हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। पितृ पक्ष के दौरान पड़ने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इंदिरा एकादशी का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इस दिन पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए यह शुभ मानी जाती है। इस व्रत को करने से जातक पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है और पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं इंदिरा एकादशी की तिथि, मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व के बारे में...
तिथि और मुहू्र्त
हिंदू पंचांग के मुताबिक 17 सितंबर को देर रात 10:55 मिनट पर परिघ योग की समाप्ति होगी। जबकि शिववास रात 11:39 मिनट तक रहेगा। 17 सितंबर को पूरे दिन पुष्य नक्षत्र भी है। ऐसे में आज का दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा के लिए शुभ माना जा रहा है। वहीं व्रत का पारण अगले दिन यानी की द्वादशी तिथि को होगा। 18 सितंबर 2025 की सुबह 06:07 मिनट से लेकर 08:34 मिनट के बीच पारण किया जाएगा।
पूजन विधि
इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदि करने के बाद साफ कपड़े पहनें और फिर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। अब पूजा स्थल की साफ-सफाई करने के बाद एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं और उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करें। भगवान विष्णु को गंगाजल से स्नान कराएं और उनको पीले पुष्प, पीला चंदन, तुलसी दल और पंचामृत का भोग अर्पित करें। इसके बाद धूप-दीप दिखाएं। अब इंदिरा एकादशी व्रत का पाठ करें। यह दिन पितरों के तर्पण और पिंडदान के लिए भी शुभ माना जाता है। वहीं गरीबों और जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा दें।
पूजा मंत्र
ॐ नमोः नारायणाय॥
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥