आज सावन स्कंद षष्ठी व्रत है, इस दिन भगवान स्कंद की पूजा होती है, जिन्हें मुरुगन, कार्तिकेय और सुब्रमण्य के नाम से भी जाना जाता है। भगवान स्कंद शिव और पार्वती के पुत्र और भगवान गणेश के बड़े भाई हैं। स्कंद षष्ठी पूर्णतः भगवान स्कंद को समर्पित है और इसे कंद षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है तो आइए हम आपको सावन स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।
सावन स्कंद षष्ठी से जुड़ी पौराणिक मान्यता भी है खास
पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान स्कंद ने राक्षस राजा सुरपद्मन का वध करके देवताओं को अत्याचार से मुक्त कराया था। यह दिन उनकी विजय और वीरता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। भगवान मुरुगन को तमिलनाडु में विशेष रूप से पूजनीय माना जाता है और इस दिन को भक्ति और उत्सव के साथ मनाया जाता है।
जानें सावन स्कंद षष्ठी व्रत के बारे में
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, स्कंद षष्ठी का दिन भगवान कार्तिकेय को अधिक प्रिय है, इसलिए इस शुभ दिन पर उनकी आराधना की जाती है। स्कंद षष्ठी के दिन विधि विधान से पूजा करने से मनुष्य को ग्रह बाधा से मुक्ति मिलती है साथ ही जीवन की तमाम समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। इसके अलावा जो लोग भगवान कार्तिकेय का आशीष प्राप्त करने के लिए पूरे समर्पण और आस्था के साथ इस व्रत का पालन करते हैं। उन्हें जीवन में सुख और वैभव की प्राप्ति होती है। ये भी कहा जाता है कि स्कंद षष्ठी के व्रत का पालन करने से पुत्र प्राप्ति की इच्छा भी पूर्ण होती है।
सावन स्कंद षष्ठी व्रत से मिलते हैं ये लाभ
सावन स्कंद षष्ठी व्रत करने से भक्तों को अद्भुत आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। पंडितों के अनुसार इस व्रत को करने से शत्रुओं का नाश होता है और धन, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। इस व्रत के प्रभाव से भगवान मुरुगन का आशीर्वाद मिलता है जिससे जीवन में सफलता और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सावन स्कंद षष्ठी व्रत की तिथि
सावन स्कंद षष्ठी व्रत सावन महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। पंडितों के अनुसार इस तिथि पर भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को स्कंद षष्ठी के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भक्तों को जीवन में सत्य, धर्म और दान के मार्ग पर चलने के लिए भी प्रेरित करता है।
सावन स्कंद षष्ठी व्रत के दिन ऐसे करें पूजा
पंडितों के अनुसार सावन स्कंद षष्ठी का दिन खास होता है इसलिए इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और मंदिर की सफाई करें। चौकी पर कपड़ा बिछाकर भगवान कार्तिकेय की मूर्ति को विराजमान करें। देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें और मंत्रो का जप करें। जीवन में सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए कामना करें। भगवान को फल और मिठाई का भोग लगाएं। अंत में प्रसाद के साथ लोगों में विशेष चीजों का दान करें।
सावन स्कंद षष्ठी का धार्मिक महत्व
सावन स्कंद षष्ठी का दिन भगवान कार्तिकेय को प्रसन्न करने के लिए शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से इंसान को जीवन में सभी तरह की कठिनाइयों से छुटकारा मिलता है। साथ ही रुके हुए काम पूरे होते हैं। यह व्रत दक्षिण भारत के साथ उत्तर भारत में मनाया जाता है। यहां पर भगवान कार्तिकेय को कुमार, मुरुगन, सुब्रह्मण्यम जैसे कई नामों से जाना जाता है। उत्तर भारत में कार्तिकेय को गणेश का बड़ा भाई माना जाता है लेकिन दक्षिण भारत में कार्तिकेय गणेश जी के छोटे भाई माने जाते हैं। इसलिए हर महीने की षष्ठी को स्कंद षष्ठी मनाई जाती है। षष्ठी तिथि कार्तिकेय जी की होने के कारण इसे कौमारिकी भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन संसार में हो रहे कुकर्मों को समाप्त करने के लिए कार्तिकेय का जन्म हुआ था और स्कंद षष्ठी की उपासना से च्यवन ऋषि को आंखों की ज्योति प्राप्त हुई थी। पंडितों के अनुसार स्कंद षष्ठी की कृपा से प्रियव्रत के मृत शिशु के प्राण लौट आए थे। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस दिन अगर विधि-विधान से भगवान कार्तिकेय का व्रत रखकर उनकी आराधना की जाए तो व्यक्ति को तमाम प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा संतान को भी उनकी तमाम समस्याओं से छुटकारा मिलता है साथ ही धन-वैभव की भी प्राप्ति होती है।
सावन स्कंद षष्ठी के दिन भूलकर भी न करें ये काम
सावन स्कंद षष्ठी के दिन दान आदि कार्य करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा इस दिन स्कंद देव की स्थापना करके अखंड दीपक जलाना चाहिए। इसके अलावा स्कंद षष्ठी के दिन पूजन में तामसिक भोजन मांस, शराब, प्याज, लहसुन नहीं शामिल करना चाहिए। साथ ही इस दिन व्रत का पालन करने वाले लोग ब्रह्मचर्य का पालन करें। वहीं अगर कोई व्यक्ति व्यावसायिक कष्टों से जूझ रहा है तो उसे इस दिन कुमार कार्तिकेय को दही में सिंदूर मिलाकर अर्पित करें।
सावन स्कंद षष्ठी पर रखें इन बातों का ध्यान
पंडितों के अनुसार सावन स्कंद षष्ठी का दिन खास होता है इसलिए इस दिन दान करना खास माना जाता है। साथ ही इस दिन भगवान स्कंद देव के सामने अखंड दीपक जलाएं। स्कंद षष्ठी के दिन तामसिक भोजन से परहेज करें। इसके अलावा अगर आप व्रत रखते हैं तो ब्रह्मचर्य का पालन करें। यही नहीं अगर आप व्यावसायिक कठिनाइयों से जूझ रहे हैं तो कुमार कार्तिकेय को दही में सिंदूर मिलाकर अर्पित करें।
सावन स्कंद षष्ठी व्रत पर करें इन मंत्रों का जाप
सावन स्कन्द षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करते समय विशेष मंत्रों का जाप करने से पूजा का फल कई गुना अधिक मिलता है। ये मंत्र न केवल मानसिक शांति प्रदान करते हैं, बल्कि साधक को शक्ति, साहस और विजय का आशीर्वाद भी देते हैं।
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात:
देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव।
कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥
ॐ शारवाना-भावाया नम:
ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा
देवसेना मन: कांता कार्तिकेया नामोस्तुते।
- प्रज्ञा पाण्डेय