इस बार रक्षाबंधन का पर्व बेहद खास रहने वाला है। 9 अगस्त 2025 को पूरे दिन राखी बांधने के लिए शुभ समय रहेगा, क्योंकि भद्राकाल का साया नहीं रहेगा। पूर्णिमा पर आमतौर पर भद्रा रहती है और भद्राकाल में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। पिछले तीन साल से यही कारण रहा कि बहनों को राखी बांधने के लिए रात तक इंतजार करना पड़ा। लेकिन इस बार भद्रा 8 और 9 अगस्त की मध्यरात्रि के बाद समाप्त हो जाएगी, जिससे 9 अगस्त को रक्षाबंधन का पूरा दिन शुभ रहेगा। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि रक्षाबंधन अबकी बार शनिवार 9 अगस्त को है। खास बात यह है कि इस बार रक्षाबंधन पर भद्राकाल का साया नहीं रहेगा, यानी बहनें सुबह से लेकर शाम तक कभी भी अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकेंगी। पिछले तीन वर्षों से भद्रा की वजह से राखी बांधने में देरी होती रही थी, लेकिन इस बार पूरा दिन शुभ और मंगलकारी रहेगा।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि रक्षाबंधन का त्योहार बहन-भाई के बीच प्रेम का प्रतीक है। इसमें बहन भाई को तिलक लगाकर उसके दीर्घायु की कामना करती है। भाई भी जीवन भर बहन के सुख-दुख में साथ निभाने का वादा करता है और स्नेह स्वरूप बहन को उपहार भी देता है। इस त्योहार को प्राचीन काल से मनाने की परंपरा चली आ रही है। रक्षाबंधन पर अबकी बार भद्रा का साया नहीं है। पिछले 2-3 साल से भद्रा के कारण राखी का मजा बेकार हो जा रहा था, पर इस बार ऐसा नहीं है। इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं है। दरअसल भद्रा श्रावण पूर्णिमा तिथि में लग रही है, लेकिन उसका समापन 9 अगस्त को सूर्योदय से पहले हो जा रहा है। इसलिए आप खुशीपूर्वक रक्षाबंधन का त्योहार मनाएं। रक्षाबंधन पर अक्सर ऐसा होता है कि भद्रा का अशुभ साया भाई-बहन के इस पवित्र त्योहार मंभ खलल डाल देता है और त्योहार का मजा किरकिरा हो जाता है। खुशी की बात यह है कि इस बार भद्रा नहीं है और भाई-बहन पूरे आनंद और प्रेम सौहार्द के साथ इस त्योहार को मनाएंगे। रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा को होता है। इस दिन बहनें राखी के रूप में अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं और भाई इसके बदले में बहनों को उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं।
नहीं रहेगा भद्रा का साया
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि रक्षाबंधन के दौरान भद्रा काल पूर्णिमा तिथि के साथ शुरू होगा। यानी 08 अगस्त 2025 को दोपहर 02:12 बजे से। यह समय रक्षाबंधन से एक दिन पहले है। भद्रा काल की समाप्ति 08 अगस्त 2025 को मध्य रात्रि 01:52 बजे होगी। इसका मतलब है कि रक्षाबंधन के दिन भद्रा सूर्योदय से पहले खत्म हो जाएगा और 9 अगस्त को दोपहर 1:24 मिनट तक बहनें बिना चिंता के राखी बांध सकती हैं।
रक्षाबंधन तिथि
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि रक्षाबंधन 9 अगस्त को मनाया जाएगा। सावन के महीने के आखिरी दिन यानी के श्रावण पूर्णिमा को रक्षाबंधन मनाया जाता है। अबकी बार श्रावण पूर्णिमा 8 अगस्त शुक्रवार को दोपहर 2:12 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 9 अगस्त को दोपहर 1:21 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि की मान्यता के अनुसार रक्षाबंधन शनिवार 9 अगस्त को मनाया जाएगा। शनिवार, 09 अगस्त 2025 को भद्रा नहीं है, अतः पूरा दिन शुद्ध है। रक्षाबन्धन पर्व श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को भद्रा रहित तीन मुहूर्त या उससे अधिक व्यापिनी पूर्णिमा को अपराह्न काल व प्रदोष काल में मनाया जाता है। श्रावण शुक्ल पूर्णिमा, 09 अगस्त 2025 को रक्षाबन्धन है। इस दिन पूर्णिमा तिथि दोपहर 01:24 तक है। इस वर्ष रक्षाबंधन पर्व पर भद्रा का साया नहीं होगा।
पूर्णिमायां भद्रारहितायां त्रिमुहूर्त्ताधिकोदय व्यापिन्यामपराह्न प्रदोषे वा कार्यम् - धर्मसिन्धु ।
रक्षा बंधन:- शनिवार 9 अगस्त 2025
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ:- 8 अगस्त 2025 दोपहर 2:12 मिनट से शुरू
पूर्णिमा तिथि समापन:- 9 अगस्त 2025 दोपहर 1:21 मिनट तक
रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त
शुभ का चौघड़िया प्रातः 07:35 से प्रातः 09:15 तक रहेगा।
चर-लाभ-अमृत का चौघड़िया दोपहर 12:32 से सायं 05:26 तक
अभिजित दोपहर 12:08 से दोपहर 12:56 तक
शुभ योग में रक्षाबंधन
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल रक्षाबंधन पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जो इस पर्व को और भी खास बनाते हैं। सौभाग्य योग, शोभन योग, और सर्वार्थ सिद्धि योग इस दिन मौजूद होंगे। श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र का दुर्लभ संयोग भी बन रहा है, जो इस पर्व को और अधिक मंगलकारी और फलदायी बना देगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इन योगों में किए गए कार्य शुभ फलदायी होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि लाते हैं।
ग्रहों का योग
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार रक्षाबंधन पर 297 साल बाद दुर्लभ योग बन रहा है। इस दिन ग्रहों की स्थिति विशेष रहेगी। सूर्य कर्क राशि में रहेगा। चंद्रमा मकर में, मंगल कन्या में, बुध कर्क में, गुरु और शुक्र मिथुन में, राहु कुंभ में और केतु सिंह राशि में रहेगा। ऐसा संयोग 1728 में बना था। तब भी भद्रा भूलोक पर नहीं थी और ग्रहों की स्थिति ऐसी ही थी। इस बार भी वैसा ही योग बन रहा है। यह समय शुभकार्यों के लिए उत्तम रहेगा।
राखी बांधने का सही तरीका
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि राखी बंधवाते समय भाई का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। बहनों को पूजा की थाली में चावल, रौली, राखी, दीपक आदि रखना चाहिए। इसके बाद बहन को भाई के अनामिका अंगुली से तिलक करना चाहिए। तिलक के बाद भाई के माथे पर अक्षत लगाएं। अक्षत अखंड शुभता को दर्शाते हैं। उसके बाद भाई की आरती उतारनी चाहिए और उसके जीवन की मंगल कामना करनी चाहिए। कुछ जगहों पर भाई की सिक्के से नजर उतारने की भी परंपरा है।
- डा. अनीष व्यास
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक