PFC का पहला ऐतिहासिक सीमा पार ऋण समझौता: भूटान में 600 MW हाइड्रो प्रोजेक्ट के लिए 4,829 करोड़
भूटान स्थित खोरलोछू हाइड्रो पावर लिमिटेड ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) के साथ 4,829 करोड़ रुपये के ऋण के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। खोरलोछू हाइड्रो पावर लिमिटेड (केएचपीएल), ड्रुक ग्रीन पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीजीपीसी) टाटा पावर कंपनी लिमिटेड का संयुक्त उद्यम है।इसे भी पढ़ें: महिला वर्ल्ड कप में भारतीय खिलाड़ी मिलाएंगे पाकिस्तान टीम से हाथ? ICC का प्रोटोकॉल बन सकता है कारण इसमें डीजीपीसी की 60 प्रतिशत और टाटा पावर की 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है। संयुक्त उद्यम भूटान में 600 मेगावाट की खोरलोछू जलविद्युत परियोजना का विकास कर रहा है। वित्तपोषण शुल्क सहित लगभग 6,900 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना के 2029-2030 में चालू होने की उम्मीद है।इसे भी पढ़ें: प्यार की सज़ा मौत! यूपी में दो खूनी घटनाएं, बेटी की गोली मारकर हत्या, युवक को चाकुओं से गोदा डीजीपीसी के अनुसार, केएचपीएल ने रविवार को भारत की एनबीएफसी पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड के साथ 4,829 करोड़ रुपये के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते में 950 करोड़ रुपये की अतिरिक्त ऋण सुविधा का भी प्रावधान है। यह पीएफसी का पहला सीमा पार वित्तपोषण है, जो भारत तथा भूटान के बीच बढ़ते स्वच्छ ऊर्जा सहयोग को दर्शाता है।

भूटान स्थित खोरलोछू हाइड्रो पावर लिमिटेड ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) के साथ 4,829 करोड़ रुपये के ऋण के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। खोरलोछू हाइड्रो पावर लिमिटेड (केएचपीएल), ड्रुक ग्रीन पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीजीपीसी) टाटा पावर कंपनी लिमिटेड का संयुक्त उद्यम है।
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इसमें डीजीपीसी की 60 प्रतिशत और टाटा पावर की 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है। संयुक्त उद्यम भूटान में 600 मेगावाट की खोरलोछू जलविद्युत परियोजना का विकास कर रहा है। वित्तपोषण शुल्क सहित लगभग 6,900 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना के 2029-2030 में चालू होने की उम्मीद है।
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डीजीपीसी के अनुसार, केएचपीएल ने रविवार को भारत की एनबीएफसी पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड के साथ 4,829 करोड़ रुपये के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते में 950 करोड़ रुपये की अतिरिक्त ऋण सुविधा का भी प्रावधान है। यह पीएफसी का पहला सीमा पार वित्तपोषण है, जो भारत तथा भूटान के बीच बढ़ते स्वच्छ ऊर्जा सहयोग को दर्शाता है।