यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) में 1 अगस्त से कई बदलाव होने वाले हैं। ये नए बदलाव उपयोगकर्ताओं, व्यापारियों और बैंकों पर असर डालेंगे। यूपीआई का नियामक प्राधिकरण, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI), देश में प्रमुख रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले इस डिजिटल भुगतान प्लेटफ़ॉर्म में कई नियामक बदलावों की घोषणा करने वाला है। नए बदलावों से UPI को और अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाने, इसकी विश्वसनीयता, सहजता और विशेष रूप से व्यस्त समय के दौरान व्यवधानों से मुक्त होने की संभावना है।
UPI में क्या आई थी दिक्कत
यह बदलाव यूपीआई में आई बड़ी रुकावटों 12 अप्रैल और 26 मार्च के बाद आए हैं, जो महज़ 2-3 महीनों के अंतराल में हुई थीं। गौरतलब है कि इन रुकावटों का असर करोड़ों उपयोगकर्ताओं पर पड़ा क्योंकि इनसे करोड़ों रुपये के लेन-देन बाधित हुए। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के हालिया नोट, "ग्रोइंग रिटेल डिजिटल पेमेंट्स: द वैल्यू ऑफ इंटरऑपरेबिलिटी" के अनुसार, भारत का यूपीआई रीयल-टाइम भुगतान तकनीक क्षेत्र में एक वैश्विक नेता के रूप में उभरा है। UPI ने वीज़ा को पीछे छोड़ दिया है, जो दुनिया की अन्य भुगतान प्रणालियों के बीच अपने प्रभुत्व का प्रतीक है। आईएमएफ ने आगे कहा कि यूपीआई भारत के लगभग 85 प्रतिशत डिजिटल भुगतानों को संचालित करता है, जबकि वैश्विक भुगतानों में इसका योगदान लगभग 60 प्रतिशत है।
अगले महीने से क्या क्या बदलाव हो रहे हैं
UPI उपयोगकर्ता अब अपने खाते की शेष राशि प्रतिदिन अधिकतम 50 बार ही देख पाएँगे, जबकि पहले यह सीमा असीमित थी।
NPCI ने UPI ऑटोपे लेनदेन के लिए निश्चित समय-सीमा भी तय की है। सब्सक्रिप्शन, EMI और उपयोगिता बिलों सहित भुगतान अब दिन भर में अनियमित समय पर संसाधित नहीं होंगे। ये केवल निर्धारित समय-सीमा के दौरान ही किए जाएँगे।
ये बदलाव ग्राहकों को सीधे तौर पर प्रभावित नहीं करेंगे क्योंकि उनके ऑटो-भुगतान सामान्य रूप से संसाधित होते रहेंगे।