करवा चौथ का पवित्र त्योहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है, जब वे अपने पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और वैवाहिक जीवन की सुख-समृद्धि के लिए निर्जला (बिना पानी के) व्रत रखती हैं।
इस दिन महिलाएं करवा माता की पूजा-अर्चना करती हैं, और रात में चंद्रमा के दर्शन के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं। इस साल करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर को रखा जाएगा।
यह व्रत आस्था और नियमों का संगम है। व्रत के दौरान महिलाओं को विशेष ध्यान रखना पड़ता है, क्योंकि एक छोटी सी गलती भी व्रत के फल को खंडित कर सकती है। इसलिए व्रत शुरू करने से पहले इसके जरूरी नियमों को जानना बहुत आवश्यक है।
करवा चौथ से जुड़ी महत्वपूर्ण तिथियां और शुभ समय
करवा चौथ व्रत की तिथि: इस वर्ष यह व्रत 10 अक्टूबर को रखा जाएगा।
चतुर्थी तिथि का आरंभ: 10 अक्टूबर को रात 10:54 बजे होगा।
चतुर्थी तिथि का समापन: 11 अक्टूबर को शाम 7:38 बजे होगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त: पूजा सुबह 5:16 बजे से शाम 6:29 बजे तक की जा सकती है।
चंद्रोदय (चांद निकलने का समय): व्रत तोड़ने के लिए चंद्रमा शाम 7:42 बजे दिखाई देगा।
करवा चौथ व्रत रखने के नियम
करवा चौथ का व्रत कठोर नियमों के साथ रखा जाता है। इन नियमों का पालन न करने पर व्रत खंडित हो सकता है या इसका पूर्ण फल नहीं मिलता।
निर्जला व्रत न तोड़ें: व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पहले सरगी खाने से होती है। इसके बाद, व्रत तोड़ने तक पानी की एक बूंद या किसी भी तरह का अन्न ग्रहण करना वर्जित है। यदि गलती से भी अन्न-जल ग्रहण कर लिया जाए, तो व्रत खंडित हो जाता है।
चंद्रोदय से पहले व्रत न खोलें: व्रत तभी पूरा माना जाता है जब आप चंद्रमा को विधि-विधान से अर्घ्य देती हैं और पति के हाथों पानी पीकर व्रत खोलती हैं। चंद्रमा के दर्शन और अर्घ्य से पहले व्रत तोड़ने से इसका लाभ नहीं मिलता।
दिन में सोने से बचें: शास्त्रों के अनुसार, करवा चौथ के दिन दोपहर या दिन के समय सोना वर्जित है, क्योंकि माना जाता है कि ऐसा करने से व्रत का पुण्य फल नष्ट हो जाता है।
नुकीली वस्तुओं का इस्तेमाल न करें: इस दिन सुई, कैंची, चाकू या किसी भी धारदार/नुकीली वस्तु का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि यह व्रत के फल को कम कर सकता है और इसे अशुभ माना जाता है।
अपनी सुहाग सामग्री दान न करें: इस दिन सुहागिन महिलाओं को सुहाग की वस्तुएं (जैसे सिंदूर, चूड़ियां, बिंदी) दान करना शुभ होता है। हालांकि, अपनी इस्तेमाल की हुई या अपनी सुहाग की मुख्य सामग्री को गलती से भी दान न करें। ऐसा करना सौभाग्य को कम करने वाला माना जाता है।