। विद्रोह अधिनियम का एक प्रारंभिक संस्करण 1792 में कांग्रेस द्वारा संघ के कानूनों को लागू करने, विद्रोहों को दबाने और आक्रमणों को पीछे हटाने के लिए मिलिशिया को बुलाने के लिए पारित किया गया था।

Oct 7, 2025 - 16:46
 0
अमेरिकियों पर किस बात का गुस्सा उतार रहे ट्रंप? विद्रोह कानून लागू करने की दे दी धमकी

इस बात से तो अब पूरी दुनिया अवगत हो गई है कि ट्रंप की फॉरेन पॉलिसी पूरी तरह से फेल हो गई है। चाहे उनके 24 घंटे के अंदर रूस और यूक्रेन की लड़ाई रुकवाने के लंबे चौड़े दावे हो या हमास और इजरायल के बीच में झट से शांति करवाकर बंधकों की शीघ्र वापसी हो। इससे इतर भारत और पाकिस्तान के बीच ऑपरेशन सिंदूर के दौरान की झड़प रही हो उसके सीजफायर को लेकर झूठे दावे से दुनिया को बरगलाने की कोशिश रही हो। हर मोर्चे पर ट्रंप बुरी तरह से विफल साबित हो रहे हैं और कोई उनकी सुनता नहीं है और दुनिया में हंसी के पात्र बनकर रह गए हैं। अब वो अपना गुस्सा अमेरिका के ही लोगों पर निकाल रहे हैं। पहले तो उन्होंने लोगों को झूठ बोला कि 50 % का टैरिफ भारत के ऊपर लग रहा है। लेकिन उन्होंने ये नहीं बताया कि इसकी भरपाई कौन करेगा। जो भारत का सामान खरीदेगा उसे 50 % का टैरिफ देना पड़ेगा। 

इसे भी पढ़ें: मेलानिया ट्रंप का AI कमाल! 'बॉडी डबल' वीडियो से गरमाई पुरानी अफवाहों की बहस

ट्रंप की बात छोटा सा देश इजरायल भी नहीं मान रहा। रूस, चीन और भारत तो पहले से ही अपनी स्वतंत्र और बेबाक नीति से ट्रंप का सिर दर्द बढ़ा रखा है। अब ऐसे में वो अपनी फौजे अपने शहर के भीतर डाल कर एक दहशत का मौहाल बना रहे हैं। वो ये दलील दे रहे हैं कि यहां पर बड़े बड़े गैंग्स हैं और क्रिमिनल चीजें होती हैं। ये एक तरह से पाकिस्तानी सोच का नतीजा है। पाकिस्तान में नागरिक इलाकों में फौज की मौजूदगी आम है। हो सकता है पाकिस्तान की संगत का असर अब ट्रंप की सोच पर भी पड़ने लगा हो। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे टर्म की शुरुआत से ही डेमोक्रेट पार्टी के कंट्रोल वाले शहरों को 'अपराध का अड्डा' बताकर नेशनल गार्ड की टुकड़ियां भेजनी शुरू कर दीं। ट्रंप का कहना है कि ये सैनिक इमिग्रेशन छापेमारी की रक्षा करेंगे, अपराध रोकेंगे और शांति लाएंगे। 

इसे भी पढ़ें: गाजा पर बमबारी थमने का नाम नहीं, नेतन्याहू ने किया साफ... तो बाकी शर्तों पर समझौता नहीं

ट्रंप ने कहा, मेरे फैसले को अगर जज रोकेंगे तो इंसरैक्शन एक्ट लगाकर आर्मी भेज दूंगा. यानी अभी टकराव के हालात बने हुए हैं। ट्रंप ने ओवल ऑफिस में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, जब उनसे पूछा गया कि किन परिस्थितियों में वह 19वीं सदी के इस दुर्लभ कानून का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर ज़रूरी होता तो मैं ऐसा करता। हमारे पास विद्रोह अधिनियम एक वजह से है। अगर मुझे इसे लागू करना होता, तो मैं ऐसा करता। अगर लोग मारे जा रहे होते और अदालतें हमें रोक रही होतीं, राज्यपाल या महापौर हमें रोक रहे होते, तो ज़रूर, मैं ऐसा करता। मेरा मतलब है, मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूँ कि लोग मारे न जाएँ। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे शहर सुरक्षित रहें।

विद्रोह अधिनियम क्या है?

1807 का विद्रोह अधिनियम राष्ट्रपति को विशिष्ट परिस्थितियों में नागरिक कानून प्रवर्तन के लिए अमेरिकी सेना को तैनात करने का अधिकार देता है और एनबीसी न्यूज़ के अनुसार, इसका अंतिम बार 1992 के लॉस एंजिल्स दंगों के दौरान इस्तेमाल किया गया था। विद्रोह अधिनियम का एक प्रारंभिक संस्करण 1792 में कांग्रेस द्वारा संघ के कानूनों को लागू करने, विद्रोहों को दबाने और आक्रमणों को पीछे हटाने के लिए मिलिशिया को बुलाने के लिए पारित किया गया था।